मलेरिया टेस्ट (Malaria test) के बारे में जानकारी प्राप्त करने से पहले मलेरिया के बारे में थोड़ी सी जानकारी प्राप्त कर लेते हैं।
मलेरिया मादा एनोफिलीज मच्छरों (female Anopheles mosquito) के काटने से फैलने वाला एक संक्रमक रोग होता है, जिसका कारक एक परजीवी यानी पैरासाइट प्लास्मोडियम (plasmodium) होता है। यह मच्छरों की लार के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इसकी चार प्रजाति मुख्य रूप से पाई जाती है-
1) प्लास्मोडियम वाइवैक्स (plasmodium vivex)
2) प्लास्मोडियम फेल्सीपेरम (plasmodium falciparum)
3) प्लास्मोडियम मलेरी (plasmodium malariae)
4) प्लास्मोडियम ओवेल (plasmodium ovale)
इनमें से प्लास्मोडियम फेल्सीपेरम और प्लास्मोडियम वाइवैक्स की प्रजाति भारत में मुख्य रुप से पाई जाती है। अन्य दो प्रजाति प्लास्मोडियम मलेरी और प्लास्मोडियम ओवेल भारत में नही पाई जाती है। इसलिए हमारे लिए यह दो प्रजाति ही रोगजनकता की दृष्टि से मुख्य रूप से महत्वपूर्ण है।
मलेरिया संक्रमण को देखने के लिए मलेरिया टेस्ट (malaria test) किया जाता है। वर्तमान में दो तरह के मलेरिया टेस्ट मुख्य रूप से प्रचलन में है।
पूर्व में मलेरिया टेस्ट के लिए एंटीबॉडी कार्ड टेस्ट किए जाते थे, किंतु सरकार ने उन पर प्रतिबंध लगा दिया है, क्योंकि इनके रिजल्ट या परिणाम संतोषजनक नहीं थे। यहां पर हम मलेरिया टेस्ट के 2 तरीकों का अध्ययन करने जा रहे हैं।
मलेरिया की जांच रक्त के द्वारा की जाती हैं जिसे मलेरिया ब्लड टेस्ट कहा जाता है। इसमें व्यक्ति का ब्लड हाथ की बाजू से अथवा अंगुली से संग्रह किया जाता हैं। इनमें से किसी भी सैम्पल का उपयोग किया जा सकता है और इससे परिणाम में भिन्नता देखने को नहीं मिलती हैं।
इस विधि में एक कैसेट का उपयोग किया जाता है जिसे कार्ड कहा जाता है। इसे रैपिड टेस्ट भी कहा जाता है क्योंकि इसका रिजल्ट मलेरिया टेस्ट के तुरंत बाद ही मिल जाता है।
मलेरिया एंटीजन एलडीएच (लैक्टेट डिहाइड्रोजनेज) और एचआरपी II (हिस्टिडाइन रिच प्रोटीन II), रक्त के नमूने में एंटी-एलडीएच और एंटी-एचआरपी II मोनोक्लोनल एंटीबॉडी-युग्मित गोल्ड कॉन्जुगटेड के साथ क्रिया करता है। जब व्यक्ति के रक्त के नमूने में मलेरिया का संक्रमण होता है, तो टेस्ट किट के झिल्ली के टेस्ट क्षेत्र में एक लाइन के रूप में परिणाम प्राप्त होता है।
2. सैंपल ऍप्लिकेटर स्टिक (sample applicator stick)
3. टेस्ट बफर (Test buffers)
4. लैंसेट (lencet) (फिंगरस्टिक के नमूने के लिए)
5. सिरिंज
6. टाइमर
7. दस्ताने (gloves)
8. माइक्रोपिपेट और टिप्स (micropipette and tips) - नाड़ी से रक्त लेने पर
9. स्प्रिट स्वाब (sprits/alcohol swab)
10. EDTA ट्युब - शिरा से रक्त संग्रह के लिए।
2. मलेरिया टेस्ट किट को ठंडे क्षेत्र में संग्रहित किया जाना चाहिए। अधिकतर टेस्ट किट को 30℃ तापमान पर संग्रहित किया जा सकता हैं। यदि आवश्यक हो तो इन्हें 2℃ से 8℃ पर रेफ्रिजरेट किया जाना चाहिए।
4. टेस्ट सैंपल को उपयोग में लेते समय सुरक्षात्मक दस्ताने (gloves) आवश्य ही पहनें।
5. मलेरिया के बाद सभी नमूनों और किटों का बायोमेडिकल कचरा प्रबंधन के नियमों के अनुसार निपटारा करें।
6. टेस्ट किट में दिये गए निर्देशों के अनुसार सैम्पल की अधिक या कम मात्रा गलत परिणाम दे सकती है।
7. टेस्ट करने के बाद तुरंत ही परिणाम प्राप्त हो जाता हैं। यदि किसी कारण परिणाम न लिया जा सका हो या 20 मिनट के बाद परिणामों में परिवर्तन देखने को मिला हो तो परिणाम की अंतिम व्याख्या 20 मिनट के बाद नहीं करें।
8. मलेरिया टेस्ट किट सिंगल यूज़ के लिए होती हैं अतः सभी उपकरण का पुन: उपयोग न करें।
9. सभी नमूनों, रिएक्शन किटों को संभावित रूप से दूषित सामग्री को कीटाणुरहित करके निपटारा करना चाहिए।
10. पैकेजिंग क्षतिग्रस्त होने पर उपयोग न करें।
11. कोई भी किट का उपयोग समाप्ति तिथि (Expirary date) के बाद न करें।
1. परीक्षण के लिए रक्त सैंपल को EDTA युक्त ट्यूब में अथवा उंगलियों से एकत्र किया जा सकता है।
मलेरिया टेस्ट के लिए सम्पूर्ण रक्त का ही इस्तेमाल किया जाता हैं। सीरम अथवा प्लाज्मा का उपयोग नहीं किया जाता हैं।
1. पाउच से एक मलेरिया टेस्ट किट को निकाले।
2. कैपिलरी ब्लड संग्रह के लिए अल्कोहल स्वैब से उंगलियों को साफ करें और पूरी तरह से सुखा लें। सिंगल यूज लैंसेट से उंगलियों के सिरे को चुभोकर रक्त प्राप्त कर सकते हैं।
3. यह सुनिश्चित करें कि रक्त की बूंद अच्छी तरह से बन जाएं।
4. किट के साथ दिए गए एप्लीकेटर से रक्त का नमूना लें।
5. सैंपल एप्लीकेटर को सैंपल एप्लीकेटर के साथ पूरे ब्लड ड्रॉप में लूप के गोल सिरे को डुबोकर सैंपल एप्लीकेटर को 40-50 डिग्री के कोण पर झुकाकर उसमें ब्लड इकट्ठा करें और बिंदु (एस) में लोड किया जाता हैं।
6. यदि रक्त सैंपल शिरा से लिया गया है तो इसे EDTA ट्यूब में संग्रहित किया जाना चाहिए। EDTA ट्युब से 5 μl रक्त की मात्रा को माईक्रोपिपेट की सहायता से बिंदु (एस) में लोड किया जाता हैं।
7. मलेरिया टेस्ट डिवाइस के ड्रॉपिंग पॉइंट में टेस्ट बफर की 3 बूंदें डालें। टेस्ट किट में दिए गए बफर के अलावा किसी अन्य बफर का उपयोग न करें।
8. ड्रॉपिंग पॉइंट बफर बोतल को लंबवत पकड़ें जिससे बूंदों में बफर की सही मात्रा होती है।
यदि कंट्रोल लाइन के साथ टेस्ट लाइन "2" पर दिखाई देती है, तो रक्त का नमूना प्लास्मोडियम वाइवैक्स से संक्रमित होता है। इस अवस्था में भी टेस्ट कार्ड में दो लाइने दिखाई देती हैं।
यदि कंट्रोल लाइन के साथ दोनों टेस्ट लाइने "1" और "2" दिखाई दे तो नमूना प्लास्मोडियम फैल्सीपेरम और प्लास्मोडियम वाईवैक्स (मिश्रित संक्रमण) को दिखाता है। अर्थात व्यक्ति में प्लास्मोडियम फेल्सीपेरम और प्लास्मोडियम वाइवैक्स दोनों का संक्रमण हैं। इस अवस्था में टेस्ट कार्ड पर तीन लाइने दिखाई देती हैं।
यह टेस्ट सबसे सटीक और परंपरागत तरीका है इस मलेरिया टेस्ट के माध्यम से मलेरिया पैरासाइट की विभिन्न अवस्थाओं को भी देखा जा सकता है। जैसे ट्रोफोजोइट, गेमीटोसाइट, रिंग अवस्था आदि।
1. कांच की स्लाइड (glass slide)
2. स्प्रेडर (spreaders)
3. मलेरिया स्लाइड टेस्ट के लिए रंजक (staining material)
4. लैंसेट (फिंगरस्टिक के नमूने के लिए)
5. सिरिंज (syringes)
6. दस्ताने (gloves)
7. स्प्रिट स्वाब (sprits swab)
8. EDTA ट्युब (EDTA tube)
1. मलेरिया टेस्ट के लिए EDTA युक्त ट्यूब में संग्रह किया गया रक्त उपयोग में लिया जा सकता हैं अथवा उंगलियों से फिंगर प्रिक द्वारा एकत्र किया गया रक्त लिया जा सकता है। इसके लिए भी सम्पूर्ण रक्त (whole blood) का ही इस्तेमाल किया जाता हैं। रक्त को सेंट्रीफ्यूज करके सीरम अथवा प्लाज्मा प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होती हैं।
1. मलेरिया स्लाइड टेस्ट के लिए कांच की साफ-सुथरी स्लाइड जाती है।
2. मलेरिया स्लाइड टेस्ट के लिए दो तरह की फिल्म बनाई जाती है।
(i) मोटी (Thick)
(ii) पतली (Thin)
मोटी ब्लड फ़िल्म बनाने के लिए स्लाइड के एक शिरे पर रक्त की एक बूंद ली जाती हैं। रक्त को गोल-गोल घुमाते हुए 1-2 cm की फ़िल्म बनाई जाती हैं।
पतली फ़िल्म बनाने के लिए मोटी फ़िल्म के आगे रक्त की एक और बून्द ली जाती हैं। स्प्रेडर की सहायता से ब्लड को फैलाते हुए एक स्मीयर बनाई जाती हैं।
3. इस फिल्म को सूखने के लिए आधा घंटा तक हवा में रख दी जाती है।
4. स्लाइड सूखने पर इसे एल्कोहल में डुबोकर फिक्स कर ली जाती है।
5. अब किसी भी स्टैनिंग तकनीक द्वारा स्लाइड को स्टैन कर दी जाती हैं। मलेरिया टेस्ट के लिए कई प्रकार के रंजक (stain) उपयोग में लिए जाते हैं। जैसे-
फील्ड स्टेन (fields stain A & B)
JSB स्टेन (JSB stain 1 & 2)
जिम्सा स्टैन (Gimsa stain)
लिसमान स्टैन (Lishman stain)
इनमें से किसी एक प्रकार के स्टैनिंग प्रक्रिया का उपयोग किया जा सकता हैं।
6. स्लाइड को स्टेन करने के बाद हवा में सुखा दिया जाता है।
7. स्लाइड सूखने पर इसे माइक्रोस्कोप में 100x ऑयल इमल्शन देखा जाता है।
स्लाइड को देखने के लिए विशेष योग्यता की आवश्यकता होती है। क्योंकि मलेरिया की कई प्रजातियां और उनकी विभिन्न अवस्थाओं की जानकारी होना आवश्यक होता है।
1) प्लास्मोडियम वाइवैक्स (plasmodium vivex)
2) प्लास्मोडियम फेल्सीपेरम (plasmodium falciparum)
3) प्लास्मोडियम मलेरी (plasmodium malariae)
4) प्लास्मोडियम ओवेल (plasmodium ovale)
इनमें से प्लास्मोडियम फेल्सीपेरम और प्लास्मोडियम वाइवैक्स की प्रजाति भारत में मुख्य रुप से पाई जाती है। अन्य दो प्रजाति प्लास्मोडियम मलेरी और प्लास्मोडियम ओवेल भारत में नही पाई जाती है। इसलिए हमारे लिए यह दो प्रजाति ही रोगजनकता की दृष्टि से मुख्य रूप से महत्वपूर्ण है।
मलेरिया संक्रमण को देखने के लिए मलेरिया टेस्ट (malaria test) किया जाता है। वर्तमान में दो तरह के मलेरिया टेस्ट मुख्य रूप से प्रचलन में है।
पूर्व में मलेरिया टेस्ट के लिए एंटीबॉडी कार्ड टेस्ट किए जाते थे, किंतु सरकार ने उन पर प्रतिबंध लगा दिया है, क्योंकि इनके रिजल्ट या परिणाम संतोषजनक नहीं थे। यहां पर हम मलेरिया टेस्ट के 2 तरीकों का अध्ययन करने जा रहे हैं।
मलेरिया की जांच (test for malaria)
मलेरिया की जांच रक्त के द्वारा की जाती हैं जिसे मलेरिया ब्लड टेस्ट कहा जाता है। इसमें व्यक्ति का ब्लड हाथ की बाजू से अथवा अंगुली से संग्रह किया जाता हैं। इनमें से किसी भी सैम्पल का उपयोग किया जा सकता है और इससे परिणाम में भिन्नता देखने को नहीं मिलती हैं।
मलेरिया टेस्ट नाम : रैपिड मलेरिया टेस्ट (rapid malaria test) या
रैपिड मलेरिया कार्ड टेस्ट मेथड (rapid malaria card test method)
मलेरिया टेस्ट का उद्देश्य (principle of malaria test)
मलेरिया रेपिड एंटीजन टेस्ट किट (malaria test kit) मानव रक्त में मलेरिया के गुणात्मक परीक्षण करने और प्लास्मोडियम फेल्सीपेरम और प्लास्मोडियम वाइवैक्स में अंतर करने के लिए एक डायग्नोस्टिक टेस्ट किट है। मलेरिया टेस्ट मलेरिया संक्रमण के निदान के लिए उपयोग में लिया जाता हैं।मलेरिया टेस्ट का सिद्धांत (malaria test kit principle)
मलेरिया टेस्ट किट द्वारा रक्त के नमूने में मलेरिया संक्रमण की जांच एक क्रोमैटोग्राफिक इम्यूनोएसे किट द्वारा की जाती है।मलेरिया एंटीजन एलडीएच (लैक्टेट डिहाइड्रोजनेज) और एचआरपी II (हिस्टिडाइन रिच प्रोटीन II), रक्त के नमूने में एंटी-एलडीएच और एंटी-एचआरपी II मोनोक्लोनल एंटीबॉडी-युग्मित गोल्ड कॉन्जुगटेड के साथ क्रिया करता है। जब व्यक्ति के रक्त के नमूने में मलेरिया का संक्रमण होता है, तो टेस्ट किट के झिल्ली के टेस्ट क्षेत्र में एक लाइन के रूप में परिणाम प्राप्त होता है।
मलेरिया टेस्ट के लिए आवश्यक सामग्री:-
1. टेस्ट किट (test kit)2. सैंपल ऍप्लिकेटर स्टिक (sample applicator stick)
3. टेस्ट बफर (Test buffers)
4. लैंसेट (lencet) (फिंगरस्टिक के नमूने के लिए)
5. सिरिंज
6. टाइमर
7. दस्ताने (gloves)
8. माइक्रोपिपेट और टिप्स (micropipette and tips) - नाड़ी से रक्त लेने पर
9. स्प्रिट स्वाब (sprits/alcohol swab)
10. EDTA ट्युब - शिरा से रक्त संग्रह के लिए।
मलेरिया टेस्ट से पूर्व सावधानियां एवं ध्यान रखने योग्य बातें।
1. आर्द्रता की उपस्थिति मलेरिया टेस्ट किट की गुणवत्ता को कम कर सकती है या खराब कर सकती हैं। इसलिए मलेरिया टेस्ट किट को उपयोग के समय ही खोलकर उपयोग में लिया जाना चाहिए।2. मलेरिया टेस्ट किट को ठंडे क्षेत्र में संग्रहित किया जाना चाहिए। अधिकतर टेस्ट किट को 30℃ तापमान पर संग्रहित किया जा सकता हैं। यदि आवश्यक हो तो इन्हें 2℃ से 8℃ पर रेफ्रिजरेट किया जाना चाहिए।
4. टेस्ट सैंपल को उपयोग में लेते समय सुरक्षात्मक दस्ताने (gloves) आवश्य ही पहनें।
5. मलेरिया के बाद सभी नमूनों और किटों का बायोमेडिकल कचरा प्रबंधन के नियमों के अनुसार निपटारा करें।
6. टेस्ट किट में दिये गए निर्देशों के अनुसार सैम्पल की अधिक या कम मात्रा गलत परिणाम दे सकती है।
7. टेस्ट करने के बाद तुरंत ही परिणाम प्राप्त हो जाता हैं। यदि किसी कारण परिणाम न लिया जा सका हो या 20 मिनट के बाद परिणामों में परिवर्तन देखने को मिला हो तो परिणाम की अंतिम व्याख्या 20 मिनट के बाद नहीं करें।
8. मलेरिया टेस्ट किट सिंगल यूज़ के लिए होती हैं अतः सभी उपकरण का पुन: उपयोग न करें।
9. सभी नमूनों, रिएक्शन किटों को संभावित रूप से दूषित सामग्री को कीटाणुरहित करके निपटारा करना चाहिए।
10. पैकेजिंग क्षतिग्रस्त होने पर उपयोग न करें।
11. कोई भी किट का उपयोग समाप्ति तिथि (Expirary date) के बाद न करें।
सैम्पल का प्रकार
1. परीक्षण के लिए रक्त सैंपल को EDTA युक्त ट्यूब में अथवा उंगलियों से एकत्र किया जा सकता है।
मलेरिया टेस्ट के लिए सम्पूर्ण रक्त का ही इस्तेमाल किया जाता हैं। सीरम अथवा प्लाज्मा का उपयोग नहीं किया जाता हैं।
मलेरिया टेस्ट की प्रक्रिया (malaria test procedure)
1. पाउच से एक मलेरिया टेस्ट किट को निकाले।
2. कैपिलरी ब्लड संग्रह के लिए अल्कोहल स्वैब से उंगलियों को साफ करें और पूरी तरह से सुखा लें। सिंगल यूज लैंसेट से उंगलियों के सिरे को चुभोकर रक्त प्राप्त कर सकते हैं।
3. यह सुनिश्चित करें कि रक्त की बूंद अच्छी तरह से बन जाएं।
4. किट के साथ दिए गए एप्लीकेटर से रक्त का नमूना लें।
5. सैंपल एप्लीकेटर को सैंपल एप्लीकेटर के साथ पूरे ब्लड ड्रॉप में लूप के गोल सिरे को डुबोकर सैंपल एप्लीकेटर को 40-50 डिग्री के कोण पर झुकाकर उसमें ब्लड इकट्ठा करें और बिंदु (एस) में लोड किया जाता हैं।
6. यदि रक्त सैंपल शिरा से लिया गया है तो इसे EDTA ट्यूब में संग्रहित किया जाना चाहिए। EDTA ट्युब से 5 μl रक्त की मात्रा को माईक्रोपिपेट की सहायता से बिंदु (एस) में लोड किया जाता हैं।
7. मलेरिया टेस्ट डिवाइस के ड्रॉपिंग पॉइंट में टेस्ट बफर की 3 बूंदें डालें। टेस्ट किट में दिए गए बफर के अलावा किसी अन्य बफर का उपयोग न करें।
8. ड्रॉपिंग पॉइंट बफर बोतल को लंबवत पकड़ें जिससे बूंदों में बफर की सही मात्रा होती है।
परिणामों की व्याख्या (malaria test result interpretation)
मलेरिया टेस्ट रिपोर्ट कैसे करें (malaria test report)
नेगेटिव (malaria test negative means)
यदि टेस्ट के बाद केवल कंट्रोल लाइन (C के रूप में वर्गीकृत) दिखाई दे तो मलेरिया टेस्ट नेगेटिव परिणाम को इंगित करता है। इसका अर्थ है कि व्यक्ति के ब्लड सैंपल में मलेरिया का संक्रमण नहीं है।पॉजिटिव (malaria test positive means)
यदि कन्ट्रोल (control) लाइन के साथ यदि टेस्ट लाइन "1" पर लाइन दिखाई देती है, तो रक्त का नमूना प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम से संक्रमित होता है। इस अवस्था में टेस्ट कार्ड में दो लाइने दिखाई देती हैं।यदि कंट्रोल लाइन के साथ टेस्ट लाइन "2" पर दिखाई देती है, तो रक्त का नमूना प्लास्मोडियम वाइवैक्स से संक्रमित होता है। इस अवस्था में भी टेस्ट कार्ड में दो लाइने दिखाई देती हैं।
यदि कंट्रोल लाइन के साथ दोनों टेस्ट लाइने "1" और "2" दिखाई दे तो नमूना प्लास्मोडियम फैल्सीपेरम और प्लास्मोडियम वाईवैक्स (मिश्रित संक्रमण) को दिखाता है। अर्थात व्यक्ति में प्लास्मोडियम फेल्सीपेरम और प्लास्मोडियम वाइवैक्स दोनों का संक्रमण हैं। इस अवस्था में टेस्ट कार्ड पर तीन लाइने दिखाई देती हैं।
अमान्य टेस्ट (Invalid test)
यदि कंट्रोल लाइन दिखाई नहीं देती है, तो मलेरिया टेस्ट अमान्य है। भले ही 1 या 2 अथवा दोनों ही स्थान पर लाइने दिखाई दे रही हो। इस मामले में मलेरिया टेस्ट की प्रक्रिया को नए किट के साथ दोहराते हुए टेस्ट करना चाहिए।मलेरिया टेस्ट नाम : मलेरिया टेस्ट स्लाइड मेथड
(Malaria test Name : malaria test slide method)
यह टेस्ट सबसे सटीक और परंपरागत तरीका है इस मलेरिया टेस्ट के माध्यम से मलेरिया पैरासाइट की विभिन्न अवस्थाओं को भी देखा जा सकता है। जैसे ट्रोफोजोइट, गेमीटोसाइट, रिंग अवस्था आदि।
मलेरिया टेस्ट के लिए आवश्यक सामग्री (equipments for malaria slide test)
1. कांच की स्लाइड (glass slide)
2. स्प्रेडर (spreaders)
3. मलेरिया स्लाइड टेस्ट के लिए रंजक (staining material)
4. लैंसेट (फिंगरस्टिक के नमूने के लिए)
5. सिरिंज (syringes)
6. दस्ताने (gloves)
7. स्प्रिट स्वाब (sprits swab)
8. EDTA ट्युब (EDTA tube)
सैम्पल का प्रकार
1. मलेरिया टेस्ट के लिए EDTA युक्त ट्यूब में संग्रह किया गया रक्त उपयोग में लिया जा सकता हैं अथवा उंगलियों से फिंगर प्रिक द्वारा एकत्र किया गया रक्त लिया जा सकता है। इसके लिए भी सम्पूर्ण रक्त (whole blood) का ही इस्तेमाल किया जाता हैं। रक्त को सेंट्रीफ्यूज करके सीरम अथवा प्लाज्मा प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होती हैं।
मलेरिया टेस्ट की प्रक्रिया (malaria test procedure)
1. मलेरिया स्लाइड टेस्ट के लिए कांच की साफ-सुथरी स्लाइड जाती है।
2. मलेरिया स्लाइड टेस्ट के लिए दो तरह की फिल्म बनाई जाती है।
(i) मोटी (Thick)
(ii) पतली (Thin)
मोटी ब्लड फ़िल्म बनाने के लिए स्लाइड के एक शिरे पर रक्त की एक बूंद ली जाती हैं। रक्त को गोल-गोल घुमाते हुए 1-2 cm की फ़िल्म बनाई जाती हैं।
पतली फ़िल्म बनाने के लिए मोटी फ़िल्म के आगे रक्त की एक और बून्द ली जाती हैं। स्प्रेडर की सहायता से ब्लड को फैलाते हुए एक स्मीयर बनाई जाती हैं।
3. इस फिल्म को सूखने के लिए आधा घंटा तक हवा में रख दी जाती है।
4. स्लाइड सूखने पर इसे एल्कोहल में डुबोकर फिक्स कर ली जाती है।
5. अब किसी भी स्टैनिंग तकनीक द्वारा स्लाइड को स्टैन कर दी जाती हैं। मलेरिया टेस्ट के लिए कई प्रकार के रंजक (stain) उपयोग में लिए जाते हैं। जैसे-
फील्ड स्टेन (fields stain A & B)
JSB स्टेन (JSB stain 1 & 2)
जिम्सा स्टैन (Gimsa stain)
लिसमान स्टैन (Lishman stain)
इनमें से किसी एक प्रकार के स्टैनिंग प्रक्रिया का उपयोग किया जा सकता हैं।
6. स्लाइड को स्टेन करने के बाद हवा में सुखा दिया जाता है।
7. स्लाइड सूखने पर इसे माइक्रोस्कोप में 100x ऑयल इमल्शन देखा जाता है।
स्लाइड को देखने के लिए विशेष योग्यता की आवश्यकता होती है। क्योंकि मलेरिया की कई प्रजातियां और उनकी विभिन्न अवस्थाओं की जानकारी होना आवश्यक होता है।
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