मंगलवार, अक्तूबर 5

ईसीजी वेव की उत्पति कैसे होती है ? (ECG waves)

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ईसीजी (ECG) की इलेक्ट्रिक एक्टिविटी को समझने से पहले हार्ट की संरचना और एसए नोड (SA Node) और एवी नोड (AV Node) के बारे में जानना आवश्यक है। जैसा कि आप जानते हैं हार्ट के चार चेंबर होते हैं जिसमें दो एट्रिया (atria) और दो वेंट्रीकल (ventrical) लेफ्ट और राइट होते हैं।

एक ईसीजी मशीन द्वारा मोटे तौर पर हार्ट की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को रिकॉर्ड किया जाता है। पारंपरिक रूप से ईसीजी के मुख्य वेव को P,Q,R,S,T,U नाम दिया गया है। हर एक वेव हार्ट की डिपोलराइजेशन (Depolarization) और रिपोलराइजेशन (Repolarization) को बताता है।





डिपोलराइजेशन (Repolarization) इलेक्ट्रिक डिस्चार्ज को और रिपोलराइजेशन (Repolarization) इलेक्ट्रिक रिचार्ज को बताता है।

वोल्टेज में परिवर्तन को ईसीजी मशीन द्वारा रिकार्ड किया जाता है। यहां तक कि बहुत छोटा सा परिवर्तन भी मिली वोल्ट (mv) में दर्ज किया जाता है। जितना अधिक वोल्टेज जनरेट होगा उतनी ही अधिक वेव की साइज होगी।


पी वेव की उत्पत्ति (p-wave)

नार्मल हार्ट में एक धड़कन की शुरूआत एसए नोड (SA Node) के डिस्चार्ज यानी डिपोलराइजेशन से शुरू होती है। एसए नोड (SA Node) के डिपोलराइजेशन से किसी बड़ी वेव की उत्पत्ति नहीं होती है जो कि ईसीजी मशीन रिकॉर्ड कर सके। 

हालांकि special intracardiac recorder के उपयोग द्वारा इसे नोट किया जा सकता हैं। पहली वेव तब दिखाई देती है जब एसए नोड (SA Node) से इंपल्स एट्रिया (atria) में प्रवाहित होते हैं। इससे पी वेव (p-wave) की उत्पत्ति होती है।

एट्रिया की दीवारे अपेक्षाकृत कम मोटी होती हैं, इस कारण एट्रियल डिपोलराइजेशन (atrial depolarization) से कम वोल्टेज की उत्पत्ति होती है जिससे पी वेव (p-wave) छोटी होती है। 

aVR को छोड़कर सभी लीड्स में पी वेव (p-wave) पॉजिटिव डिफलेक्शन अर्थात ऊपर की ओर बनती हैं।
 

पीआर इंटरवल (PR interval)

इलेक्ट्रिकल इंपल्स एट्रिया में प्रवाहित होने के बाद राइट एट्रिया के नीचे स्थित एवी नोड (AV Node) की ओर प्रवाहित होते हैं। एवी नोड के माध्यम से ही इलेक्ट्रिकल इंपल्स वेंट्रीकल (ventrical) में पहुंचते हैं।

एवी नोड (AV Node) के एक्टिव होने से किसी वेव की उत्पत्ति नहीं होती है जो ईसीजी मशीन रिकॉर्ड कर सके इसलिए पी-वेव (p-wave) और उसके बाद बनने वाली Q या R वेव के मध्य में समय अंतराल आ जाता है, जिसे पी आर इंटरवल (PR interval) कहा जाता हैं।

डिपोलराइजेशन वेव को अपनी उत्पत्ति से एसए नोड, एट्रिया और एवी नोड के माध्यम से वेंट्रिकुलर मसल में गुजरने में लगने वाले समय को पी आर इंटरवल (PR interval) कहा जाता है। 

इसे पी वेव के शुरू होने से लेकर आर वेव के शुरू होने तक मापा जाता है। यह ईसीजी पेपर के तीन से पांच छोटे बॉक्स के बराबर होता है।


क्यूआरएस काम्प्लेक्स (QRS Complex)

इंपल्स एवी नोड में पहुंचने के बाद हिज के बंडल (bundles of his) में प्रवेश करते हैं जो दायी और बायीं शाखा में विभाजित होते है। 
यहां पर करंट सामान्यतः बंडल ब्रांच में लेफ्ट से राइट की ओर होता है जोकि QRS Complex में फर्स्ट डिफलेक्शन के रूप में देखा जाता है।

यदि QRS Complex में फर्स्ट डिफलेक्शन नीचे की ओर अर्थात नेगेटिव होता है तो इसे क्यू वेव (Q wave) कहा जाता है। 

यदि फर्स्ट डिफलेक्शन ऊपर की ओर अर्थात पोजिटिव होता हैं तो इसे आर वेव (R wave) कहा जाता है। 

आर वेव के बाद नेगेटिव डिफलेक्शन को एस वेव (s-wave) कहा जाता है।

जिस प्रकार पी वेव एट्रियल डिपोलराइजेशन को बताता है उसी प्रकार QRS Complex वेंट्रीकल डिपोलराइजेशन (ventrical depolarization) को बताता है। QRS Complex पॉजिटिव है या नेगेटिव यह इस पर निर्भर करता है कि आर वेव बड़ी है या एस वेव।


टी वेव (T wave)

आर वेव के बाद टी वेव (T wave) की उत्पति होती हैं जो वेंट्रिकल के रिपोलराइजेशन को अर्थात रिचार्जिंग को बताता है। एक सामान्य टी वेव पॉजिटिव डिफ्लेक्शन दर्शाती है।


एसटी सेगमेंट (st-segment)

एसटी सेगमेंट (st-segment) वह छोटी सी अवधि होती है जिसमें हार्ट को कोई इलेक्ट्रिक करंट उपलब्ध नहीं होता है। इसे एस वेव की समाप्ति से टी वेव की शुरुआत तक माना जाता है। 

हार्ट अटैक के निदान में एसटी सेगमेंट में विशेष रुप से रूचि ली जाती है। क्यूटी इंटरवल वेंट्रिकल के एक्टिव होने और सामान्य आराम की स्थिति में आने के लिए लगने वाले कुल समय को मापता है।

इस प्रकार से ecg के इस भाग में आपने समझा कि ecg में वेव की उत्पति कैसे होती है और उसका क्या अर्थ होता है ?
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