टीबी (TB) या Tuberculosis एक जानलेवा बीमारी है, जिससे प्रतिदिन हजारों लोग मौत के मुंह में चले जाते हैं। किंतु सही समय पर और पूरा इलाज लेने पर इस रोग की भयावहता को कम किया जा सकता है।
सुप्रसिद्ध बॉलीवुड के कलाकार अमिताभ बच्चन भी इस बीमारी से ग्रसित हो चुकेे हैं किंतु उन्होंने समय पर और पूरा इलाज लेने पर उन्होंने इस रोग से मुक्ति पाई है और केवल वो ही नहीं कई लाखों करोड़ो लोगो ने समय पर अपना इलाज शुरू करके अपने आप को टीबी से मुक्ति पाई है।
टीबी का कारण (TB treatment)
टीबी एक जीवाणु (bacteria) जनित रोग है जो mycobacterium tuberculosis नामक जीवाणु से होती है।
कोई भी व्यक्ति जब टीबी के लक्षणों के साथ डॉक्टर के पास जाता है, तो डॉक्टर उसे टीबी की जांच जिससे कफ, बलगम या स्पुटम जांच (sputam test) करवाने की सलाह दी जाती है।
यदि यह जांच पॉजिटिव होती है तो उसे माइक्रोबायोलॉजिकल कंफर्म (Microbiology confirm TB) टीबी कहा जाता है।
यदि उसकी बलगम (Sputum) की जांच नेगेटिव आती है और टीबी रोग के लक्षण बने रहते हैं तो डॉक्टर उसकी अन्य जांचें जैसे एक्स-रे, मोंटेक्स टेस्ट आदि करवाने की सलाह दी जाती है।
यदि डॉक्टर एक्स-रे, मोंटेक्स टेस्ट आदि के निरीक्षण के बाद यह पाता है कि उसका टीबी का ट्रीटमेंट (Treatment of TB) शुरू करना चाहिए तो उसे क्लीनिकल डायग्नोसिस (Clinical diagnosis TB) टीबी कहा जाता है।
किसी भी व्यक्ति का टीबी का इलाज शुरू करने से पहले एक और जांच करवाई जाती है जिसे सीबीनेट (CBNAAT) कहा जाता है। इस जांच से यह पता चलता है कि जो दवाई मरीज को दी जाएगी, वह किस हद तक काम करेगी। अर्थात दवाई उसके लिए ड्रग रेसिस्टेंट (Drugs Resistance) है या ड्रग सेंसिटिव।
ड्रग सेंसिटिव का अर्थ होता है कि वह ड्रग अर्थात दवाई टीबी के जीवाणु (bacteria) से निजात दिलाने में सक्षम है। और ड्रग रेसिस्टेंट का अर्थ होता है, टीबी का इलाज में दी जाने वाली दवाई टीबी के जीवाणु से लड़ने में सक्षम नहीं है बल्कि बैक्टिरिया दवाई पर हावी है।
ऊपर की सारणी में आप 2019 के टीबी डेटा देख रहे है जो भारत सरकार की ऑफिशियल वेबसाइट से लिये गए हैं। इसमे बताया गया है कि सीबीनेेेट के 346282 मामलों में 83 फीसदी H & R सेंसिटिव है अर्थात Rifampicin औऱ Isoniazid दवाई कारगर साबित हुईं हैं। और लगभग छह फीसदी मामलों में H Resistant यानि Isoniazid दवाई काम नहीं कर रही थीं जबकि 0.65 फीसदी मामलोंं में R Resistance हैं। यानि Rifampicin दवाई काम नहीं कर रही थीं। तथा 3.1 फीसदी मामले MDR TB के जिसमें 2 से अधिक दवाई काम नहीं कर रही थीं। इससे CBNAAT Test की उपयोगिता समझ में आती हैं।
टीबी का इलाज शुरू करने की प्रक्रिया
टीबी का इलाज (Tuberculosis treatment) शुरू करने के पहले उस व्यक्ति की nikshay portal पर रेजिस्ट्रेशन ID बनाई जाती हैं जिसमें व्यक्ति औऱ इलाज से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी उपलोड की जाती हैं।
उसके बाद उस मरीज का टीबी का इलाज शुरू किया जाता है जो कि एक निर्धारित समय का होता है। टीबी का इलाज की अवधि 6 माह या 9 माह का हो सकता है। इसका निर्धारण डॉक्टर द्वारा किया जाता है।
टीबी का इलाज को डॉट्स कहा जाता है। इसमें जो दवाई दी जाती है वह कई प्रकार की दवाइयों का मिश्रण होता है जिसका वर्णन हम आगे करने जा रहे है जो कि एक गोली (Tablet) के रूप में होता है।
आईपी या इंटेंसिव फेस (Intensive phase)
दवा की शुरुआती डोज जिसे आईपी या इंटेंसिव फेस (Intensive phase) कहा जाता है। इस प्रकार की दवाई में चार दवाई या ड्रग का मिश्रण होता है जो कि
Rifampicin 150 mg
Isoniazid 75 mg
Pyrazinamide 400 mg
Ethambutol hydrochloride 275 mg की होती हैं।
यदि किसी मरीज को दिन में तीन गोली दी जाती है तो इसका अर्थ हुआ कि 3x (150+75+400+275) mg अर्थात उस मरीज की एक दिन की दवाई की मात्रा 900mg X 3= 2700mg की होनी चाहिए।
सीपी या कंटिन्यूस फेज (Continuous phase)
आईपी या इंटेंसिव फेस (Intensive phase) समाप्त होने के बाद एक और बलगम (Sputum) की जांच करवाई जाती है। और आगे का ट्रीटमेंट जारी रखा जाता है।
दूसरी दवाई जिसे सीपी या कंटिन्यूस फेज (Continuous phase) कहा जाता है। इसमें तीन दवाइयों का मिश्रण होता है और इसमें Pyrazinamide नहीं होता है।
Rifampicin 150 mg
Isoniazid 75 mg
Ethambutol hydrochloride 275 mg
टेबलेट की संख्या पूर्व की भांति निर्धारित ही रहती है जो पहले ली जा रही थी। जैसे तीन गोली आईपी की दी जा रही थी तो तीन ही गोली सीपी को जारी रखा जाता है।
टीबी के मरीज को कितनी टेबलेट लेनी चाहिए ?
अब यह देखना है कि दवाई का निर्धारण किस प्रकार से होता है? अर्थात किस मरीज को कितनी टेबलेट लेनी है। किसी भी दवाई या टेबलेट का निर्धारण NTEP (पूर्व नाम RNTCP आरएनटीसीपी) की गाइडलाइन के अनुसार मरीज के वजन के अनुसार होता है।
वजन के अनुसार नीचे एक सारणी दी गई हैं जो कि गाइडलाइन के अनुसार हैं इसमें एक वयस्क के वजन के आधार पर प्रत्येक दिन दी जाने वाली गोली का विवरण हैं।
भार वर्ग |
गोली की संख्या |
25kg-34kg |
2
गोली |
35kg-49kg |
3
गोली |
50kg-64kg |
4
गोली |
65lkg-75kg |
5
गोली |
>75kg |
6
गोली |
बच्चों को दी जाने वाली दवाई का विवरण एक अन्य चार्ट में है जोकि इस प्रकार से है।
टीबी का इलाज एक बार शुरू करने के बाद बीच में अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए। इससे जो दवाई ली जा रही थी काम करना बंद कर देती है जिसे ड्रग रेसिस्टेंट कहा जाता है। ऐसा होने पर टीबी का इलाज करना दूभर या बहुत मुश्किल हो जाता है। इसलिए निर्धारित दवाई की मात्रा निर्धारित समय तक आवश्यक रूप से लेनी चाहिए, जिससे कि टीबी जड़ से खत्म होकर व्यक्ति को स्वस्थ कर सके।
टीबी का देशी इलाज
कई लोग टीबी का उपचार का पारंपरिक तरीके को ना अपनाकर टीबी का देशी इलाज का तरीका अपनाया जाता हैं। यह तरीका बिल्कुल ही अवैज्ञानिक हैं और टीबी के रोग से मुक्ति नहीं दिलाता है। इसलिए टीबी के उपचार का डॉट्स तरीका ही सर्वाधिक उपयुक्त है। किसी अन्य उपचार के झांसे में नहीं आये।
दवाई के दौरान अच्छा पोषण लेना चाहिए। इसके लिए फल हरी सब्जियां इत्यादि लेनी चाहिए। सरकार ने निक्षय पोषण योजना (nikshay poshan yojana) के तहत टीबी पेशेंट के पोषण का ध्यान रखने के लिए जो भी व्यक्ति टीबी का इलाज ले रहा है, उसके लिए इलाज के दौरान 500 रुपये हर माह डीबीटी के माध्यम से खाते में ट्रांसफर किये जाते हैं।
इसके अतिरिक्त टीबी और टीबी का इलाज से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए टोल फ्री नम्बर जारी किए गए हैं जहां पर आप एक फोनकॉल के माध्यम से पूछताछ कर सकते हैं।
टीबी के इलाज से संबंधित ये जानकारी आपको किसी लगी आप कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं औऱ आपका कोई सुझाव सादर आमंत्रित है।
धन्यवाद।।
गोली लेने के बाद पेट में दर्द रहता है।
जवाब देंहटाएंAgar kisi ne davaki ak nahi do corsh poora kar liya ho our tb thik n ho to kya kare
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