शनिवार, अगस्त 1

एड्स क्या हैं ? एड्स के कारण, लक्षण, जाँच और उपचार

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एचआईवी क्या हैं (what is hiv)

एचआईवी (HIV) एक वायरस का नाम है। यह एक आरएनए (RNA) वायरस है जो रेट्रोविरिडी फैमिली से सम्बन्ध रखता है। एचआईवी अन्य रेट्रोवायरस से संरचना में अलग है। यह लगभग 120 एनएम के व्यास के साथ लगभग गोलाकार है। 

                                          hiv

एचआईवी आरएनए के दो स्ट्रैंड, 15 प्रकार के वायरल प्रोटीन और इससे संक्रमित अंतिम होस्ट सेल के कुछ प्रोटीन से बना होता है, जो सभी एक लिपिड की दोहरी झिल्ली से घिरे होते हैं। 

एचआईवी प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाओं को मारता है जो शरीर को संक्रमण और बीमारियों से लड़ने में मदद करती है।

एचआईवी का फुल फॉर्म (full form of hiv)

HIV- ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (Human Immunodeficiency Virus)

एड्स (AIDS) 

एचआईवी (HIV) श्वेत रक्त कोशिकाओं (WBCs) को जो कि मानव रोग प्रतिरोधक प्रणाली का हिस्सा होता है, धीरे-धीरे नष्ट कर डालता है। संक्रमण के शुरुआती दौर में शरीर वायरस द्वारा नष्ट की गई कोशिकाओं को स्वयं ही नई कोशिकाओं में बदल देता है।

रोग के बहुत बाद के दौर में नष्ट होने वाली श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या, शरीर की क्रिया प्रणाली द्वारा बदली जाने वाली नई कोशिकाओं की संख्या से बहुत अधिक होती है और इस प्रकार  सीडी4 (CD4) कोशिकाओं (एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका) की संख्या घटने लगती है। इनकी संख्या वर्तमान में 400 से कम हो जाती है तो उस स्थिति को एड्स (AIDS) कहा जाता है।

                                                    hiv

संक्रमित व्यक्ति विभिन्न प्रकार के संक्रमण का बार-बार शिकार बनने लगता है और ऐसी स्थिति को एड्स (AIDS) कहा जा सकता है। रोग का यह चरण आम तौर पर कई साल बाद आता है।

एड्स की फुल फॉर्म (full form of AIDS)

AIDS - एक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिन्ड्रोम (Acquired Immunol deficiency syndrome) 

एचआईवी और एड्स के बीच का अंतर

आमतौर पर हम एचआईवी एड्स को एक ही रूप में देखते हैं किंतु एचआईवी (HIV) वायरस का नाम है जबकि (AIDS) उस लक्षण को कहते हैं जो कि व्यक्तियों में तब दिखाई देता है, जब रोग प्रतिरोधक प्रणाली इस स्तर तक नष्ट हो जाती है कि शरीर ऐसे किसी  लक्षणों का प्रतिरोध कर पाने में सक्षम नहीं रह जाता है जो आसपास के वातावरण होते रहते हैं। 

एचआईवी (HIV) और एड्स (AIDS) के बीच में बहुत बड़े अंतर को इस तरह से समझा जा सकता है कि सभी एचआईवी पॉजिटिव व्यक्तियों को एड्स (AIDS) नहीं होता है।


एड्स के कारण (aids is caused by)

एड्स रोग कैसे होता है? इसको समझने के लिए हमें मुख्य रूप से एचआईवी का संक्रमण के तीन कारणों पर विचार करना पड़ेगा

  1. एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध।
  2. दूसरा जब किसी संक्रमित व्यक्ति का खून किसी और संक्रमित व्यक्ति में चढ़ा दिया जाता है इस प्रकार का संक्रमण खून  चढ़ाए जाने से, दूषित सिरिंजों  और शरीर को गोदने वाले अन्य उपकरणों से भी  फैल सकता हैं।
  3. संक्रमित माता-पिता द्वारा यदि बच्चे को जन्म दिया जाता है तो ऐसे लगभग 1/3 बच्चे एचआईवी पॉजिटिव हो सकते हैं।


इसके द्वारा एचआईवी संक्रमण नहीं होता है।

  • मच्छर या खटमल के काटने से,
  • एक ही टॉयलेट के इस्तेमाल से,
  • एक ही बर्तन और भोजन का इस्तेमाल करने से,
  • स्विमिंग पूल शेयर करने से,
  • एक ही कपड़े और बिस्तर का इस्तेमाल करने से एचआईवी का संक्रमण नहीं होता है। 

एड्स के लक्षण (AIDS symptoms)

एचआईवी/एड्स के लक्षण कोई विशेष लक्षण नहीं होता है बल्कि वही लक्षण होते हैं जो शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम पड़ने पर दिखाई देते हैं। इसलिए केवल एचआईवी लक्षण के आधार पर किसी भी व्यक्ति में एचआईवी (HIV) और एड्स (AIDS)  का निर्धारण नहीं किया जा सकता है। एड्स के कुछ लक्षणों में है:-
  • बुखार,
  • थकान,
  • भूख न लगना,
  • वजन कम होना,
  • उल्टी-चक्कर और जी मिचलाना,
  • खांसी,
  • डायरिया,
  • सांस की समस्या और 
  • त्वचा संबंधी विकार आदि।

एड्स के लक्षण कितने दिनों में दिखते है?

जब किसी भी कारण से एक बार एचआईवी (HIV)  का संक्रमण हो जाता है तो हल्का सामान्य बुखार आता है और ऊपर के कुछ अन्य लक्षणों दिखाई दे सकते है या नहीं भी दिखाई देता है 

एक दो दी बुखार के बाद ये ठीक भी हो जाता है जिससे हर कोई एचआईवी (HIV)  का संक्रमण का अंदाजा नहीं लगा सकता है 

यद्यपि एचआईवी (HIV) हमारे शरीर में प्रवेश कर चूका होता है और वर्षो तक बिना लक्षण के शरीर में वृद्धी करता रहता है और जब शरीर पूरी तरह से रोग में जकड जाता है, और ऊपर के कई लक्षणों के रूप में प्रकट होता है। 


एचआईवी टेस्ट (hiv test)

एचआईवी टेस्ट के लिए सरकार द्वारा विभिन्न स्थानों पर आईसीटीसी सेंटर( ICTC Centers)  की स्थापना की गई है। जहां पर एचआईवी एड्स की निशुल्क जांच की जाती है।

एचआईवी टेस्ट के लिए शरीर से 2-3 ml  रक्त लिया जाता है या फिर आधुनिक तकनीक द्वारा केवल अंगुली से भी ब्लड लिया जा सकता है।एचआईवी के अधिकांश टेस्ट में एचआईवी एंटीबॉडी का का पता लगाकर परखा जाता है। 

ध्यान रहे कि संक्रमण काल की शुरुआती अवधि के दौरान खून में एंटीबॉडी पॉजिटिव प्रतिक्रिया देने के लिए पर्याप्त संख्या में मौजूद नहीं होने की संभावना रहती है। भले ही संबंधित व्यक्ति एचआईवी संक्रमित हो इस अवधि को अंतराल अवधि या विंडो पीरियड (window period) कहा जाता है।

यह अवधि खतरनाक इसलिए होती है कि भले ही व्यक्ति की रिपोर्ट नेगेटिव आई हो फिर भी सेक्स या खून के आदान-प्रदान के द्वारा संक्रमण फैल सकता है।

ध्यान रहे कि उस समय आप विंडो पीरियड में ना हो (विंडो पीरियड जिसमें आपके शरीर में एंटीबॉडी नहीं बनी होती है) और उसके द्वारा एंटीबॉडी का पता नहीं चलता है जिसके कारण उसे गलत रिपोर्टिंग मिल सकती है।

Hiv-test

इसलिए दो जांच के बीच 3 महीने का अंतर होना चाहिए। जिससे अगर कोई व्यक्ति विंडो पीरियड में हो तो गलत रिपोर्टिंग ना हो पाए विंडो पीरियड 3 महीने का होता है। इसमें टेस्ट की सत्यता पर संदेह ना करें और बार बार परीक्षण कराने से बचें क्योंकि इस से समय की ही बर्बादी होती हैं।

विंडो पीरियड (window period) 

एचआईवी संक्रमण और पता लगने योग्य मात्रा में एचआईवी एंटीबॉडी प्रकट होने के बीच की अवधि को विंडो पीरियड कहा जाता है। यह अवधि 14 से 21 दिन की होती है। 

अधिकांश लोगों में पता लगने योग्य एंटीबॉडीज संक्रमण की एक 3 महीने के अंदर ही पैदा हो जाती है, परंतु कुछ मामलों में कभी कभार 6 महीने की भी हो सकती है। 

इसलिए वर्तमान में यही सलाह दी जाती है कि संभावित जोखिम वाली घटना के 6 महीने बाद ही जांच कराई जाए ताकि दुबारा एचआईवी टेस्ट कराने की संभावना नहीं रहें।


एचआईवी 1 और एचआईवी 2 में क्या अंतर है?

वर्तमान में दो प्रकार के एचआईवी के बारे में जानकारी प्राप्त है। यह एचआईवी 1 और एचआईवी 2 है। पूरी दुनिया में सबसे अधिक पाया जाने वाला एचआईवी 1 है। दोनों ही वायरस रक्त और रक्त उत्पादों, सेक्स के माध्यम से और संक्रमित मां से उसके बच्चे में फैलते हैं। 

यद्यपि दोनों वायरस द्वारा पैदा किए जाने वाले लोग को चिकित्सक के रूप से अलग-अलग नहीं पहचाना जा सकता है लेकिन एचआईवी 2 अपेक्षाकृत अधिक आसानी से फैलता है। और प्रारंभिक संक्रमण । तथा रोग अवस्था के बीच अंतराल भी इससे अधिक होता हैं।

सीडी4 टी कोशिकाएं किसे कहते है?

सीडी3 (CD3) सीडी4 (CD4) कोशिकाएं लिंफोसाइट्स होती है जिसे हेल्पर टी कोशिकाएं भी कहा जाता है। यह श्वेत रक्त कोशिकाए (WBC) होती है और यह शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रतिक्रिया का समन्वय करती है। 

एचआईवी के निशाने पर मुख्य रूप से यही सीडी4 (CD4) कोशिकाएं होती है और यह वायरस इन कोशिकाओं को संक्रमित करके नष्ट कर डालता है। इससे समग्र रोग प्रतिरोधक प्रतिरोधक प्रणाली में कमजोरी आ जाती है। सीडी4 (CD4) कोशिकाओं की घटती संख्या से रोग प्रतिरोधक प्रणाली के कमजोर होने और एचआईवी रोग के बढ़ने का संकेत मिलता है।

एचआईवी इन सीडी4 (CD4) सफेद रक्त कोशिकाओं को ढूंढता है, एचआईवी सीडी4 सेल के अंदर प्रवेश करता है और खुद की प्रतियां बनाता है। फिर, एचआईवी सीडी 4 सेल को मार देता है और नई एचआईवी प्रतियां अन्य सीडी 4 कोशिकाओं को अंदर आने और फिर से चक्र शुरू करने के लिए ढूंढती हैं।

एचआईवी वायरल लोड किसे कहते हैं? (Viral load)

वायरल लोड का मतलब होता है- प्रत्येक मिली लीटर खून में पाए जाने वाले वायरल कणों की संख्या। खून में वायरल कण की संख्या जितनी अधिक होगी उतनी ही तेजी से सीडी4 (CD4) टी कोशिकाओं के नष्ट होने की संभावना बनती है और उतनी ही तेजी से रोगी एड्स की ओर बढ़ता है।

 10000 से नीचे का वायरल लोड निचले स्तर का लोड माना जाता है। एक लाख से अधिक लोड उच्च लोड समझा जाता है। 

सीडी4 टी कोशिकाओं की गणना के साथ-साथ वायरल लोड परीक्षण का प्रयोग यह जानने के लिए किया जाता है कि रोग प्रतिरोधक प्रणाली किस प्रकार से वायरस का मुकाबला कर रही है। जैसे-जैसे शरीर के अंदर वायरस की संख्या बढ़ती जाती है वैसे वैसे ही वायरल लोड बढ़ता जाता है और एचआईवी सीडी4 (CD4) कोशिकाओं को नष्ट करता जाता है। जिससे इन कोशिकाओं की संख्या घटती जाती है। 
आमतौर पर एचआईवी वायरल लोड जितना अधिक होगा उतना ही अधिक सीडी4 (CD4) कोशिकाएं नष्ट होगी।

लक्ष्य यह होता है कि सीडी4 (CD4) कोशिकाओं की संख्या उच्च स्तर पर और वायरल वायरल लोड निम्न स्तर पर रखा जाए। सीडी4 (CD4) कोशिकाओं की की संख्या और वायरल लोड को देखकर रोगी और उसके डॉक्टर निर्णय ले सकेंगे कि एंटीवायरल उपचार कब शुरू किया जाए और इस उपचार के बाद रोगी में इसकी प्रतिक्रिया का आकलन किया जा सकेगा।

एड्स का उपचार (AIDS treatment)

एचआईवी और एड्स के इलाज के रूप में एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी यानी एआरटी (ART) दी जाती है, किंतु यह डॉक्टर के परामर्श से ही शुरू किया जाना चाहिए। बिना डॉक्टर की सलाह चला के अपने स्तर पर एड्स का ट्रीटमेंट शुरू नहीं किया जाना चाहिए। एड्स की दवाइयां तभी शुरू की जानी चाहिए जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम हो जाएगी।

विश्व एड्स दिवस (world aids day)

एड्स के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता हैं। हर वर्ष विश्व एड्स दिवस अलग अलग थीम पर आयोजित किया जाता हैं।
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