गुरुवार, जनवरी 14

डी-डाईमर टेस्ट (d-dimer) कोरोना में भूमिका

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डी-डाईमर टेस्ट क्या है? (what is d dimer test)                      

यह एक रक्त परीक्षण है जिसमे डी-डाईमर (D dimer) नामक पदार्थ का पता लगाया जाता है। डी-डाईमर (D-dimerएक प्रोटीन है जो फाइब्रिनोलिसिस (fibrinolysis) के दौरान फाइब्रिनोजन (fibrinogen) और फाइब्रिन (fibrin) के टूटने से बनते हैं। यह रक्त के थक्के (blood clot) के निर्माण में काम आते है। जब शरीर में कही पर भी कट या चोट लगती है तो रक्त बहने लगता है। इस बहते रक्त को रोकने के लिए शरीर थक्के (clot) का निर्माण करता है। जब इस थक्के के कारण रक्त बहना रूक जाता है तो यह (clot) धीरे-धीरे नष्ट होने लगता हैं जिसके परिणाम फलस्वरूप थक्के में मौजुद डी-डाईमर (D-dimer) रक्त के साथ देखा जा सकता है

डी-डाईमर टेस्ट (D dimer test) क्यों कराया जाता है?

यदि आपके डाक्टर को संदेह है कि आपके शरीर में एक खतरनाक रक्त का थक्का (blood clot) है तो डॉक्टर आपको यह टेस्ट कराने की सलाह दे सकते है। रक्त का थक्का (blood clot) निम्न परिस्थितियों में हो सकता है-
1. डीप वैन थ्रोम्बोसिस (Deep vein thrombosis-DVT)
2. पल्मोनरी एम्बोलिस्म (Pulmonary embolism-PE)
3. डीसेमिनेटेड इंट्रावेस्कुलर कोगुलेशन (Disseminated intravascular coagulation-DIC)


1. डीप वैन थ्रोम्बोसिस (Deep vein thrombosis-DVT)

यदि रक्त का थक्का (blood clot) जो एक रक्त नलिका या शिरा (vein) में बनता है, उसे DVT कहा जाता है। एक  DVT  पैरों में सबसे अधिक पाया जाता है। 
इनके लक्षणों में शामिल हैं:

पैरो में सूजन (Swelling of the foot)
पैरो में दर्द या कोमलता (tenderness)
पैरो में लालीमा (Redness of foot)
 

2. पल्मोनरी एम्बोलिस्म (Pulmonary embolism-PE)

यदि थक्का (clot) फेफड़ों में चला जाता है,  तो पल्मोनरी इम्बोलिस्म (Pulmonary embolism) कहा जाता है। फेफड़ों में थक्का, रक्त के प्रवाह को रोक सकता है जो मौत का कारण हो सकता है। 
इनके लक्षणों में शामिल हैं:

साँस लेने में कठिनाई

खांसी (खांसी के साथ खून आना)

दिल की तेज़ धड़कन

सीने में दर्द

पसीना आना

बेहोशी।
 

3. डीसेमिनेटेड इंट्रावेस्कुलर कोगुलेशन (Disseminated intravascular coagulation-DIC)

यह इंट्रावास्कुलर थ्रोम्बिन बनना, फाइब्रिन बनना और फाइब्रिनोलिसिस (fibrinolysis) में वृद्धि से पहचाना जा सकता है। यह infectious/inflammatory रोगों, घातक नियोप्लाज्म (malignant neoplasms) ट्रोमा (trauma) या प्रसूति संबंधी रोगों (obstetric diseases), लंबे समय तक चलने में सक्षम नहीं होना  उदाहरण के लिए अस्पताल में भर्ती होने से या कार आदि द्वारा लंबी यात्राएं करने वालो के साथ यह देखा जाता है।
 

डी-डाईमर टेस्ट कैसे किया जाता है? (how is d dimer test performed?)

डी-डाईमर टेस्ट (D-dimer test) करने के लिए vain से रक्त (blood) लिया जाता है। सभी cogulation टेस्ट की तरह ही इसमे 3.8% sodium citrate anticogulate वाली ट्यूब में blood लिया जाता है। इसे सेंट्रीफ्यूज (centrifuse) करके प्लाज्मा से टेस्ट को लगाया जाता है। सैंपल लेने के दो घंटो के भीतर सैंपल सेंट्रीफ्यूज (centrifuse) हो जाना चाहिए। इसमे देरी से टेस्ट परिणाम में गलतियों की संभावना बढ़ जाती है।
 

डी-डाईमर टेस्ट (D-dimer test) करने की विधिया

प्रारंभिक टेस्ट मुख्य रूप से गुणात्मक लेटेक्स स्लाइड एग्लूटिनेशन (qualitative latex slide agglutination) आधारित थे, जो डी-डाईमर (D dimer) के लिए विशिष्ट मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के साथ लेपित लेटेक्स माइक्रोपार्टिकल्स(latex microparticle) का उपयोग करते थे। ये स्लाइड-आधारित लेटेक्स एग्लूटिनेशन टेस्ट तेज और सस्ते हैं, लेकिन महत्वपूर्ण नैदानिक स्थितियों, विशेष रूप से Deep vein thrombosis (DVT) और Pulmonary embolism (PE) में डी-डाईमर (D dimer) का पता लगाने के लिए उनके पास पर्याप्त संवेदनशीलता की कमी है। इसलिए, मोनोक्लोनल एंटीबॉडी assays को अन्य अधिक संवेदनशील और विशिष्ट तरीकों द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है।

मात्रात्मक एलिसा (Quantitative ELISA) को डी-डाईमर (D dimer quantitative) टेस्ट के लिए मानक (standred) माना जाता है, लेकिन टेस्ट करने में समय लगता है। इस विधि में डी-डाईमर (D dimer) के लिए उच्च आत्मीयता बंधन वाले एंटीबॉडी (high-affinity binding for D-dimers) के साथ लेपित माइक्रो टाइटर वेल (microtiter wells) में प्लाज्मा को लोड करना शामिल है। इन्क्यूबेशन (incubation) के बाद एक लेबल एंटीबॉडी जोड़ा जाता है, और लेबल किए गए पदार्थ की मात्रा को कलोरीमीटर (colorimetric) के माध्यम से मापा जाता है।

हाल ही में, तीव्र देखभाल सेटिंग्स के लिए कई रैपिड, पॉइंट-ऑफ-केयर डी-डाईमर (D-dimer) assays विकसित किए गए हैं जो विभिन्न प्रकार की कार्यप्रणाली का उपयोग करते हैं।
 

डी-डाईमर का सामान्य मान क्या है? (What is d-dimer normal range)

(d dimer range या d dimer level)
डी-डाईमर का सामान्य मान 200 ng/ml से कम होना चाहिए, जिसे 0.2 µg/mL या 0.20mg/L भी लिखा जा सकता है। हालाकि सभी लैब की अपनी अपनी सामान्य range होती है, जिसे 500 ng/ml तक बढ़ाया जा सकता है।

यदि किसी का टेस्ट रिजल्ट सामान्य मान में या इससे कम है तो उसे नेगेटिव माना जाता है। 

यदि किसी का टेस्ट रिजल्ट सामान्य मान से अधिक आता है तो उसे पॉजिटिव माना जाता है। एक पॉजिटिव डी-डाईमर (D-dimer) परीक्षण का मतलब यह नहीं है कि आपके पास रक्त का थक्का है। यदि आपका थक्का होने की संभावना अधिक है, तो उसके लिए आपको जांच के लिए अन्य टेस्टिंग की आवश्यकता होगी।


पॉजिटिव टेस्ट निम्न परिस्थितियों में भी संभव है-

सर्जरी  या चोट- उदाहरण के लिए पथरी का ऑपरेशन या गंभीर चोट जैसे किसी एक्सीडेंट में एक पैर टूटा हो

कुछ कैंसर में

यकृत रोग (liver disease)

दिल का दौरा (heart attack)

cogulation disorder

गंभीर संक्रमण

सेप्सिस

सूजन

दुर्दमता (malignancy)

सामान्य गर्भावस्था के दौरान या हाल ही में प्रसव हुआ हो, तो भी डी-डाईमर (D dimer) का स्तर बढ़ जाता है लेकिन बहुत उच्च स्तर, जटिलताओं (complication) के साथ जुड़ा होता हैं। हालाँकि डी-डाईमर (D dimer) का मान DVT/PE की तुलना में कम ही बढ़ता है।

संवेदनशीलता (senstivity) के मामले में डी-डाईमर (D dimer) टेस्ट एक अच्छा टेस्ट है किन्तु इसकी विशिष्टता खराब है अर्थात कही मामलों में ये पॉजिटिव हो सकता है जिससे हम किसी अंतिम परिणाम तक नहीं पहुच सकते है किसी रोग की पुष्टि नहीं कर सकते है। लक्षणों वाले डी-डाईमर (D dimer) टेस्ट पॉजिटिव लोगों को सीटी एंजियोग्राफी द्वारा अंतिम नतीजे पर पंहुचा जा सकता है।

जब डीआईसी उपचार (treatment) की निगरानी करने के लिए उपयोग किया जाता है, तो घटते स्तर बताते हैं कि उपचार (treatment) प्रभावी है जबकि बढ़ते स्तर संकेत दे सकते हैं कि उपचार काम नहीं कर रहा है।


 

कोरोनो में डी डाइमर टेस्ट की भूमिका (d dimer in covid, d-dimer covid)


वर्तमान में कोरोना (covid19) के कारण यह टेस्ट चर्चा में है तो डी-डाईमर टेस्ट (D dimer test) का कोरोना में क्या भूमिका है? अध्ययन में पाया गया है कि कोरोना से संक्रमित एक तिहाई मामलो में देखने में आया है कि ये पल्मोनरी इम्बोलिस्म (Pulmonary embolism) से पीड़ित थे जिसके कारण इनमे साँस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण दिखाई डे रहे थे। जो इनकी मौत का कारण बने। इस लिहाज से कोरोना (covid19) में इस टेस्ट को किया जाने लगा। 

हालाकि इस टेस्ट से कोरोना वायरस का पता नहीं लगाया जा सकता है। बल्कि clot की संभावनाओ को जांचा जाता है केवल कोरोना (covid19) वायरस में ही डी-डाईमर टेस्ट (D dimer test) की उपयोगिता सिद्ध नहीं होती है बल्कि इससे पहले वर्ष 1918 में स्पेनिस फ्लू (Spanish Flu) की महामारी में मरीज़ो में रक्त के थक्के जमने के मामले देखे गए थे, जिनसे बहुत ही जल्दी व्यक्ति की मृत्यु तक हो सकती थी।

कुछ अन्य वायरस जैसे एचआईवी (HIV), डेंगू (Dengue), इबोला (Ebola) आदि भी रक्त जमने जैसे हानिकारक प्रभावों के लिये जाने जाते हैं। हालाँकि कोरोना (covid19) में थक्के जमने की तीव्रता अन्य संक्रमणों की तुलना में कई गुना अधिक है।

 

डी डाइमर टेस्ट की कीमत (d dimer test cost)

डी-डाईमर टेस्ट (D dimer test) की कीमत 800 रूपये से 1500 रूपये तक हो सकती है
 

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