गुरुवार, अगस्त 6

हीमोग्लोबिन (Hb) और हीमोग्लोबिन टेस्ट करने की विधियां (hemoglobin estimation methods )

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हीमोग्लोबिन क्या हैं ?
हीमोग्लोबिन (hemoglobin) जिसे संक्षिप्त में Hb भी कह दिया जाता हैं, एक प्रकार का प्रोटीन होता हैं जिसका मुख्य अवयव आयरन होता हैं जिसे हेम भाग कहा जाता हैं जबकि दूसरा भाग ग्लोब्युलिन का होता हैं। 

यदि आप हीमोग्लोबिन सरचना को देखेगे तो इसे आसानी से समझ सकते हैं।

हीमोग्लोबिन के कार्य  

हीमोग्लोबिन का मुख्य कार्य शरीर में ऑक्सीजन का परिवहन करना हैं। अर्थात फेफड़ों से ऑक्सीजन शरीर के विभिन्न उतकों तक पहुचानें और विभिन्न उतकों से कार्बनडाईऑक्साइड का परिवहन फेफड़ों तक पहुचानें का कार्य हिमोग्लोबिन द्वारा किया जाता हैं।

हीमोग्लोबिन नार्मल रेंज कितनी होनी चाहिए?

हीमोग्लोबिन कितना होना चाहिए?
स्वस्थ रहने के लिए किसी भी व्यक्ति का हीमोग्लोबिन स्तर एक लेवल तक होना बहुत जरूरी होता है जिसे नार्मल लेवल कहा जाता हैं। 
आपका सवाल कि हीमोग्लोबिन नार्मल रेंज कितनी होनी चाहिए या हीमोग्लोबिन कितना होना चाहिए तो एक सामान्य पुरुष में हीमोग्लोबिन का स्तर 12 ग्राम से 16 ग्राम तक होना चाहिए। 
जबकि महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले कम हिमोग्लोबिन पाया जाता है। इस कारण महिलाओं में इसका स्तर 11 ग्राम से 16 ग्राम के बीच होना चाहिए। 

यदि किसी मे हीमोग्लोबिन स्तर कम होता हैं तो इसे एनीमिया कहा जाता है। जो कि कई प्रकार का होता है और कई लक्षणों के रूप में दिखाई देता है।

हीमोग्लोबिन नार्मल रेंज पुरूष 12-18 g/dl
                               महिला 11-16 g/dl

हिमोग्लोबिन की मात्रा के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता हैं।

हिमोग्लोबिन की मात्रा               एनीमिया का प्रकार
12g या अधिक                       एनीमिया नहीं
8-11 g/dl                             हल्का एनीमिया
6-7 g/dl                               मध्यम एनीमिया
4-5 g/dl                               गम्भीर एनीमिया
4 g/dl के कम                        खतरनाक एनीमिया

हीमोग्लोबिन टेस्ट प्राइस

एक अकेले हीमोग्लोबिन टेस्ट की कीमत 20 रुपये से 100 रुपये तक हो सकती हैं जो कि विभिन्न प्रयोगशालाओ पर निर्भर करता हैं।

हीमोग्लोबिन कम होने के कारण 

हीमोग्लोबिन कम होने के  कई कारण होते हैं जिसमें हैं-
आयरन की कमी
किडनी की खराबी
प्रोटीन और विटामिन की कमी
खून का बह जाना
शरीर द्वारा खून कम बनाना
पेट के कीड़े

हीमोग्लोबिन ज्यादा होने के कारण

जब शरीर में रक्त कोशिकाओं, जिसमें आरबीसी मुख्य हैं की संख्या सामान्य से अधिक हो जाता हैं तो उसे पॉलीसाईथिमिया (Polycythemia) कहा जाता हैं। 
जाहिर सी बात है जब आरबीसी की संख्या बढ़ेगी तो हीमोग्लोबिन भी अधिक होगा। इससे रक्त गाढ़ा हो जाता है जो कि कई अंगो की खराबी का कारण बन सकता है। पॉलीसाईथिमिया (Polycythemia) का मुख्य कारण उत्परिवर्तन होता हैं।

हीमोग्लोबिन टेस्ट करने की विभिन्न विधियां


1. साहली का एसिड हिमेटिन तरीका (Sahli Acid haemetin method of hemoglobin determination)


sahli-hemoglobinometer

सिद्धांत:- जब रक्त को हाइड्रोक्लोरिक एसिड (HCL) के साथ मिलाया जाता है तो RBC से हिमोग्लोबिन निकलकर HCL के साथ क्रिया करके एसिड हिमेटिन बनाता है। जाहिर सी बात है कि व्यक्ति में जितना हीमोग्लोबिन होगा उतना अधिक एसिड हिमेटिन बनेगा। यह एसिड हिमेटिन एक भुरे रंग का एक पदार्थ होता है जिसका मिलान दिए गए स्टैंडर्ड के साथ किया जाता है। 

रक्त नमूने का प्रकार 
EDTA मिश्रित रक्त या अंगुली से लिया गया कैपिलरी रक्त।

आवश्यक सामग्री:-
(1) साहली हीमोग्लोबिनोमीटर (sahli hemoglobinometer) यह एक प्लास्टिक का बना उपकरण होता है जिसके बीच में एक छिद्र होता है और दोनों तरफ स्टैंडर्ड लगा रहता है। 

sahli-hemoglobinometer



(2) साहली ट्यूब यह एक कांच की बनी ट्यूब होती है जिस पर दोनों और संख्या लिखी रहती है। एक तरफ 2 से 18 g/dl तक हीमोग्लोबिन लिखा रहता है दूसरी तरफ 20 से लेकर 140 तक मार्किंग की हुई होती है।

sahli-tube



(3) साहली पिपेट यह एक फिक्स पिपेट होती है जिस पर 20 माइक्रो लीटर ब्लड का चिन्ह बना रहता है इस चिन्ह तक रक्त  लिया जाता है।

(4) Lencet या pricking needle
(5) कांच की छड़
(6) N/10 हाइड्रोक्लोरिक एसिड (HCL)

N/10-HCL

हीमोग्लोबिन टेस्ट की विधि

1. सर्वप्रथम साहली ट्यूब में 20 नंबर तक N/10 हाइड्रोक्लोरिक एसिड (HCL) भरा जाता है। 
2. व्यक्ति का 20 माइक्रो लीटर रक्त का नमूना लिया जाता है। जो हाथ/अंगुली से लिया जा सकता है। इस नमूने को साहली ट्यूब में N/10 हाइड्रोक्लोरिक एसिड (HCL) के साथ मिलाया जाता हैं।
3. साहली ट्यूब को 10 मिनट तक रख दिया जाता है। इस दौरान RBC टूट जाती हैं और उसका का हिमोग्लोबिन बाहर निकल जाता है और इस हीमोग्लोबिन के साथ हाइड्रोक्लोरिक एसिड (HCL) क्रिया करके भूरे रंग का पदार्थ बनाता है। यदि इस समय को कम किया जाता है तो अभिक्रिया पूर्ण नहीं हो पाती और गलत परिणाम आने की संभावना रहती है।
4 इसके बाद ट्यूब में आसुत जल (Distilled Water) की एक-एक बूंद डाली जाती है और स्टैंडर्ड के साथ मिलान किया जाता है। बूंद तब तक डाली जाती हैं जब तक कि इस ट्यूब के द्रव का रंग स्टैंडर्ड के साथ मिलान नहीं हो जाता है। जब स्टैंडर्ड के तीनों ट्यूब का रंग एक समान हो जाता है तो ट्यूब पर दिये गए मार्क को देखकर निचले मिनिस्क्स  (meniscus) तक रीडिंग नोट कर ली जाती है। यही उस व्यक्ति का हीमोग्लोबिन होता है।

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गलती की संभावना
1. मीटर के साथ दी गई साहली पिपेट के स्थान पर अन्य पिपेट के प्रयोग ।
2. इन्क्यूबेशन समय 10 मिनट से कम समय रखना।
3. Distilled water दूषित होना।  
4. लंबे समय तक प्रयोग से स्टैंडर्ड खराब होना।
5. पानी की बूंद डालकर पूर्णतः मिक्स नहीं करना।
6. काँच की छड़ के साथ रीडिंग लेना।
7. आंखों की कमजोरी से रीडिंग लेने में गलती।
8. मिनिस्क्स के ऊपर की रिडिंग लेना।
9. रोशनी की कमी या अधिकता।


Advantage of sahli method

1. सरल उपकरण।
2. उपयोग करने के लिए विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं।
3. उपकरण के लिए बिजली की आवश्यकता नहीं इसलिए दूर दराज के इलाकों में भी उपयोग किया जा सकता है।
4.भरोसेमंद विधि जो कई वर्षों से उपयोग में ली जा रही हैं।
5. उपकरण की आसानी से उपलब्धता।

The disadvantage of Sahli method

1. हर स्टेप में गलती की संभावना।
2. वर्तमान में इसका उपयोग कम हो गया है।
3. इस विधि द्वारा हीमोग्लोबिन 1 g/dl तक कम बताया जा सकता हैं। क्योंकि सभी हीमोग्लोबिन एसिड हिमेटिन में परिवर्तित नहीं हो पाते हैं।

2. टालकिस्ट का तरीका  (Talliquist method) या हिमोचेक (Hemochek) कलर स्केल


Talliquist-method



इसका उपयोग तब किया जाता है जब लैब में हिमोग्लोबीनोमीटर की उपलब्धता नहीं होती है। क्योंकि इसका उपयोग केवल स्क्रीनिंग के लिए किया जाता है।  
अस्पताल/लैब में इसका प्रयोग नहीं किया जाता हैं। किंतु दूरदराज के इलाकों में एवं स्वास्थ्य विभाग के  विभिन्न शिविर में एक साथ अधिक मात्रा में हिमोग्लोबिन का पता करने के लिए इसका उपयोग व्यापक तौर पर किया जाता है और स्क्रीनिंग द्वारा कम हिमोग्लोबिन वाले का पता लगाकर उन्हें जांच हेतु लैब में भेजा जाता हैं।
sample-collection



आवश्यक उपकरण 
लैंसेंट
हीमोचेक टेस्ट स्ट्रिप
हिमोचेक कलर स्केल

haemoglobin



विधि (Test Procedure)
1. अंगुली से रक्त की एक बूंद ली जाती हैं। ध्यान रहे कि रक्त की पहली बूंद का प्रयोग नहीं करे क्योंकि इसमें tissue fuild उपस्थित होता है जो कि हीमोग्लोबिन की रीडिंग को प्रभावित कर सकते हैं। 

2. रक्त की दूसरी बूंद को होमोचेक स्ट्रिप पर ले लीजिए और 30 सेकंड का इंतजार कीजिए ताकि बूंद समान रूप से टेस्ट स्ट्रिप पर फैल जाए। 

3. रक्त की बूंद पर्याप्त रूप से 1 सेंटीमीटर में फैली हुई होनी चाहिए। इसलिए बूंद में रक्त की मात्रा पर्याप्त रखें। hemochech color scale के बीच दिए गए छेद में स्ट्रिप को रखकर दिये गए रंग से मिलान करके रीडिंग लीजिए। यदि स्ट्रिप का रंग ऊपर के कम और नीचे से अधिक लग रहा हो तो बीच की रीडिंग लेनी चाहिए।

Hemochek



Advantage 
प्रयोग करने में आसान।
किसी तकनीकी योग्यता की आवश्यकता नहीं।
कम खर्चीला


Disadvantages
हीमोग्लोबिन का निश्चिंत मान बताने में असफल 
लैब में प्रयोग नहीं किया जा सकता हैं।

Hemochek




सावधानियां
 1. रिजल्ट को पढ़ने के लिए उस जगह का चुनाव करें जहां पर पर्याप्त रूप से रोशनी की व्यवस्था हो।
2. किसी की परछाई में परिणाम को ना पढ़ा जाए या सीधी रोशनी जैसे सूरज की रोशनी पड़ती हो वहां पर इसका रिजल्ट ना पढ़ा जाए। 
3. रक्त की बूंद पर्याप्त रूप से 1 सेंटीमीटर में फैली हो। रक्त की कम मात्रा या अधिक मात्रा परिणाम को प्रभावित कर सकती है।

3. HemoCue Hb 301 analyzer द्वारा।

आधुनिक समय में हिमोग्लोबिन की जांच करना बहुत ही आसान हो गया है। इसके लिए बाजार में विभिन्न प्रकार के एनालाइजर मौजूद है, जो कि कम समय में सही सही हिमोग्लोबिन का रिजल्ट बता पाने में सक्षम है। उसी में एक प्रकार का एनालाइजर है। 
HemoCue Hb 301 

HemoCue-Hb-301



सिद्धांत
इसमें रक्त (whole blood) की absorbance को 506nm और 880nm पर पढ़ा जाता हैं और हीमोग्लोबिन का मान बताया जाता हैं।

आवश्यक उपकरण 
लैंसेंट
hemocue Hb 301 एनालाइजर
मायक्रोक्यूवेट



टेस्ट विधि ( Test Procedure)
1. अंगुली से रक्त की एक बूंद ली जाती हैं जिसमें पहली बूंद का प्रयोग नहीं किया जाता हैं क्योंकि इसमें tissue fuild उपस्थित होता है जो कि हीमोग्लोबिन की रीडिंग को प्रभावित कर सकते हैं। रक्त की दूसरी बूंद को क्युवेट की चोंच से छूने पर रक्त स्वतः ही कैपिलरी एक्शन द्वारा क्यूवेट में भर जाता हैं।

2. रक्त से भरी क्यूवेट को एनालाइजर में बनी जगह पर रखा जाता हैं और डोर को बंद किया जाता हैं।

3. बंद करने के 3 सेकंड के भीतर हीमोग्लोबिन का रिजल्ट स्क्रीन पर दिखाई देता हैं।


Advantage and Disadvantages

रक्त की अत्यधिक कम मात्रा का उपयोग
इसमें मानवीय गलती की संभावना कम से कम हो जाती हैं।
काफ़ी महंगा उपकरण है जिसकी प्रति टेस्ट की कीमत अन्य विधियों की तुलना में काफी अधिक है।
बैटरी या विद्युत चालित
आसानी से लाया ले जाया जा सकता है।
0-25 g/dl हीमोग्लोबिन लेवल बताने में सक्षम।

साइनमेथहीमोग्लोबिन विधि (Cynmethemoglobin method)


यह विधि बियर के नियम पर आधारित हैं, जिसमें रक्त को  Drabkin's solution के साथ मिलाया जाता हैं जिससे एक कलर वाला पदार्थ साइनमेथहीमोग्लोबिन (Cynmethemoglobin) बनता है। इसकी सांद्रता रक्त में उपस्थित हीमोग्लोबिन के बराबर होती हैं, जो कि 540nm की wavelenth पर मापकर पता किया जाता हैं।

आवश्यक उपकरण
टेस्ट ट्यूब
फोटोमीटर
20 माइक्रोलीटर की पिपेट 

Reagents

1. Drabkin's solution
Potassium cyanade (HCN).                     50 mg
Potassium ferricyanide (KFeCN6)       200 mg
Distilled water                                       1000 ml
2. स्टैंडर्ड (standard) 15g/dl

Drabkin's-solution



टेस्ट की विधि ( Test Procedure)
1. कांच की तीन टेस्टट्यूब लेंगे जिसमें
पहली ट्यूब को B (blank) के रूप में चिन्हित (मार्क) करेंगे और दूसरी ट्यूब को S (Stranded) के रूप में तथा तीसरी ट्यूब को T (Test) के रूप में मार्क करेंगे।
2. सभी टेस्ट ट्यूब में 5ml Drabkin's solution लेंगे। 
3. दूसरी टेस्टट्यूब S (Stranded) में 20 माइक्रोलीटर स्टैंडर्ड डालेंगे। और तीसरी टेस्टट्यूब T (Test) में 20 माइक्रोलीटर व्यक्ति का 20 माइक्रोलीटर ब्लड ऐड करेंगे।
4. अब 5 मिनट का इनक्यूबेशन समय पर रख देंगे। 5 मिनट के इंतजार के पश्चात रीडिंग लेंगे।  
5. अब पहली ट्यूब B (blank) के द्वारा colorimeter को जीरो पर सेट करेंगे।
6. दूसरी टेस्टट्यूब S (Stranded) के सोलुशन की ऑप्टिकल डेन्सिटी ( OD) लेंगे।
7. तीसरी टेस्टट्यूब T (Test) के सोलुशन की ऑप्टिकल डेन्सिटी ( OD) लेंगे।
8. अब इस फॉर्मूले में इन मान को रखकर हीमोग्लोबिन का मान प्राप्त कर सकते हैं।
Cynmethemoglobin-method


हीमोग्लोबिन बढ़ाने के उपाय

हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक मात्रा में हरी सब्जियों का उपयोग करना करना चाहिये साथ ही लाल रंग के फल जैसे सेव, अनार, गाजर, चुकन्दर आदि फलों का सेवन करना चाहिए‌‍।


हीमोग्लोबिन बढ़ाने की दवा

हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए किस प्रकार की दवाई का उपयोग करना है ये एस बात पर निर्भर करता है की उसे किस प्रकार का एनीमिया है अधिकतर मामलो में आयरन की पूर्ति के लिए आयरन की गोलियों का प्रयोग किया जाता हैं जो सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र में मुफ्त में दी जाती है इसके साथ ही आयरन और सुक्रोज इंजेक्शन भी दिया जा सकता है अन्य दवाई में मल्टी विटामिन बी कॉम्प्लेक्स आदि दिया जा सकता हैं


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