बुधवार, जनवरी 27

प्लेटलेट की गणना या प्लेटलेट्स काउंट (Platelet count)

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प्लेटलेट्स काउंट (Platelet count)

प्लेटलेट (Platelets) रक्त में पाई जाने वाली सभी कोशिकाओं में से सबसे छोटी सेल्स होती है इसका आकार 1-के बीच होती है यह मेगाकैरियोसाइट से बनती है प्लेटलेट (Platelets) को थ्रोम्बोसाइट (thrombocyte) भी कहा जाता है प्लेटलेट (Platelets) श्वेत रक्त कणिकाओं (WBC) के मुकाबले अधिक मात्रा में और लाल रक्त कणिकाओं (RBC) से कम मात्रा में होती है


प्लेटलेट (Platelets) का मुख्य कार्य रक्त का थक्का (clot) बनाने में मदद करना होता हैअर्थात ब्लीडिंग डिसऑर्डर (bleeding disorder) का पता करने के लिए प्लेटलेट की गणना (Platelet count) की जाती है, जिसे थ्रोम्बोसाइट गणना (thrombocyte count) भी कहते है जब शरीर पर कहीं भी चोट या कट लग जाता है तो प्लेटलेट (Platelets) और कई क्लोटिंग फैक्टर (clotting factor) रक्त को रोकने में काम आते हैं इस कारण डॉक्टर द्वारा प्लेटलेट काउंट (Platelet count) को सजेस्ट किया जाता है

प्लेटलेट काउंट (Platelets count) करना काफी दूभर और मुश्किलों भरा होता है, क्योंकि

1. प्लेटलेट (Plateletsका आकार काफी छोटा होता है, जो प्लेटलेट काउंट (Platelet count) करने में समस्या आती है कई बार छोटा सा कचरा भी प्लेटलेट (Platelets) के रूप में गिन लिया जाता है

2. प्लेटलेट (Platelets) की चिपकने की प्रवृत्ति (platelet aggregation) होती है कि वह एक दूसरे से चिपक जाती है यदि दो प्लेटलेट (Platelets) एक साथ चिपक जाती है तो उसको एक प्लेटलेट ही गिना जा सकता है जो कि गलत प्लेटलेट काउंट (Platelet count) का कारण हो सकता है
इसके लिए जो बात ध्यान रखने योग्य है वह है कि आप जो भी रिएजेंट या सामग्री का उपयोग कर रहे हैं वह बिलकुल साफ-सुथरी और क्लीन होनी चाहिए

 

रक्त सैंपल का प्रकार

अन्य सेल काउंट की तरह इसमें संपूर्ण रक्त (whole blood) उपयोग में लिया जा सकता है या हाथ की अंगुली से या कान से कैपिलरी रक्त (capillary blood) को भी उपयोग में लिया जा  सकता हैwhole blood

Platetes count करते समय इस बात का अवश्य ध्यान रखा जाना चाहिए कि रक्त सैंपल को कांच की सिरिंज के बजाय प्लास्टिक की सीरीज में लिया जाना चाहिए क्योंकि कांच की सीरीज की सतह पर प्लेटलेट (Platelets) चिपक जाती है जो कि कम प्लेटलेट काउंट (Platelet count) का कारण बन सकता है

कैपिलरी रक्त (capillary blood) का उपयोग करते समय रक्त को न्यूनतम समय में Platetes diluting fluid के साथ मिलाया जाना चाहिए क्योंकि प्लेटलेट में clotting की क्षमता अधिक पाई जाती है
संक्षिप्त में कहे तो वेनस ब्लड या संपूर्ण रक्त (whole blood) कैपिलरी ब्लड (capillary blood) के मुकाबले अधिक विश्वसनीय परिणाम देने में सक्षम है

प्लेटलेट काउंट (Platelet count) टेस्ट का सिद्धांत

जब किसी संपूर्ण रक्त (whole blood) को किसी Platetes diluting fluid के साथ 200 गुना तनु (dilute) करके न्यूबार चेंबर में रखा जाता है और चेंबर में प्लेटलेट को काउंट (Platelets count)  किया जाता है तो सम्पूर्ण रक्त में इसका मान फार्मूले में रखकर प्राप्त किया जा सकता है


प्लेटलेट्स तनुकारी द्रव (Platetes diluting fluid)

ट्राई सोडियम सिट्रेट (Na Citrate)      3.8 ग्राम

फॉर्मेंल्डिहाइड 40% (formaldehyde)     0.2 मिलीग्राम

ब्रिलियंट क्रिस्टल ब्लू             0.1 ग्राम

आसुत जल (distilled water)    100 मिलीग्राम

 इन सभी सामग्री को 100 ml आसुत जल में घोला जाता है और फिल्टर किया जाता है और एक टाइट ढक्कन वाली ट्यूब में रख दिया जाता है

यहां पर ट्राई सोडियम सिट्रेट (Na3 Citrate) रक्त को क्लॉट (clot) होने से रोकता है और फॉर्मेंल्डिहाइड या फॉर्मेंलीन प्लेटलेट (Platelets) को फिक्स करने का कार्य करता है और clotting से रोकता है यहां पर ब्रिलियंट क्रिस्टल ब्लू बैकग्राउंड के लिए उपयोग में लिया जाता है, ना कि प्लेटलेट (Platelets) को रंग देने में या स्टेन (stain) करने में और इसकी आवश्यकता भी नहीं है
लाल रक्त कणिकाओं को नष्ट (lyse) करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि प्लेटलेट (Platelets) को उसकी आकार आकृति और गहरे रंग से पहचाना जा सकता है


प्लेटलेट काउंट (Platelet count) करने के लिए आवश्यक सामग्री

Platelets count
हिमोसाइटोमीटर (hemocytometer) या न्यूबार काउंटिंग चेंबर (neubauer counting chamber)

प्लेटलेट काउंट (Platelet count) करने के लिए मध्य में स्थित बड़े खाने जो कि 25 बराबर खानों में बटा हुआ होता हैं 25 में से प्रत्येक खाना 16 छोटे खानों में बटा हुआ होता है सभी 25 खाने या छोटे 400 खानों में प्लेटलेट (Platelets) को गिना जाता है

न्यूबार काउंटिंग चेंबर (neubauer counting chamber)


साहली पीपेट (sahli pipette) या 20 माइक्रोलीटर की कैलिबट्रेड पीपेट

sahli pipette
पेट्री डिस (petridish)

आरबीसी पीपेट (RBC pipette)

फिल्टर पेपर (filtar paper)

माइक्रोस्कोप (microscope)

कवर स्लिप/कवर ग्लास (cover glass)

 

कवर स्लिप/कवर ग्लास (cover glass)

प्लेटलेट काउंट करने का तरीका (Platelet count test procedure) 

प्लेटलेट काउंट (Platelet count) करने के लिए आरबीसी पीपेट का उपयोग किया जाता है इसके लिए 0.5 चिन्ह (mark) तक रक्त लिया जाता है और 101 चिन्ह तक तक Platetes diluting fluid भरा जाता है

पीपेट के मध्य में स्थित बल्ब जिसमें एक लाल रंग का मनका होता है, पीपेट को हाथ में गोल घुमा कर Platetes diluting fluid को रक्त के साथ अच्छी तरीके से मिलाया जाता है और 5 मिनट के लिए छोड़ दिया जाता है

टेस्ट के समय ट्यूब से 2-3 बूंद गिरा दी जाती है, जो कि रक्त के साथ मिश्रित नहीं होती है



Bulk dilution method में 3.98 ml Platetes diluting fluid को एक टेस्ट ट्यूब में लिया जाता है और इसमें साहली पिपेट (sahli pipette) की मदद से या कैलिबर पिपेट की मदद से 20 माइक्रोलीटर या 0.02 ml रक्त मिश्रित किया जाता है और 5 मिनट के लिए छोड़ दिया जाता है

इस रक्त मिश्रित द्रव की एक बूंद को कवर स्लिप लगे न्यूबार चेंबर में लोड किया जाता है जिससे द्रव, कवर स्लिप और चेंबर के बीच में आ जाता है

चेंबर में लोड करते समय ध्यान रखें कि कवर स्लिप को न्यूबार चैंबर के ऊपर पहले रखा जाता है उसके बाद बूंद को स्पर्श करने पर कैपिलरी एक्शन द्वारा द्रव अपने आप लोड हो जाता हैन्यूबार चेंबर पर एक बूंद रखकर ऊपर कवर स्लिप लगाना गलत है और इसमें गलती की संभावनाएं बहुत अधिक होती है
चेंबर में लोड करने के बाद इसको 15 से 20 मिनट के लिए रखा जाता है ताकि प्लेटलेट (Platelets) स्थिर हो सके

किंतु कमरे का तापमान अधिक होने के कारण यह स्लाइड जल्दी ही सूख सकती है इसको सूखने से बचाने के लिए इस चेंबर को moist रखा जाना चाहिए, जिसके लिए एक पेट्री डिस (petridish) में फिल्टर पेपर को रखकर इसमें कुछ जल डाल दिया जाता है और उस पर चेंबर को रखकर ढक्कन लगा दिया जाता है इससे द्रव जल्दी से नहीं सूखेगा

प्लेटलेट काउंट (Platelet count)


15-20 मिनट के बाद जब प्लेटलेट चेंबर में स्थिर हो जाएगी, तब माइक्रोस्कोप में इसे देखा जाता है

माइक्रोस्कोप में प्लेटलेट (Platelets) को काउंट करने के लिए सर्वप्रथम (low power) अर्थात 10x पर हीमोसाइटोमीटर में बीच के खाने को फोकस किया जाता है और फिर high power पर अर्थात 40x पर प्लेटलेट काउंट (Platelet count) किया जाता है

प्लेटलेट गहरे नीले या काले रंग में एक डॉट के रूप में गोलाकार, अंडाकार या कोमा आकार में दिखाई देगी

Platelets


प्लेटलेट काउंट (Platelet count) करते समय ध्यान में रखें कि द्रव या स्लाइड पर मौजूद कचरे को प्लेटलेट (Platelets) के रूप में काउंट नहीं करना है

सभी 25 खानों में मौजूद प्लेटलेट (Platelets) को काउंट करके सब को जोड़ा जाता है और उसको नीचे दिए गए फार्मूले में रखकर साधारण सी गणना द्वारा अंतिम परिणाम प्राप्त किया जा सकता है

 

फार्मूला

Platelet count formula


Platelet count

अतिरिक्त जानकारियां

प्लेटलेट काउंट (Platelet count) को 2 घंटे में पूरा कर लेना चाहिए अधिक समय होने पर प्लेटलेट क्लंप (clump) में इकट्ठा होने लगती है

प्लेटलेट काउंट (Platelet count) करते समय  धूल के कण (dust particle) या कचरे को ध्यान से देखा जाना चाहिए इसके लिए अपने सभी उपकरण और द्रव पदार्थ आदि को साफ रखा जाना चाहिए और Platetes diluting fluid को उपयोग से पहले छानकर काम में लेना चाहिए

यदि प्लेटलेट काउंट (Platelet count) अधिक या कम आता है तो आवश्यकता अनुसार dilution को कम या अधिक किया जा सकता है

प्लेटलेट काउंट (Platelet count) में 15 से 25 परसेंट गलती की संभावना है देखी जाती है


सामान्य प्लेटलेट काउंट (normal platelet count) 

सामान्य मान नार्मल रेंज (platelet count normal range)  

एक वयस्क व्यक्ति में normal platelet count 1.5 लाख से लाख तक माना जाता है

 

प्लेटलेट काउंट का बढ़ना (high platelet count)

यदि किसी में प्लेटलेट काउंट (Platelet count normal) सामान्य मान से अधिक पाई जाती है, तो उसे थ्रोंबोसाइटोसिस (thrombocytosis) कहा जाता है यह पॉलीसिथीमिया वेरा (polycythemia vera), क्रॉनिक मायलॉजीनस ल्यूकीमिया (chronic mylogeneus leukemia), स्प्लेनेक्टोमी(spleenotomy) में देखा जाता है


प्लेटलेट काउंट का घटना  (low platelet count)

यदि प्लेटलेट काउंट (Platelet count) सामान्य मान से कम होती है. तो इसे थ्रोंबोसाइटोपिनिया (thrombositosis) कहा जाता है 

थ्रोंबोसाइटोपिनिया (thrombositosis), 

एप्लास्टिक एनीमिया(aplastic anemia), 

एक्यूट ल्यूकेमिया (acute leukemia), 

इम्यून थ्रोंबोसाइटोपिनिया (immune thrombocytopenia), मेगालोब्लास्टिक एनीमिया (megaloblastic anemia), हाइपरस्प्लेनिज्म (hyperspleenism) और 

साइटोटॉक्सिक (cytotoxic), 

कीमोथेरेपी (chemotherepy) और रेडिएशन के बाद देखा जाता है 

थ्रोंबोसाइटोपिनिया (thrombocytopenia), ब्लीडिंग डिसऑर्डर्स (bleeding disorder) या poor clot restrection में भी देखा जाता है

डेंगू में (platelet count in dengue), मलेरिया में भी प्लेटलेट काउंट (Platelet count) काफी कम हो जाता है


प्लेटलेट्स की कमी के लक्षण (symptoms of low platelets)

यदि प्लेटलेट की संख्या 10,000 से भी कम होती है तो कई लक्षणों के रूप में प्रकट होती है जो प्लेटलेट की कमी के लक्षण होते हैं। इसे थ्रोम्बोसाइटोपिनिया कहा जाता हैं।

रक्तस्राव इसका सबसे सामान्य लक्षण हैं जो अंदरूनी या बाहरी हो सकता हैं। 

आंतरिक रक्तस्राव को आप यूरिन और मल के साथ ब्लड की उपस्थिति के रूप में देख सकते है। 

इसके साथ ही त्वचा में ऊपरी सतह पर रक्तस्राव होना, जो लाल-बैंगनी धब्बों के रूप में दिखाई देता है। त्वचा को अंगुली या अंगूठे से दबाने पर इसे आसानी से देखा जा सकता है।

महिलाओ में पीरियड के दौरान सामान्य से अधिक रक्तस्राव हो सकता हैं।

बार-बार चोट लगना या आसानी से चोट लग जाती हैं। 

कट लगने पर बहुत देर तक रक्त बहता रहता हैं। 

मसूड़ों से या नाक से रक्त बहना, खून की उल्टी आदि दिखाई दे सकते हैं। 

यदि इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं तो एक बार प्लेटलेट्स की जांच यानी प्लेटलेट्स काउंट या फिर cbc की जांच जरूर करवा लेनी चाहिए।

 


प्लेटलेट्स बढ़ाने वाले फल

प्लेटलेट्स की कमी में कुछ फलों का सेवन प्लेटलेट्स की संख्या को गिरने से रोक सकते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। ऐसे ही हम पांच फलों के बारे में बात करेंगे जो आपके लो प्लेटलेट्स काउंट में मददगार साबित हो सकते हैं।


नारियल पानी – वैसे तो नारियल पानी को किसी भी मरीज या स्वस्थ व्यक्ति को दिया जा सकता हैं किंतु लो प्लेटलेट्स काउंट में नारियल बहुत ज्यादा उपयोगी है। नारियल इलेक्ट्रोलाइट्स ओर मिनिरल्स का अच्छा स्रोत होता हैं जो शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स की कमी को पूरा करने में मदद करते हैं।


नम्बर 4 की पोजीशन पर एक फल नहीं बल्कि 5 फलों का मिश्रण होते हैं जिसमे गाजर, पालक, टमाटर, चुकंदर ओर आंवला का ज्यूस बनाकर पिया जा सकता हैं। यदि ज्यूस निकलने की व्यवस्था न हो तो सलाद के रूप में दिन में 3-4 बार सेवन किया जा सकता।


कीवी – कीवी रंग रूप और आकार में चीकू जैसा फल होता है किंतु गुण बिल्कुल हटकर होते हैं। कीवी को काटकर छीलकर उपयोग में लिया जा सकता है। दिन में दो-तीन कीवी का सेवन कुछ ही दिनों में आपके लो प्लेटलेट्स कांउन्ट को सामान्य स्थिति में लाने में बहुत मददगार साबित हो सकता हैं।


गिलोय – गिलोय का जूस प्‍लेटलेट्स को बढ़ाने का सर्वोत्तम उपाय है। गिलोय के दो इंच टुकड़े को पानी में उबालकर या गिलोय की डंडी को रात भर पानी में भिगो कर सुबह उसका छना हुआ पानी पी लें। ब्‍लड में प्‍लेटलेट्स बढ़ने लगेंगे।


पपीता – पपीते के फल और पत्तियां दोनों ही प्‍लेटलेट्स बढ़ाने में मददगार हैं।  पपीते के फलों का सेवन या ज्यूस को ले सकते हैं। पपीते के पत्तो को पीसकर छानकर कम कम मात्रा में लिया जा सकता हैं। आप चाहें तो पपीते की पत्तियों को चाय की तरह भी पानी में उबालकर पी सकते हैं।

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