मंगलवार, जुलाई 28

कैसे होती है कोरोना की जांच । आरटीपीसीआर तकनीक (RTPCR Technique)

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आरटीपीसीआर तकनीक (RTPCR Technique)

कोरोनवायरस भारत सहित विश्व के तमाम देशों में जो COVID-19 बीमारी का कारण बना है कोरोना की जाँच के लिए RTPCR तकनीक उपयोग में ली जा रही है और सबसे विश्वसनीय भी है RTPCR तकनीक कोरोनावायरस का पता लगाने, ट्रैक करने और अध्ययन करने के लिए सबसे सटीक प्रयोगशाला विधियों में से एक है।

लेकिन यह आरटी-पीसीआर क्या है?  यह कैसे काम करता है?  इसके कितने चरण होते है? इन सबकी जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करेंगे।

कोविड-19 या कोरोना की जांच करने के क्रम में सबसे महत्वपूर्ण चरण है टेस्टिंग का अर्थात सैंपल में कोरोनावायरस की उपस्थिति है या नहीं । दूसरे शब्दों में की सैंपल कोरोनावायरस के लिए पॉजिटिव है या फिर नेगेटिव। और यह पता लगाने के लिए जो तकनीक काम में ली जाती है उसे पीसीआर (PCR) कहा जाता है। 
पीसीआर यानी पॉलीमरेज चैन रिएक्शन। अगर पीसीआर को एक लाइन में परिभाषित करने की कोशिश की जाए तो पीसीआर वह तकनीक है, जिससे डीएनए की लाखों-करोड़ों कॉपी तैयार की जाती है। इस तकनीक को समझने के लिए थोड़ा डीएनए (DNA) और आरएनए (RNA) को भी समझना पड़ेगा।

प्रत्येक सजीव कोशिका में अनुवांशिक पदार्थ के रूप में डीएनए या आर एन ए पाया जाता है और इसकी संरचना इस प्रकार से होती है।
dna-rna

संरचना में अंतर के अलावा इसमें नाइट्रोजनी क्षार का भी अंतर पाया जाता है। डीएनए में ऐडेनिन, गूएनिन, साइटोसिन और थाईमीन पाया जाता है वही आर एन ए में थाईमीन के स्थान पर यूरेसिल होता है, अन्य 3 नाइट्रोजनी क्षार समान होते हैं। अर्थात हम नाइट्रोजनी क्षार में बदलाव करके डीएनए से आरएनए और आरएनए से डीएनए बना सकते हैं।

अब हमारे पास एक समस्या है कि हम पीसीआर तकनीक में डीएनए की कॉपी बना सकते हैं आरएनए की नहीं। जबकि  हम जानते हैं कि कोरोनावायरस एक आरएनए वायरस है तो अब क्या करें ?  इसके लिए एक शब्द आता है ट्रांसक्रिप्शन transcription।  
डीएनए को आरएनए पॉलीमरेज एंजाइम की सहायता से आरएनए में परिवर्तित होता है तो उसे ट्रांसक्रिप्शन (transcription) कहा जाता है। 
किंतु हमें डीएनए से आरएनए मैं नहीं बल्कि आरएनए से डीएनए में परिवर्तित कराना है अर्थात इस प्रक्रिया को रिवर्स या उल्टा कराना पड़ेगा। इसमें हमें जिस चीज की आवश्यकता है वह है डीएनए पॉलीमरेस एंजाइम की। और इस प्रक्रिया को रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज (आरटी-पीसीआर ) कहा जाता है और अब हम पीसीआर की प्रक्रिया को काम में ले सकते हैं।

transcription

चीन में जब कोरोनावायरस ने दस्तक दी थी तो चीन ने उस पर काफी रिसर्च की और उसके बाद वायरस का जीनोम सभी के सामने रख दिया था। जीनोम अर्थात वायरस में कौन-कौन से जीन मौजूद है। 
कोरोनावायरस में ORF1a, ORF1b, S, M, N मुख्य जीन है। इन जीन में से किसी भी जीन का पता लगाकर कोरोना वायरस की उपस्थिति का पता लगाया जा सकता है और जो डायग्नोस्टिक किट होते हैं वह इसी आधार पर बने होते हैं। अर्थात कोई डायग्नोस्टिक किट S जीन का और कोई M जिनका का पता लगा कर परिणाम देता है तो कोई किसी अन्य जीन का।

चूंकि जीन एक सूक्ष्म सरंचना होती है और इसकी कम उपस्थिति हमारे टेस्ट की सत्यता पर संदेह प्रकट कर सकती है। इसलिए इसकी संख्या को बढ़ाकर इसकी बहुत सारी प्रतिलिपि तैयार की जाती है। और जिस मशीन के द्वारा इसकी प्रतिलिपि कॉपी तैयार की जाती है उस मशीन का नाम है पीसीआर मशीन। 

इस मशीन में वायरस के जिनोम की कॉपी डाल दी जाती है और निर्देशित किया जाता है कि इस प्रकार का कोई जिनोम या कोई जीन सैंपल में पाया जाता है तो उसकी प्रतिलिपि तैयार कर ले। 

यदि किसी सैंपल में उक्त जीनोम या जीनोम का भाग पाया जाता है तो उसकी प्रतिलिपि तैयार हो जाती है और अगर सैंपल में मशीन में डाले गए जिनोम के समान कोई जिनोम नहीं पाया जाता है तो उसे नेगेटिव करार दिया जाता है।
जीनोम की कॉपी तैयार करने का एक विशेष क्रम होता है जिसके द्वारा जोड़-तोड़ कर कॉपी तैयार की जाती है। यदि साधारण भाषा में बात की जाए तो तोड़ना जोड़ना और बनाना यह तीन क्रम होते हैं।

rtpcr-cycle

किसी भी जीनोम की कॉपी तैयार करने के कई सारे क्रम होते हैं । 
(1) डिनेचुरेशन (Denaturation) इसमें डीएनए को तोड़ा जाता है जिसके लिए उच्च तापमान की आवश्यकता होती है, लगभग 95 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है । 

(2) एनेलिंग (Annealing) इसमें डीएनए के भाग जो प्रथम क्रम में टूट गए थे पुनः आवश्यकता के अनुसार उपयोग में लिया जाता है और वापस जुड़ते हैं। इन्हीं जुड़ने के क्रम को एनेलिंग (Annealing) कहा जाता है। इसमें तापमान कम होकर 55 से 65 डिग्री तक हो जाता है। 

(3) एक्सटेंशन (extension) जिसमें डीएनए की चेन का पुनः विस्तार होताा है। 
तीन क्रम का एक चक्र होता है जो कि बार-बार चलता रहता है और प्रत्येक चक्र में प्रतिलिपि की संख्या बढ़ती जाती जाती है। 

इसमें पहले चक्र में 2, दूसरे चक्र में 4, तीसरे चक्र में 8, चौथे चक्र में 16,फिर 32... इस प्रकार से कॉपी तैयार होती जाती है । कॉपी तैयार करने के क्रम में कई और सामग्री भी उपयोग में आती है जैसे पॉलीमरेज, बफर, फ्लोरोसेंस डाई आदि।

pcr-cycle

इस प्रक्रिया में जैसे-जैसे चक्र चलते रहते हैं वैसे वैसे डाई (रंग) रिलीज होती रहती है। और इस डाई(dye) को एक कैमरे द्वारा डिटेक्ट कर लिया जाता है। और उसके कंप्यूटर सिस्टम में इसका एक ग्राफ बन जाता है। ग्राफ़ में इसके बढ़ते क्रम को नोट कर लिया जाता हैं। इसके द्वारा रिपोर्ट को पॉजिटिव या नेगेटिव दिया जाता है। इसमें केवल कोरोना ही नहीं बल्कि किसी भी वायरस का जीनोम मशीन में डाल दिया जाता है और उस जीन की यदि सैंपल में उपस्थिति होती है तो पता लगा कर रिपोर्टिंग की जाती है।

कोरोना की आरटी-पीसीआर जांच के लिए सैंपल 

कोरोना की आरटी-पीसीआर जांच के लिए नासोफेरींजल (Nasopharyngeal) नमूना जो नाक में लचीले शाफ्ट के साथ स्वैब का उपयोग करके नमूना एकत्र किया जाता है। अथवा गले (throat) में स्वैब (swab) डालकर नमूना एकत्र किया जाता है। अब स्वैब को सोखने के लिए कुछ  सेकंड के लिए छोड़ दिया जाता है और  स्वाब को घुमाते हुए धीरे-धीरे हटा दें। अब इस स्वाब स्टिक को वीटीएम (VTM) में डाल दिया जाता है


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