शुक्रवार, जून 11

यूरिन रीजेंट्स स्ट्रिप्स द्वारा मूत्र की जाँच (urine test by reagent strips)

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यूरिन एनालायसिस (urine analysis) टेस्ट आमतौर पर कई टेस्टों का मिश्रण होता है, जिसमे भौतिक, रासायनिक और माइक्रोस्कोपिक टेस्ट शामिल है। इन सभी टेस्टों की करने के लिए विशेष योग्यता की जरुरत होती है और समय भी अधिक लगता है इस सभी से बचने के लिए एक अन्य विधि भी है जिसमे बड़ी आसानी से यह टेस्ट किया जा सकता है। इसमे किसी विशेष योग्यता की भी जरुरत नहीं होती है, जिसे कोई भी कर सकता है। इस विधि को यूरिन रीजेंट्स स्ट्रिप्स विधि कहा जाता है इसमे यूरिन रीजेंट्स स्ट्रिप्स द्वारा मूत्र की जाँच की जाँच की जा सकती है  


यूरिन रीजेंट्स स्ट्रिप्स द्वारा मूत्र की जाँच (urine test by reagent strips)

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टेस्ट का सिदान्त 

यूरिन रीजेंट्स स्ट्रिप्स को जब मूत्र में डुबोया जाता है तो उस पर मौजुद reagent मूत्र में उपस्थित पदार्थ के साथ क्रिया करके रंग उत्पन्न करता है 

उस रंग का मिलान स्ट्रिप्स के साथ दिए गए कलर स्केल के साथ मिलान करके रिजल्ट को पढ़ा जा सकता है।


सैंपल का प्रकार

मूत्र या यूरिन (urine)


टेस्ट का तरीका (Test procedure)

एक टेस्ट ट्यूब में 5 ml फ्रेश मूत्र का सैंपल लिया जाता है। ध्यान रहे कि यूरिन को सेंट्रीफ्यूज नहीं करना है।

एक टेस्ट स्ट्रिप्स को निकालकर मूत्र में एक बार डुबोकर निकाल दिया जाता है।

स्ट्रिप्स पर लगे अतिरिक्त मूत्र को एक टिश्यूपेपर की सहायता से स्पर्श करवाकर सोख लिया जाता है।

अब रीजेंट्स स्ट्रिप्स के पेरामीटर के अनुसार दिए गए समय में बारी-बारी से रंग का मिलान करके रिजल्ट को पढ़ा जा सकता है।

अब एक एक करके इन पैरामीटर की इम्पोर्टेन्ट के बारे में जानते है।

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एस्कोर्बिक एसिड (Ascorbic acid in urine)

विटामिन सी (Ascorbicacid) का बहुत अधिक मात्रा में सेवन करने से मूत्र में ऑक्सालेट की मात्रा बढ़ जाती हैजिससे गुर्दे की पथरी बनने का खतरा बढ़ जाता है। एस्कोर्बिक एसिड यूरिन स्ट्रिप्स पर लगे reagent अभिकर्मक के साथ क्रिया में हस्तक्षेप करता है। 

यदि मूत्र में एस्कोर्बिक एसिड उपस्थित होता है तो अन्य पैरामीटर का परिणाम पढ़ते समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए।

जब मूत्र सैंपल में एस्कॉर्बिक एसिड का स्तर high होता हैतो रक्तग्लूकोजनाइट्राइट और बिलीरुबिन के लिए Urine स्ट्रिप्स ठीक से प्रतिक्रिया नहीं कर सकते हैं।

मूत्र (Urine) में एस्कोर्बिक एसिड की उपस्थिति में टील्मन्न अभिकर्मक (Tillmann's reagent) का रंग परिवर्तित करता है। 

एस्कोर्बिक एसिड की मात्रा के अनुसार रंग नीले हरे से गुलाबी लाल रंग का होता है।

इसका रीडिंग टाइम 30 सेकंड है और इसके द्वारा मिनिमम 5-10 mg/dl तक की मात्रा को डिटेक्ट किया जा सकता है


ग्लूकोज (glucose in urine)

सामान्यतया मूत्र (urine) में ग्लूकोज (glucose) अनुपस्थित होता है किंतु मधुमेह या डायबिटीज होने पर ग्लूकोज की मात्रा यूरिन के साथ स्त्रावित होने लगता हैजो कि मधुमेह का संकेत है।

यह GOD/POD सिदान्त पर आधारित होता है, जिसमें यदि यूरिन में ग्लूकोज उपस्थित होता है तो यह ऑक्सिकृत होकर ग्लुकोनिक एसिड और हाइड्रोजन-पर-ऑक्साइड में बदल जाता है।

 हाइड्रोजनपरऑक्साइड पोटेसियम आयोडाइड (KI) के साथ क्रिया करके हरे से भूरे रंग का प्रोडक्ट बनाता है। रंग में परिवर्तन 30 सैकेंड तक पढ़ा जा सकता है। इसके द्वारा मिनिमम 50-100  mg/dl  तक की मात्रा को डिटेक्ट किया जा सकता है।

यह टेस्ट स्ट्रिप विशेष रुप से ग्लूकोज की उपस्थिति को दर्शाता है, ग्लूकोज के अलावा अन्य कोई भी दूसरा पदार्थ पॉजिटिव रिजल्ट नहीं दे सकता है। जैसे कीटोनलेक्टोसगेलेक्टोजफ्रक्टोज और कुछ redusing substance (जैसे Salicylates, nalidixic acid) आदि।

अधिक स्पेसिफिक ग्रेविटी और अधिक एस्कॉर्बिक एसिड की उपस्थिति से इस टेस्ट की सेंसिटिविटी कम होने लगती है।


बिलीरुबिन (bilirubin)

सामान्यतः मुत्र में बिलीरुबिन अनुपस्थित होता है। पीलिया के कारण बिलीरुबिन यूरिन में देखा जा सकता है। मुत्र में बिलीरुबिन अम्लीय माध्यम में बिलीरुबिन डाइक्लोरोएनिलिन के साथ क्रिया करके रंगीन पदार्थ बनाता है जो गुलाबी रंग का होता है। 

क्योंकि मुत्र में बिलीरुबिन अनुपस्थित होता है इस कारण गलत नेगेटिव परिणाम नहीं आता है  किन्तु कुछ ड्रग जैसे क्लोरोफॉर्म या rifampen जो false positive रिजल्ट दे सकते हैं।

एस्कॉर्बिक एसिड की अधिक मात्रा टेस्ट की सवेदनशीलता (senstivity) को कम करता है इसका रीडिंग टाइम 30 सेकंड है। और इसके द्वारा मिनिमम 0.4-0.8 mg/dl तक की मात्रा को डिटेक्ट किया जा सकता है।

कीटोन सामान्यता यूरिन में कीटोन अनुपस्थित होता है इसमे किटोंन नाइट्रोप्रुसाईड और एसिटो एसिटिक एसिड से क्रिया करके कीटोन की मात्रा के आधार पर गुलाबी से बैंगनी रंग उत्पन करता है यूरिन में इनकी उपस्थिति असामान्य कार्बोहाइड्रेट मेटाबोलिज्मफिजियोलॉजी स्ट्रेस (जैसे गर्भवस्था मेंअधिक समय तक भूखे रहने और भारी एक्सरसाइज करने पर) में भी देखी जा सकती है।

इसके द्वारा ऐसीटोन और बीटा-हाइड्रोक्सी को डिटेक्ट नहीं किया जा सकता हैयूरिन में अधिक मात्रा में पिगमेंट्स और कुछ पदार्थ जिसमे सल्फाहायड्रिल समूह होता हैपॉजिटिव रिजल्ट दे सकते हैं इसका रीडिंग टाइम 40 सेकंड है और इसके द्वारा मिनिमम 2.5-5 mg/dl तक की मात्रा की डिटेक्ट किया जा सकता है


स्पेसिफिक ग्रेविटी (Specific gravity of urine)

पानी की स्पेसिफिक ग्रेविटी (S.g.) 1.000 होती है मूत्र की सामान्य स्पेसिफिक ग्रेविटी (S.g.) की सीमा 1.005 से 1.030 है मूत्र की अधिक स्पेसिफिक ग्रेविटी यह संकेत दे सकती है कि मूत्र में अतिरिक्त पदार्थ हैंजैसे: ग्लूकोजप्रोटीन आदि हो सकते है।

कम स्पेसिफिक ग्रेविटी (<1.005) डायबिटीज इन्सिपिडस (diabetesinsipidus) एक्यूट ट्यूबलर नेक्रोसिस (acutetubularnecrosis) या पाइलोनफ्राइटिस (pyelonephritis) की विशेषता है।

निश्चित स्पेसिफिक ग्रेविटी (SG1.010) गंभीर गुर्दे की क्षति (severerenaldamage) के साथ क्रोनिक ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस (chronic glomerulonephritis ) में होती है।

इसका रीडिंग टाइम 45 सेकंड है और इसके द्वारा मिनिमम 1.000 तक की मात्रा को डिटेक्ट किया जा सकता है।


रक्त (Blood in urine) 

यह हिमोग्लोबिन की परऑक्सीडेज क्रिया पर आधारित टेस्ट है जिसमे यूरिन में मायोग्लोबिनहिमोग्लोबिनया टूटी लाल रक्त कणिकाओ की उपस्थिति मूत्र स्ट्रिप्स का रंग गुलाबी से हरे नीले रंग में परिवर्तन के रूप में दर्शाती है। एक मिनट में हरे स्पॉट (spot) या हरे रंग का उत्पन्न होना महत्वपूर्ण है यूरिन का अधिक pH टेस्ट की सेंसिटिविटी को कम करता है जबकि अधिक एस्कॉर्बिक एसिड की उपस्थिति कलर को बनने से रोकती है।

UTI के साथ microbialperoxides की उपस्थिति falsepositive रिजल्ट दे सकता है  टूटी लाल रक्त कणिकाओ की उपस्थिति के मुकाबले में यह टेस्ट हिमोग्लोबिन और मायोग्लोबिन के प्रति विशेषत: सेंसिटिव है। इसका रीडिंग टाइम 1 मिनट है।


पीएच  (pH of urine)

यूरिन का औसत ph 6.होता हैजो 4.5 से 8 तक हो सकता है। किन्तु एक नवजात के मूत्र का pH 5-7 होता है।  pH के अनुसार रंग में कई परिवर्तन हो सकते हैजो पीले हरे से नीले रंग में विभिन्नताएं देखी जा सकती है।

यदि मूत्र में स्ट्रिप्स को डूबाने का सही तरीका नहीं अपनाया जाता है और अतिरिक्त मूत्र स्ट्रिप्स पर ही रहता है तो प्रोटीन बफर pH एरिया पर आकर गलत कम pH दे सकता है। इसका रीडिंग टाइम 1 मिनट है।

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प्रोटीन (Protein in urine) 

यूरिन में प्रोटीन की स्थिति किडनी प्रॉब्लम को बताती है यूरिन में स्ट्रिप्स को डुबाने के पश्चातकिसी हरे रंग की उपस्थिति प्रोटीन की उपस्थिति को दर्शाती है 

यह टेस्ट एल्ब्यूमिन के प्रति विशेष रुप से सेंसिटिव है और हिमोग्लोबिनग्लोब्युलिन और म्युकोप्रोटीन के प्रति कम सेंसिटिव है फाल्स पॉजिटिव रिजल्ट भी प्राप्त किया जा सकता है

यदि यूरिन अमोनियम उत्पाद या क्लोरहेक्सिडिन से कंटैमिनेशन है अधिक स्पेसिफिक ग्रेविटी भी गलत नकारात्मक परिणाम दे सकते हैं। इसका रीडिंग टाइम 1 मिनट है


यूरोबिलिनोजन (Urobilinogen in urine) 

इस टेस्ट में अम्लीय माध्यम में Enhrlich reagent यूरोबिलिनोजन के साथ क्रिया करके गुलाबी रंग उत्पन करता है

1 mg/dl से कम यूरोबिलिनोजन की उपस्थिति उपस्थिति सामान्य मानी जाती है।  2 mg/dl से अधिक यूरोबिलिनोजन (Urobilinogen) की उपस्थिति चिकित्सकीय रूप से महत्वपूर्ण है 

यूरिन में फोर्मेलिन की उपस्थिति गलत नेगेटिव परिणाम दे सकती है p-aminosalicylic acid और sulfonamides Enhrlich reagent के साथ क्रिया करके गलत पॉजिटिव परिणाम दे सकती है इसका रीडिंग टाइम 1 मिनट है


नाइट्राइट (Nitrite)

यूरिन में उपस्थित ग्रामनेगेटिव बैक्टीरिया नाइट्रेट को नाइट्राइट में बदल देता है इसके द्वारा नाइट्राइट की उपस्थिति को पहचाना जाता है।

मूत्र में सामान्यतया ऐसा अन्य कोई पदार्थ नहीं है जो नाइट्राइट के अलावा पॉजिटिव रिजल्ट दे सकता है गुलाबी से लाल रंग की उपस्थिति नाइट्रेट की उपस्थिति को दर्शाती है।

किन्तु उत्पन्न रंग का अनुपात मूत्र में उपस्थित बैक्टीरिया के समानुपात नहीं होता है एस्कॉर्बिक एसिड 30 mg/dl से अधिक की उपस्थिति फाल्स नेगेटिव रिजल्ट दे सकती है

सही परिणाम के लिए टेस्ट से 3 दिन सभी एंटीबायोटिक को बंद कर देनी चाहिए इसका रीडिंग टाइम 1 मिनट है


ल्यूकोसाईट (pus cells in urine)

यूरिन टेस्ट स्ट्रिप टेस्ट में सबसे अंतिम में पढ़ा जाने वाला रिजल्ट ल्यूकोसाईट का है जो कि 60  से 120 सेकेंड के बाद पढ़ा जा सकता है, ताकि सही कलर उत्पन्न हो सके। 

उत्पन्न रंग का अनुपात मूत्र (Urine) में उपस्थित ल्यूकोसाईट (Leukocyte) के समानुपाती होता है 

उच्च स्पेसिफिक ग्रेविटी (S.g.) और उच्च यूरिन ग्लूकोज की मात्रा कम ल्यूकोसाईट (Leukocytes) का कारण बन सकता है 

कुछ एंटीबायोटिक की उपस्थिति कम या गलत रिजल्ट दे सकती है। यह आरबीसी और बेक्टेरिया से क्रिया नहीं करता है


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