बुधवार, जून 16

प्रमुख यौन रोग (एसटीडी) कारण, लक्षण, उपचार और नियंत्रण उपाय

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यौन रोग किसे कहते हैं?

यौन रोग (sex disease) उन रोगों को कहते हैं जो पहले से यौन जनित संक्रमण (sexual transmitted disease) से ग्रस्त किसी व्यक्ति के साथ सेक्सुअल इंटरकोर्स (जो योनि, मुख, गुदा मैथुन) करने वाले व्यक्ति को लग जाते हैं। पुरुषों और महिला दोनों को ही प्रभावित करने वाले यौन रोगों  की संख्या 20 से अधिक है। इसे एसटीडी (STD)  एसटीआई (STI) भी कहा जाता हैं।


एसटीडी का पूरा नाम (STD full form)

एसटीडी (STD) - यौन जनित बीमारी (sexual transmitted disease)

एसटीआई (STI) यौन जनित संक्रमण (sexual transmitted infection)

प्रमुख यौन संचारित रोग

यौन रोग बैक्टीरिया और वायरस से होते हैं। बैक्टीरिया से होने वाले यौन जनित संक्रमण में शामिल है- क्लेमाइडिया, गोंनेरिया, ट्रायकोमोनियासिस और सिफलिस। इसका उपचार और शमन एंटीबायोटिक से किया जा सकता है। 

वायरस से होने वाली यौन जनित संक्रमण में शामिल है। एचआईवी / एड्स, जननांग हर्पिस, जननांग मस्से, और साइटोमेगालोवायरस का संक्रमण।



इन यौन रोगों पर नियंत्रण पाया जा सकता है लेकिन इन्हें  पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है।


यौन जनित संक्रमण के प्रकार

एचआईवी/एड्स (HIV/AIDS)

एड्स एक ऐसा रोग है जो बीमारी लग जाने पर स्वयं को सुरक्षित रखने की शरीर की क्षमता को कमजोर बना देता है। जिस वायरस से यह बीमारी होती है, उसे एचआईवी (hiv) कहते हैं जो मुख्य रुप से खून में पाया जाता है। लेकिन शरीर की अन्य द्रव जैसे कि वीर्य, यौन स्रावों और माँ के दूध में भी पाया जाता है। 

एचआईवी के कारण (HIV is caused by)

संक्रमण के मुख्य स्रोत सुई या सिरिंज शेयर करना, असुरक्षित सेक्स करना, गर्भावस्था के दौरान मां से बच्चे में संक्रमण। 

एचआईवी के लक्षण (HIV symptoms)

एचआईवी (hiv) के लक्षणों में शामिल है - लंबे समय तक बुखार आते रहना, बिना किसी कारण के वजन घटना, थकान और लंबे समय तक डायरिया रहना और अवसरवादी संक्रमण से जुड़े अन्य सभी लक्षण। ये संक्रमण रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर हमला करते हैं।

एचआईवी (hiv) संक्रमण से ग्रस्त व्यक्तियों में इसके लक्षण वर्षों तक दिखाई नहीं देते हैं। फिर भी जब इन लोगों को इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ जाने के कारण कुछ संक्रमण लग जाते हैं तो कहते हैं कि इन्हें एड्स हो गया है। 


गोनेरिया (gonorrhea)

गोनेरिया (gonorrhea) सेक्सुअल संपर्क से आसानी से फैलने वाला रोग हैं, जिसे सुजाक के नाम से भी जाना जाता है। इसके कारण मुत्र-शोध जिसमें जलन, पिशाब करने में दर्द और गुदा एवं गुदा मार्ग का संक्रमण हो सकता है। इससे होने वाली जैविक क्रिया से आंखों, गले या जोड़ों में भी संक्रमण हो सकता है जिससे गंभीर सूजन हो सकती है। 

गोनेरिया के लक्षण (gonorrhea symptoms)

पुरूषों में गोनेरिया का सबसे आम लक्षण है- मूत्र मार्ग से सफेद पीले रंग का स्त्राव। अन्य लक्षणों में पेशाब करते समय जलन, अंडकोष में सुजन जैसी यौन समस्या हो सकती हैं। 

ज्यादातर महिलाओं में लक्षण नहीं होते हैं। यदि लक्षण होते हैं, तो वे अक्सर हल्के होते हैं। इन लक्षणों में पेशाब करते समय जलन या दर्द, पीरियड्स के बीच ब्लीडिंग, सामान्य से अधिक योनि स्राव,  सेक्स के दौरान  दर्द आदि।  

गोनेरिया से बचाव और इलाज

गोनेरिया के साथ-साथ अन्य प्रकार की यौन जनित संक्रमण भी हो जाते हैं। सुरक्षित सेक्स से जोखिम कम हो जाता है। प्रभावित व्यक्ति को एंटीबायोटिक के साथ पर्याप्त उपचार दिया जाना चाहिए। 

गोनेरिया का उपचार ना कराया जाए तो इसमें मुत्र मार्ग में संक्रमण हो सकते हैं और अंततः किडनी फेल हो सकती है। उपाय यह भी है कि रोगी के सभी सेक्सुअल संपर्क का पता लगाकर इसकी जांच की जानी चाहिए और उपचार किया जाना चाहिए ताकि रोग को आगे फैलने से रोका जा सके।


सिफलिस रोग (syphilis)

सिफलिस क्या है? (what is syphilis)

सिफलिस (syphilis) एक संक्रामक रोग हैं जो ट्रिपेनोमा पेलिडम नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। सिफलिस की बीमारी केवल सिफलिस के संक्रमित व्यक्ति से सीधे संपर्क के माध्यम से फैलता है। इसे उपदंश के नाम से भी जाना जाता है। 

सिफलिस जैसी किसी अन्य व्यक्ति के साथ शौचालय साझा करने या किसी अन्य व्यक्ति के खाने के बर्तनों का उपयोग करने से नहीं फैलता है। 


सिफलिस होने के कारण (syphilis cause)

यह बैक्टीरिया कटी फटी त्वचा और म्युकस मेम्ब्रेन से होकर शरीर में प्रवेश कर जाता है। यह बीमारी  प्लेसेंटा से होकर भ्रुण में भी फ़ैल सकता है। गर्भावस्था में त्वचा पर चकते पैदा हो जाते हैं, जो बहुत संक्रामक होते हैं।


सिफलिस के लक्षण (syphilis symptoms)

सिफलिस की बीमारी कई चरणों वाली बीमारी है। सिफलिस का प्राथमिक चरण किसी व्यक्ति द्वारा बैक्टीरिया को ग्रहण करने के लगभग तीन से चार सप्ताह बाद होता है। यह एक छोटे, गोल घाव से शुरू होता है जिसे चैंक्र (chancre) कहा जाता है जो बहुत संक्रमण होते हैं। यह घाव कहीं भी प्रकट हो सकता है, जहां बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश करता है। जैसे मुंह, जननांगों या मलाशय के अंदर।

सिफलिस एक घाव के सीधे संपर्क से फैलता है। यह आमतौर पर यौन क्रिया के दौरान होता है, जिसमें मुख मैथुन भी शामिल है।

सिफलिस के दूसरे चरण के दौरान त्वचा पर चकते और गले में खराश हो सकती है। दाने में खुजली नहीं होगी और यह आमतौर पर हथेलियों और तलवों पर पाया जाता है, लेकिन यह शरीर पर कहीं भी हो सकता है।


सिफलिस की जांच कैसे की जाती है?

सिफलिस की जांच के लिए  वीडीआरएल टेस्ट (VDRL Test) किया जाता है।  इस टेस्ट के जरिये यह पता किया जाता है कि क्या कोई व्यक्ति सिफलिस पैदा करने वाले बैक्टीरिया से संक्रमित है। यह टेस्ट बैक्टीरिया ट्रेपोनिमा पैलिडम के खिलाफ एंटीबॉडी की उपस्थिति का पता लगाता है। 


सिफलिस का इलाज (syphilis treatment)

यदि सिफलिस रोग का उपचार ना किया जाए तो यह शरीर पर हमला करके आंतरिक अंगों हड्डियों मस्तिक को संक्रमित करता रहता है। सिफलिस का प्रसार को रोकने के लिए सुरक्षित यौन सम्बन्ध की जरुरत होती है। चुकि सिफलिस एक बैक्टीरिया जनित रोग है तो इसके इलाज के तौर पर प्रभावित व्यक्ति को एंटीबायोटिक दी जाती है।
प्राथमिक और माध्यमिक उपदंश का इलाज पेनिसिलिन इंजेक्शन से करना आसान होता है। पेनिसिलिन सबसे व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले एंटीबायोटिक दवाओं में से एक है और आमतौर पर सिफलिस के इलाज में प्रभावी होता है। जिन लोगों को पेनिसिलिन से एलर्जी है, उनका इलाज एक अलग एंटीबायोटिक से किया जाएगा, जैसे: डॉक्सीसाइक्लिन, ऐज़िथ्रोमाइसिन, सेफ्ट्रिएक्सोन आदि।


क्लैमाइडिया (Chlamydia)

क्लैमाइडिया (Chlamydia) एक यौन संचारित संक्रमण है जो क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। यह एक सामान्य एसटीडी है जो पुरुषों और महिलाओं दोनों को संक्रमित कर सकता है। यह एक महिला की प्रजनन प्रणाली को गंभीर, स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है। 


क्लैमाइडिया संक्रमण के कारण

क्लैमाइडिया संक्रमित किसी व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध यथा योनि, गुदा या मुख मैथुन क्लैमाइडिया संक्रमण के कारण हैं। क्लैमाइडिया का संक्रमण प्राय: गोनेरिया के साथ साथ होता हैं।

क्लैमाइडिया के कारण महिलाओं में श्रोणि प्रदाह रोग (palvic inflammatory disease) हो जाता है जिससे फैलोपियन ट्यूब में क्षति और बांझपन की समस्या पैदा हो सकती हैं। 


क्लैमाइडिया के लक्षण (chlamydia symptoms)

अधिकांश क्लैमाइडिया संक्रमण  का कोई लक्षण तक दिखाई नहीं देता है जब तक की कोई जटिलताए पैदा ना हो जाएं। इसके लक्षण में शामिल है-

  • पेशाब करते समय जलन होना 
  • लिंग या योनि मुख से स्त्राव
  • बुखार
  • एक या दोनों अंडकोष में दर्द और सूजन 


क्लैमाइडिया का उपचार (chlamydia treatment)

क्लैमाइडिया संक्रमण का उपचार एंटीबायोटिक दवाओं के साथ आसानी से इसका इलाज किया जा सकता है। हालांकि, अगर इसका जल्दी इलाज नहीं किया गया तो यह आपके शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकता है और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है।

सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल और सेक्सुअल पार्टनरों की संख्या सीमित रखने से संक्रमण होने के जोखिम को घटाने में मदद मिलती है।



हर्पिस बीमारी (herpes disease)

हर्पिस क्या है? (what is herpes)

हर्पिस संक्रमण हर्पिस सिम्प्लेक्स वायरस (एचएसवी) के कारण होता है। एचएसवी-1 प्रकार का संक्रमण, ओठों, मुँह और चेहरे के संक्रमण से जुड़ा होता हैं। एचएसवी -2 प्रकार का संक्रमण जननांग के घावों से जुड़ा हुआ है और सेक्सुअल संपर्क से फैलता है। 

यदि मां को पहले से ही संक्रमण है तो योनीमार्ग से प्रसव के दौरान नवजात शिशु में फैल जाता है। इस रोग में संक्रमण कटी फटी त्वचा से या म्यूकस मेम्ब्रेन से होकर वायरस के प्रवेश से होता है। यह वायरस शरीर के अंदर  तंत्रिका तंत्र में और फिर त्वचा के अन्य सतहों पर फैल जाता है।


हर्पिस रोग के लक्षण (herpes symptoms)

  • जननांगों पर घाव
  • बुखार
  • योनि स्राव
  • गले में सूजन और 
  • कुछ मामलों में स्मृति हास।


हर्पिस रोग का इलाज (herpes treatment)

किसी खुले घाव के सीधे संपर्क से बचाव से इस रोग के संक्रमण का जोखिम कम किया जा सकता है। कंडोम के प्रयोग सहित सुरक्षित सेक्स बचाव करने से संक्रमण का खतरा और कम किया जा सकता है। इसके उपचार में एन्टीवायरल दवाओं का उपयोग किया जाता है।


ह्यूमन पेपिलोमा वायरस संक्रमण (human papillomavirus)

ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) इन्फेक्शन जिसे सामान्यतया जननांग मस्से कहा जाता है। एचपीवी सबसे आम यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) है। ह्यूमन पेपिलोमा वायरस के कई अलग-अलग प्रकार हैं। इसके कुछ प्रकार जननांग मस्सा और कैंसर सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।

जननांग मस्से ह्यूमन पेपिलोमा वायरस संक्रमण (human papillomavirus) के कारण बनते हैं। जिससे त्वचा पर और म्यूकस मेम्ब्रेन पर छोटी मोटी फुंसियां पैदा हो जाती है। ये मस्से जननांगों के नम हिस्से पर सबसे अधिक पैदा होते हैं औऱ लाल रंग की गांठो की शक्ल शक्ल में अलग-अलग झुंड में दिखाई देते हैं। महिलाओं में ह्यूमन पेपिलोमा वायरस योनि में या सर्विक्स पर हमला करता है और इसके कारण सर्विक्स पर कैंसरकारी परिवर्तन हो सकते हैं।


ह्यूमन पेपिलोमावायरस इन्फेक्शन के लक्षण (human papillomavirus symptoms)

  • जननांग ऊपर मस्सेदार गाँठें
  • जननांग में सूजन,
  • जननांग वाली हिस्से में खुजली और 
  • योनि से स्त्राव


यौन जनित संक्रमण किन कारणों से होते हैं? (human papillomavirus causes)

किसी ऐसे व्यक्ति के साथ योनि, गुदा या मुख मैथुन करने से जिसमे एचपीवी वायरस का संक्रमण है। एचपीवी वायरस का संक्रमण तब भी हो सकता है जब किसी संक्रमित व्यक्ति में कोई लक्षण न हों।

यौन सक्रिय कोई भी व्यक्ति एचपीवी प्राप्त कर सकता है, भले ही आपने केवल एक व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाए हों। संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने के वर्षों बाद भी आप लक्षण विकसित कर सकते हैं। इससे यह जानना मुश्किल हो जाता है कि आप पहली बार कब संक्रमित हुए।


बचाव और उपचार (human papillomavirus treatment)

घावों के उन्मूलन के आधुनिक उपचारों में शामिल हैं - ट्राई क्लोरो एसिटिक एसिड और पोडोफिलम। 


संक्रमण की रोकथाम के लिए क्या किया जा सकता है?

  • किसी संक्रमित पार्टनर के साथ परस्पर एक विवाह ही या एक संगिनी के साथ सेक्सुअल संबंध रखे जाय। 
  • जब तक दोनों पाटनर रोग मुक्त नहीं हो जाते हैं तब तक सेक्स नहीं किया जाना चाहिए या फिर कंडोम का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • सही ढंग से और लगातार कंडोम के इस्तेमाल से यौन जनित संक्रमण ग्रहण करने की संभावना को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। 
  • लक्षण दिखाई ना देने पर भी यौन जनित संक्रमण का पता लगाने के लिए नियमित रुप से जांच कराते रहना चाहिए।

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