हीमोसाइटोमिट्री (Haemocytometry)
हीमोसाइटोमिट्री (haemocytometry) शाखा के अंतर्गत रक्त कोशिकाओं का अध्ययन किया जाता है। अर्थात इस में रक्त कोशिकाओं जैसे लाल रक्त कणिका (RBC), श्वेत रक्त कणिका (WBC) और प्लेटलेट्स का वेट माउंट (wet mount) द्वारा मात्रात्मक (quantitative) मापन किया जाता है।
हीमोसाइटोमिट्री शब्द का अर्थ है -
हीमो = रक्त (blood)
साइट = सेल (cells)
मिट्री = मापन (measurement)
○सिद्धांत
जब किसी थक्कारोधी या एंटीकोगुलेंट (anticoagulant ) ब्लड को किसी निश्चित मात्रा में किसी डेल्युटिंग फ्लूड (diluting fluids) के साथ मिक्स करके उसे एक चेंबर में रखा जाता है, जिसे न्यूबार काउंटिंग चेंबर (neubauer counting chamber) कहा जाता है। इस चेंबर में कुछ ग्रिड (grids) बने होते हैं। जिसमें अलग-अलग सेल्स के लिए अलग-अलग चेंबर बने हुए होते हैं। उस पर कवर स्लिप लगाकर ग्रिड में देखा जाता है। इस चेंबर में उन कोशिकाओं को निश्चित ग्रिड में गिना जाता है। और जो भी सेल गिनी जाती है उसको एक फार्मूले में रखकर अंतिम परिणाम प्राप्त किया जाता है ।
टीएलसी टेस्ट (TLC Test) या डब्ल्यूबीसी काउंट (WBC count) या टीएलसी काउंट (TLC Count)
(tlc meaning and tlc full form)
TLC का अर्थ है-टोटल ल्यूकोसाइट्स काउंट। ल्यूकोसाइट्स को श्वेत रक्त कणिका (wbc) भी कहते है। इसका हम विस्तार से वर्णन करेंगे
○ रक्त सैंपल का प्रकार
○ रिएजेंट (Reagents)
टीएलसी टेस्ट (TLC Test) करने के लिए डब्ल्यूबीसी डेल्युटिंग फ्लूड (WBC diluting fluids) या ट्रक सलूशन (Turk fluids) का उपयोग किया जाता है जिसमें शामिल है-
ग्लेशियल एसिटिक एसिड (Glacial Acetic acid) 2 ml
डिस्टिल्ड वाटर (D/W) 97 ml
जेनसन वॉयलेट (Gention violet) 1 ml
ग्लेशियल एसिटिक एसिड जो कि लाल रक्त कणिकाओं को नष्ट (Lyse) कर देती है और डाई (dye) या स्टैंन(stain) के रूप में मिथाइल ब्लू (methylene blue) या जेनसन वॉयलेट (Gentian violet) का उपयोग किया जाता है।
मिथाइल ब्लू सोलुशन (methylene blue solution) बनाने के लिए 0.3 ग्राम मिथाइल ब्लू को 100 ml डिस्टिल्ड वॉटर (distilled water ) में घोला जाता है। और छानकर उपयोग में लिया जाता है।
मिथाईलीन ब्लू (methylene blue) के स्थान पर 1% जेनसन वॉयलेट (1% Gentian violet w/v) स्टैंन का उपयोग किया जाता है जो कि इस डब्ल्यूबीसी डेल्युटिंग फ्लूड (WBC diluting fluids) में 1ml मात्रा में उपयोग में लिया जाता है।
○ टीएलसी टेस्ट (TLC Test) करने के लिए आवश्यक सामग्री
(1) माइक्रोस्कोप (microscope)
(2) इंप्रूव न्यूबार काउंटिंग चेंबर (haemocytometer or improved neubauer counting chamber)
यह कांच की बनी एक मोटी स्लाइड होती है जिसके बीच में दो चेंबर बने हुए होते हैं। इस चेंबर पर रसायन द्वारा ग्रिड बनाया जाता है जो कि इस प्रकार दिखाई देता है।
एक स्लाइड में 2 ग्रिड बने हुए होते हैं। जिसमें आरबीसी (RBC) डब्ल्यूबीसी(WBC) और प्लेटलेट (PLATLETS) के लिए खाने बने हुए होते हैं। इन खानों में सेल्स को काउंट किया जाता है। दोनों चेंबर के बीच में एक खाई बनी हुई होती है, जो कि दोनों चेंबर को एक दूसरे से अलग करती है। एक साथ दो खानो में टेस्ट किया जा सकता है।
(3) कवर स्लिप (Cover glass/cover slip)
इस चेंबर पर एक कांच की पट्टी रखी जाती है, जिसे कवर स्लिप (cover slip) कहा जाता है। यह कांच की पतली सी परत होती है जो चेंबर पर रखा जाता है जो कि द्रव को बनाए रखती है ।
(4) डब्ल्यूबीसी पीपेट (wbc pipette)
रक्त सैंपल को लेने और WBC diluting fluids को मिलाने के लिए इस पीपेट का का उपयोग किया जाता है। यह कांच की और रबर की बनी हुई एक लंबी नली होती है। कांच की नली पर 0.5 मार्क और 1 मार्क बना हुआ होता है। और बीच में एक बल्ब लगा होता है जिसमें सफेद रंग का एक मनका होता है । यह रक्त और WBC Diluting fluid को मिश्रित करने में काम आता है। बल्ब के बाद एक और मार्किंग होती है जो कि 11 तक होती है और उसके बाद रबड़ का बैंड आता है, जिसका अंतिम सिरा सफेद रंग का माउथपीस के साथ खत्म होता है। सफेद रंग का मनका और सफेद माउथपीस बताता है कि यह पीपेट डब्ल्यूबीसी काउंट (WBC count) के लिए है। 0.5 मार्क तक ब्लड और 11 मार्क तक wbc fluid लेने पर इसमें 20 का dilution प्राप्त होता है।
○ टीएलसी टेस्ट का सिद्धांत (Principle of TLC Test)
इस टेस्ट में रक्त को 20 गुना डब्ल्यूबीसी (WBC Diluting fluid) के साथ मिलाया जाता है जोकि लाल रक्त कणिकाओं को लाइज (lyse) कर देती है और श्वेत रक्त कोशिकाओं (wbc) के केन्द्रक को नीला रंग प्रदान करती है। इन रक्त कणिकाओं को 10X पर माइक्रोस्कोप में न्यूबार काउंटिंग चेंबर द्वारा चारों कोनों पर बने डब्ल्यूबीसी (wbc) खानों में सेल्स को गिना जाता है और अंतिम परिणाम को फार्मूले से प्राप्त किया जाता है।
○ टीएलसी टेस्ट (TLC Test Procedure)
1. टीएलसी टेस्ट (TLC Test) को करने के लिए किसी व्यक्ति का रक्त को डब्ल्यूबीसी पीपेट (wbc pipette) द्वारा 0.5 मार्क रक्त लिया जाता है।
2. उसके बाद 11 मार्क तक wbc diluting fluid लिया जाता है ।
3. इसे अच्छी तरीके से मिलाकर 5-10 मिनट के लिए छोड़ दिया जाता है ताकि लाल रक्त कणिकाओं (rbc) का नाश हो सके और श्वेत रक्त कणिकाएं (wbc) नीला रंग प्राप्त कर सके ।
4. उसके पश्चात डब्ल्यूबीसी पीपेट (wbc pipette) से कुछ बूंदें निकाल दी जाती है क्योंकि आगे का भाग रक्त के साथ मिश्रित नहीं होता है ।
5. इसके पश्चात डब्ल्यूबीसी पीपेट (wbc pipette) द्वारा द्रव की एक बूंद बनाई जाती है और कवर स्लिप लगे न्यू बार काउंटिंग चेंबर से बूंद को स्पर्श कराने पर कैपिलरी एक्शन द्वारा द्रव्य अपने आप चेंबर में लोड हो जाता है।
Bulk dilution method
अन्य तरीके में जिसे Bulk dilution method कहते हैं। इसमें 3.80 ml Diluting fluid लिया जाता है। और 20 माइक्रोलीटर रक्त को एक टेस्ट ट्यूब में मिला कर रखा जाता है। और यह 20 का dilution प्रदान करता है और इसकी एक बूंद चेंबर में लोड की जाती है।
द्रव्य को चेंबर में लोड करते समय ध्यान रखें कि द्रव्य चेंबर के ऊपर से होकर दूसरे चेंबर तक नहीं पहुंचना चाहिए और न ही द्रव्य की बूंद इतनी छोटी होनी चाहिए कि चेंबर को पूरा ढक ही नहीं पावे।
6. इस चेंबर को कुछ समय के लिए छोड़ दिया जाता है ताकि कोशिकाएं अपना स्थान ग्रहण कर सकें उसके पश्चात लो पावर (Low power) पर डब्ल्यूबीसी (wbc) के खानों को देखा जाता है।
7. कोनो पर बने 4 डब्ल्यूबीसी (wbc) खानों में श्वेत रक्त कणिकाओं (wbcs) को गिना जाता है। एक डब्ल्यूबीसी का खाना 16 छोटे खानों में बटा होता है।
8. ऊपर के पहले खाने से कोशिकाओं को गिनना शुरू किया जाता है और 16 खानों तक गिना जाता है। इसी प्रकार से चारों बड़े डब्ल्यूबीसी खानों को गिना जाता है। और इन चारों खानों में प्राप्त कोशिकाओं को फार्मूले में रखा जाता है।
कोशिकाओं को गिनते समय यह ध्यान रखा जाता है कि खाने के कोने में लाइन के ऊपर पड़ी कोशिकाओं को केवल 2 साइड में ही गिना जाता है। अर्थात 4 खानों में से किसी भी दो खानों की लाइन के ऊपर पड़ी कोशिकाओं को गिना जाता है और अन्य को छोड़ दिया जाता है।
○ टीएलसी टेस्ट (TLC Test) करने का फार्मूला इस प्रकार से है-
○ डब्ल्यूबीसी काउंट का सामान्य मान (tlc test normal range)
जन्म के समय = 10,000-25000/cumm
1 से 3 साल = 6000-18000/cumm
4 से 7 साल = 6000-15000/cumm
8 से 12 साल = 4500-13500/cumm
वयस्क =4000- 10000/cumm
○ ल्यूकोसाइटोसिस (leucocytosis) और ल्यूकोपेनिया (leucopenia)
यदि किसी में श्वेत रक्त कोशिकाएं (wbc) सामान्य से अधिक हो जाती है तो उसे ल्यूकोसाइटोसिस (leucocytosis) कहा जाता है। यह किसी बैक्टीरियल संक्रमण में, वायरल संक्रमण में, पैरासाइट संक्रमण में और ल्यूकिमियां में देखा जाता है।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें