शुक्रवार, मार्च 5

मधुमेह क्या है ? diabetes के कारण, लक्षण, सामान्य मान और इसके प्रकार

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डायबिटीज क्या है ? (what is diabetes)

मानव शरीर में एक अंग पाया जाता है जिससे अग्नाशय (pancreas) कहा जाता है। अग्न्याशय (Pancreas) एक जटिल अंग है जो बाह्य स्रावी एवं अन्तःस्रावी ग्रंथि (exocrine and endocrine) दोनों का कार्य करता है । 


अग्न्याशय ग्रहणी (duodenum) के दो पदों के मध्य स्थित होता है। इस ग्रंथि का अधिकांश भाग बाह्य स्रावी प्रकार का होता है तथा पाचक-एन्जाइमों युक्त अग्नाशयी-रस का निर्माण करता है जो अग्न्याशयी वाहिका (pancreatic duct) द्वारा ग्रहणी में पहुँचता है। अग्न्याशय में कुछ विशेष प्रकार की कोशिकाएँ भी होती हैं जो लैंगरहैंस की द्वीप कोशिकाए (islets of langerhans) कहलाती हैं।

लेंगरहेन्स द्वीप की कोशिकाओं से स्रावित हॉर्मोन सीधे ही रक्त द्वारा अन्य हॉर्मोनों की तरह स्थानान्तरित होते हैं। 

इसमें तीन प्रकार की कोशिकाएं पाई जाती है।

अल्फा कोशिकाएं (alpha cells)

बीटा कोशिकाएं (beta cells)

डेल्टा कोशिकाएं (Delta cells)


इन कोशिकाओं में से अल्फा कोशिकाएं (alpha cells) एक प्रकार के हार्मोन का स्त्रवण करती है जिसे इंसुलिन (Insulin) कहा जाता है। इसी प्रकार बीटा कोशिकाओं (beta cells) द्वारा ग्लूकागोन (Glucagon) नामक हार्मोन का स्त्रवण किया जाता है। यह हार्मोन एक दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं।

इन्सुलिन रुधिर में उपस्थित शर्करा को ग्लाइकोजन (glycogen) में बदलता है । ग्लाइकोजन पानी में अविलेय है एवं यकृत में संचित रहती है । ग्लूकेगोन हॉर्मोन ग्लाइकोजन को पुनः आवश्यकतानुसार ग्लूकोज में बदलता है । जब रुधिर में इन्सुलिन की मात्रा कम हो जाती है तो ग्लूकोज ग्लाइकोजन में नहीं बदलता है जिसके फलस्वरूप भोजन के पाचन से बना ग्लूकोज रक्त में रहता है एवं मूत्र के साथ नेफ्रोन में छन जाता है। नेफ्रोन इस अधिक मात्रा का पुनः अवशोषण नहीं कर सकता है एवं व्यक्ति मधुमेह (diabetes melitis) का रोगी हो जाता है। स्वस्थ व्यक्ति के 100ml रुधिर में 90 मि. ग्राम ग्लूकोज होता है। मधुमेह रोगी के मूत्र के साथ शर्करा भी निकलती है।



अब सवाल उठता है कि शुगर का सामान्य मान क्या होता है?

एक सामान्य व्यक्ति का 12 घंटे भूखे रहने के बाद शर्करा स्तर 80 से लेकर 110 तक होना चाहिए। इसी प्रकार खाना खाने के 2 घंटे बाद जिसे PP Blood Sugar कहा जाता है, का अधिकतम मान 150 तक होना चाहिए। तीसरे प्रकार का शुगर जिसे रैंडम ब्लड शुगर (random blood sugar) कहा जाता है, का मान 80 से 120 तक होना चाहिए।

इस स्तर के न्यूनतम स्तर के बाद ग्लूकागोन (Glucagon) कार्य करता है और अधिकतम स्तर के बाद इंसुलिन काम करता है।


Types of blood sugar

Normal blood sugar levels

Fasting blood sugar

80- 110 mg/dl

PP Blood sugar

80-150 mg/dl

Random blood sugar

80 - 120 mg/dl


कई व्यक्तियों में अग्नाशय ग्रंथि में इंसुलिन के कम स्त्रवण से शरीर में शुगर की मात्रा को सामान्य स्तर तक नहीं बनाए रखा जाता है जिससे रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ी हुई रहती है जिसे मधुमेह (diabetes) कहा जाता है।

ब्लड के साथ यूरिन में भी शुगर टेस्ट किया जा सकता हैं। मधुमेह के रोगी का यूरिन टेस्ट आसान होता है । इसे हम घर पर भी कर सकते हैं। एक टेस्ट ट्यूब में 5 मि.ली. बेनेडिक्ट का विलयन लिया जाता हैं। इसमें रोगी के मूत्र की 8 बून्दें डालते हैं और इस मिश्रण को गरम करते हैं। विलयन का रंग पीले से ईंट के समान लाल हो जाता है तो मूत्र में शुगर की उपस्थिति का परिचायक है।


यह मधुमेह (diabetes) शरीर में कहीं लक्षणों के साथ प्रकट होती है। रक्त में शुगर की जांच के द्वारा ही डायबिटीज (diabetes) का पता लगाया जा सकता है। किंतु जब शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ने लगती है तो शरीर कुछ लक्षणों को प्रदर्शित करता है जिसके आधार पर हम अनुमान लगा सकते हैं कि व्यक्ति को अपनी शुगर का स्तर पता करना चाहिए। इस प्रकार के लक्षणों में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं।

 

मधुमेह के सामान्य लक्षण (diabetes symptoms)

जब रक्त में ग्लूकोज (glucose) स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है तो मेडिकल भाषा में इसे हाइपरग्लाइसीमिया (Hyperglycemia) कहा जाता है अर्थात रक्त में शुगर का सामान्य से अधिक मान। इस स्थिति में बढ़े हुए शुगर को रक्त से निकालने के लिए किडनी द्वारा पेशाब के साथ निकालने की कोशिश की जाती है जिससे व्यक्ति में बार-बार पेशाब आने की संभावना रहती है इसे पोलीयूरिया (polyurea) कहा जाता है। यह डायबिटीज का दूसरा लक्षण है। जब व्यक्ति बार-बार पेशाब के लिए जाता है तो व्यक्ति में पानी की कमी हो जाती है। इस कारण व्यक्ति को बार-बार प्यास लगेगी जिसे (polydipsia) कहते हैं। यह डायबिटीज का तीसरा लक्षण है।

इस स्थिति में आप देखेंगे कि व्यक्ति के रक्त में ग्लूकोज की मात्रा सामान्य से अधिक तो है किंतु वह ग्लूकोज शरीर की कोशिकाओं तक नहीं पहुंच पा रहा है। अर्थात शरीर को ऊर्जा नहीं मिल पा रही है। इस कारण शरीर में थकान (fatigue) महसूस होगी। यह डायबिटीज का एक और लक्षण है।

 

डायबिटीज के प्रकार (types of diabetes)

टाइप वन डायबिटीज (type 1 diabetes) या Insulin-Dependent Diabetes Mellitus (IDDM)

इसे इन्सुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस (insulin-dependent diabetes mellitus-IDDM) कहा जाता है। इसे जुवेनाइल ओनसेट डायबिटीज भी कहा जाता है। यह बीटा सेल की ऑटोइम्यून डिस्ट्रक्शन (autoimmune Distraction) की वजह से या अनुवांशिक कारण या किसी रसायन या वायरस की वजह से भी हो सकती है। अधिकतर मामलों में यह कम उम्र में ही दिखाई देने लग सकती है किंतु यह किसी भी उम्र में हो सकती है। डायबिटीज के मरीजों में से 5-10% डायबिटीज के मरीज इस प्रकार की डायबिटीज की श्रेणी में आते हैं।

टाइप 1 मधुमेह (type 1 diabetes) को इन लक्षणों से पहचान सकते हैं

अत्यधिक भूख (polyphasia)

बढ़ी हुई प्यास (polydipsia)

अनजाने में वजन कम होना (weight loss)

लगातार पेशाब आना (polyurea)

धुंधली नज़र

थकान (fatigue)

 

टाइप टू डायबिटीज (type 2 diabetes) या Noninsulin-Dependent Diabetes Mellitus (NIDDM)

डायबिटीज का दूसरा प्रकार नॉन इन्सुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस (Non insulin-dependent diabetes mellitus-NIDDM) कहा जाता है। यह अधिकतर वयस्क व्यक्तियों में देखी जाती है। इस प्रकार की डायबिटीज अधिकतर मोटापे के साथ देखी जाती है। यह डायबिटीज अनुवांशिक कारण, किसी रसायन या वायरस की वजह से हो सकती है। इस प्रकार की डायबिटीज किसी भी उम्र में देखी जा सकती है किंतु अधिकतर 40 वर्ष की उम्र के बाद देखी जाती है। डायबिटीज के मरीजों में से 90% से अधिक में इस प्रकार की डायबिटीज देखी जाती है।

टाइप 2 मधुमेह (type 2 diabetes) को इन लक्षणों से पहचान सकते हैं:-

बढ़ी हुई प्यास (polydipsia)

पेशाब में वृद्धि (polyurea)

धुंधली नज़र

थकान (fatigue)

घाव भरने में समय लगना 



गर्भावस्था में डायबिटीज  (Gestational diabetes)

डायबिटीज (diabetes) का तीसरा प्रकार जिससे गेस्टेशनल डायबिटीज (gestational diabetes) कहा जाता है। यह अधिकतर गर्भवती महिलाओं में देखी जाती है। यह डायबिटीज केवल गर्भावस्था के समय ही दिखाई देती है। इस प्रकार की डायबिटीज में गर्भावस्था के दौरान रक्त शुगर का लेवल बढ़ जाता है। 

गर्भावधि मधुमेह (Gestational diabetesवाली अधिकांश महिलाओं में कोई लक्षण नहीं होते हैं। इस स्थिति का अक्सर नियमित ब्लड शुगर टेस्ट या ओरल ग्लूकोज टोलोरैंस टेस्ट जिसे जीटीटी टेस्ट (GTT) भी कहा जाता है, के द्वारा पता लगाया जाता है जो आमतौर पर गर्भधारण के 24 वें और 28 वें सप्ताह के बीच किया जाता है।



इस प्रकार की डायबिटीज निम्न कारणों से दिखाई दे सकती है। 

  • ख़राब ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म (abnormal glucose metabolism)
  • ख़राब गर्भधारण (poor reproduction history)
  • डायबिटीज की पारिवारिक पृष्ठभूमि (family history)
  • जीवित मृत बच्चों का जन्म (still birth)
  • 4 kg या इससे अधिक वजन के बच्चों का जन्म।

 

मधुमेह रोग पर नियन्त्रण : 

मधुमेह का पूर्ण उपचार नहीं हो सकता है, अतः बचाव आवश्यक है। व्यक्ति के खान-पान का इस रोग पर प्रभाव पड़ता है । एक निश्चित आयु के बाद अधिक शर्करा युक्त पदार्थों का सेवन न्यून मात्रा में करना चाहिये। 

मधुमेह रोगी को उचित योग एवं प्रातः कालीन भ्रमण करना चाहिये।

आलू, चावल, मिठाइयाँ, आइसक्रीम को पूर्ण रूप से बन्द कर देना चाहिये। 

अत्यधिक मीठे फल जैसे केला, अंगूर, चीकू आदि का उपयोग न्यून मात्रा में करना चाहिए। 

जौ एवं चने के आटे को गेहूँ के आटे के साथ मिलाकर इसकी बनी रोटियाँ खानी चाहिये । 

चिकित्सक के परामर्श से औषधियों का नियमित सेवन करना चाहिए।

रोग के ज्यादा बढ़ जाने पर चिकित्सक की सलाह से इन्सुलिन के इन्जेक्शन भी नियमित रूप से लगाने चाहिये। 

इस रोग से धीरे-धीरे वृक्क, आँखे भी खराब हो जाते हैं ।

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