सोमवार, फ़रवरी 1

टीके, टीकाकरण और इसके प्रकार (Vaccine, Vaccination and its types)

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टीकाकरण क्या है(what is vaccination)

टीकाकरण (vaccination) कुछ बीमारियों के प्रति प्रतिरक्षा (immunity) बनाने का एक तरीका है। यह एक मारे गए या कमजोर रोगाणु की छोटी मात्रा का उपयोग करके किया जाता है जो उस बीमारी का कारण हैं।


टीकों (vaccines) की शुरुआत के बाद से कई गंभीर बीमारियों को नियंत्रण में लाया गया है। जिसमे से डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टेटनस जिसे सम्मिलित रूप से डीपीटी (DPT) कहा जाता है।

इंफ्लुएंजा, पोलियोरोटावायरसचिकनपॉक्स, हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा, हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, ह्यूमन पेपिलोमा वायरस(एचपीवी), खसरा, मम्स, रूबेला जिसे सम्मिलित रूप से एमएमआर (MMR) कहा जाता है, प्रमुख है।

टीके (vaccine) प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune systemको उत्तेजित करने के लिए इस तरह से प्रतिक्रिया करते हैं जैसे कि कोई वास्तविक संक्रमण था। यह रोग को दूर करता और रोगाणु को याद रखता है और यदि यह शरीर में फिर से प्रवेश करता है तो यह रोगाणु से लड़ सकता है।

टीकाकरण (vaccination) के माध्यम से प्रतिरक्षा (Immunity)

वैक्सीन (vaccine) में इसी वायरस (virus) या बैक्टीरिया (Bactria) का कुछ भाग होता है जो बीमारी का कारण नहीं बनते हैं, किंतु शरीर को यह एहसास करा देते हैं कि कोई बाहरी तत्व शरीर में प्रवेश कर चुका है। और शरीर उसके विरुद्ध एंटीबॉडी (Antibody)  तैयार कर लेता है। एक बार जब किसी व्यक्ति का टीकाकरण (vaccination) हो जाता हैतो विशिष्ट प्रतिरक्षा कोशिकाएं जिन्हें मेमोरी सेल (memory cells) कहा जाता हैभविष्य में उस बीमारी का फिर से सामना करने पर पुन संक्रमण को रोकते है हालाकि सभी टिके (vaccines) आजीवन प्रतिरक्षा (Immunity) प्रदान नहीं करते हैं। 


टेटनस जैसे टीकों (tetnus vaccine) को वयस्कों को प्रतिरक्षा (Immunity) बनाए रखने के लिए हर दस साल में बूस्टर खुराक की आवश्यकता होती है।


किसी भी उम्र में टीकाकरण (vaccination) बीमारी के खिलाफ सबसे लंबे समय तक चलने वालासबसे प्रभावी संरक्षण प्रदान करता है। बच्चों का समय पर टीकाकरण (vaccination) कराना महत्वपूर्ण है और उन्हें बीमारियों से लड़ने के लिए जितनी जल्दी हो सके उतनी सुरक्षा की जरूरत है।vaccination chart, vaccination schedule, vaccination schedule in Indiaटीकाकरण (vaccination) न केवल बचपन मेंबल्कि वयस्कता में भी महत्वपूर्ण हैताकि स्वस्थ उम्र को बढ़ावा देने में मदद मिल सके। ऐसा इसलिए है क्योंकि बचपन का टीकाकरण (vaccination)  कुछ रोगों जैसे टेटनस और डिप्थीरिया के खिलाफ आजीवन प्रतिरक्षा (Immunity) प्रदान नहीं करता है।


जिन वयस्कों को बचपन में टीकाकरण (vaccination) नहीं किया गया थाउन्हें रोगों से संक्रमण का खतरा हो सकता है। वे दूसरों को भी संक्रमित कर सकते हैं। उदाहरण के लिएजो वयस्क DPT से बीमार हो जाते हैंवे उन शिशुओं को संक्रमित कर सकते हैं जिनका अभी तक पूरी तरह से टीकाकरण (vaccination) नहीं हुआ हैं।


टीके के प्रकार (types of vaccines)

वैक्सीन को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा गया है
1. जीवित वैक्सीन (Live attenuated vaccine) और 
2. इनएक्टिवेटेड वैक्सीन (Inactivated vaccines या Killed vaccine)


जीवित वैक्सीन (Live attenuated vaccine)

जीवित वैक्सीन (Live vaccineमें कमजोर किए गए जीवित वायरस या बैक्टीरिया का उपयोग किया जाता है जो शरीर में इंजेक्ट करने के बाद ग्रो (grow) नहीं करते हैंबीमार नहीं करते हैं किंतु इम्यूनिटी जरूर प्रदान करते हैं। जैसे MMR वैक्सीन (MMR vaccine) जैसी वायरल वैक्सीन और बीसीजी जैसी बैक्टीरियल वैक्सीन। RotavirusSmallpoxChickenpoxYellow fever आदि जीवित vaccine के अन्य उदाहरण है
एक जीवित टीके (vaccine) से सक्रिय प्रतिरक्षा नहीं हो सकती है


जीवित टीके (vaccine) नाजुक होते हैं और क्षतिग्रस्त हो सकते हैं इसलिए उन्हें संभाला जाना चाहिए।
वैक्सीन का ही एक अन्य प्रकार Conjugative vaccines है। इसमें प्रोटीन और बैक्टीरिया के हिस्से को कंबाइंड करके तैयार की जाती हैं। जैसे हिब वैक्सीन (Haemophilus influenzae type b)
कोरोना के लिए टीकाकरण  (vaccination for coronavirus)यह एक निष्क्रिय टीका (killed vaccine) है जिसका अर्थ है कि यह मारे गए कोरोनाविरस से बना है। प्रत्येक को दो खुराक दी जाएगी। भारत बायोटेक ने कोरोनवायरस का एक नमूना इस्तेमाल कियाजिसे भारत के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी द्वारा अलग किया गया था।

जीवित टीकों की सीमाए (Limitations of Live vaccine)

यह गर्मी और प्रकाश द्वारा नष्ट हो सकते है इसलिए सही से कोल्ड चैन मेन्टेन द्वारा उन्हें ठंडा रखने की आवश्यकता है और ध्यान से संग्रहीत करने की जरुरत होती है।

क्योंकि इनमें कमजोर जीवित वायरस की थोड़ी मात्रा होती हैइसलिए कुछ कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को नहीं दी जा सकती है।

इनएक्टिवेटेड वैक्सीन (Inactivated vaccines या Killed vaccine)

इनएक्टिवेटेड वैक्सीन (Inactivated vaccinesया निष्क्रिय वैक्सीन में निष्क्रिय वायरस या बैक्टीरिया का उपयोग किया जाता हैजैसे कि पोलियो (polio)हेपेटाइटिस ए (Hepatitis A), रेबीज (Rabies) जैसी वायरल वैक्सीन  या  टाइफाइडप्लेग जैसी बैक्टीरियल वैक्सीन Inactivated vaccines के उदाहरण है

इनएक्टिवेटेड वैक्सीन (Inactivated vaccines) आमतौर पर जीवित टीकों की तरह मजबूत प्रतिरक्षा (सुरक्षा) प्रदान नहीं करते हैं। इनएक्टिवेटेड वैक्सीन (Inactivated vaccinesको हमेशा कई खुराकों की आवश्यकता होती है। सामान्य तौर परपहली खुराक सुरक्षात्मक उत्पादन नहीं करती है लेकिन दूसरी या तीसरी खुराक के बाद विकसित होती है। एंटीबॉडी (Antibody) टाइटर्स समय के साथ कम हो जाते हैं। इसलिए कुछ निष्क्रिय हो गए टीकों को समय के साथ (बूस्टर शॉट्स) की आवश्यकता होती हैं ताकि बीमारियों के खिलाफ प्रतिरक्षा प्राप्त कर सकें। उनका उपयोग लगभग सभी लोगों पर किया जा सकता हैजिन्हें उनकी आवश्यकता हैजिनमें कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं शामिल हैं।

 

टॉक्सोइड वैक्सीन (Toxoid vaccines) में जीवाणु द्वारा उत्पादित एक निष्क्रिय विष होता है। यह प्रोटीन आधारित या पॉलिसैकेराइड आधारित वैक्सीन होती है जो हीट या केमिकल के माध्यम से निष्क्रिय की जाती है। उदाहरण के लिएडिप्थीरिया (Diphtheria) और टेटनस टीके (Tetanus vaccine) टॉक्सोइड टीके (vaccine) हैं।

काफी रिसर्च के बाद भारत सहित कुछ देशो ने कोरोना के लिए टीके (corona virus vaccine) की खोज कर ली है। भारत ने दो vaccine की खोज की है जो कोवीशील्ड (covishield) और कोवैक्सीन (covaccine) नाम से है। जिसमे से कोवीशील्ड (covishield) आम जनता को देना शुरू कर दिया है जिसमे सर्वप्रथम स्वाथ्य्कर्मियो को दी जा रही है

ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेने का वैक्सीन का निर्माण दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा स्थानीय स्तर पर किया जा रहा है। वैक्सीनजिसे कोविशिल्ड के नाम से जाना जाता हैचिम्पांजी के सामान्य कोल्ड वायरस (एडेनोवायरस के रूप में जाना जाता है) के कमजोर संस्करण से बनी है।


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