मंगलवार, अगस्त 31

मलेरिया क्या है? जानें मलेरिया के लक्षण (malaria symptoms)

Leave a Comment

मलेरिया (malaria)

मलेरिया एक मच्छर जनित रोग है जो एक परजीवी के कारण होता है। मलेरिया उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में फैलने वाली एक गंभीर और कभी-कभी जानलेवा बीमारी है। 2019 में दुनिया भर में मलेरिया के अनुमानित 229 मिलियन मामले थे जिसमें मलेरिया से होने वाली अनुमानित मौते 4 लाख थी।
Malaria, मलेरिया, malaria fever, मलेरिया के लक्षण, मलेरिया क्या है

WMR 2019 के अनुसार भारत में वैश्विक मलेरिया के 3% मामले देखने को मिलते हैं। परन्तु सुखद खबर यह है कि 2017 की तुलना में रिपोर्ट किए गए मलेरिया के मामलों में 49 फीसदी और मौतों में 50.5% की कमी देखी गई है।

मलेरिया क्या है? (What is malaria)

मलेरिया मच्छरों से होने वाला एक तरह का संक्रामक रोग है जो फीमेल एनोफिलीज के काटने से होता है। एनोफिलीज मच्छर की एक प्रजाति हैं। हालांकि सीधे तौर पर मच्छर मलेरिया का कारण नही है बल्कि एक वाहक हैं।

मलेरिया का कारण एक परजीवी प्लास्मोडियम होता हैं। यही परजीवी मलेरिया का कारण होता है और इसी प्लास्मोडियम को मच्छर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसफर करते हैं।


मलेरिया कैसे फैलता है? या मलेरिया किसके कारण होता है? (malaria is caused by)

मलेरिया मच्छरों से फैलने वाला संक्रामक रोग है जो फीमेल एनोफिलीज के काटने से होता है। यह अपने लार के साथ मलेरिया के परजीवी प्लाज्मोडियम को मानव रक्त में छोड़ देते हैं जो कि संक्रमण का मुख्य कारण होते हैं।  

यह रोग आसपास बैठने, खाने-पीने खांसने छींकने से नहीं फैलता है, बल्कि संक्रमित व्यक्ति के रक्त को मच्छर द्वारा दूसरे व्यक्ति में काटने से होता है।


मलेरिया का मच्छर (malaria mosquito)

मच्छर मलेरिया पैरासाइट का वाहक होता है। मच्छर की यह प्रजाति शाम और सुबह के बीच काटती हैं। 
एनोफिलीज मच्छर पानी में अपने अंडे देते हैं। यह लार्वा के रूप में पैदा होते हैं और वयस्क मच्छर बन जाते हैं। मादा मच्छर अपने अंडों को पोषित करने के लिए रक्त चूसती हैं।

एनोफिलीज मच्छर की प्रत्येक प्रजाति का अपना पसंदीदा आवास जल होता है। बरसात के दिनों में जगह जगह पानी एकत्रित होने से इन्हें अपनी संख्या बढ़ाने में सहायता मिलती हैं। 
यह अन्य जानवरों के बजाय मनुष्यों का खून इनका पसंदीदा भोजन होता हैं।


मलेरिया की खोज किसने की (who discovered malaria)

मलेरिया की खोज सर रोनाल्ड रॉस ने की थी। उन्होंने बताया था कि मलेरिया का वाहक एक मच्छर होता हैं, जिसके माध्यम से प्लास्मोडियम नामक परजीवी मानव को संक्रमित करता है। सर रोनाल्ड रॉस का जन्म 1857 में भारत के अल्मोड़ा में हुआ था।


विश्व मलेरिया दिवस (world malaria day)

मलेरिया के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए और मलेरिया की रोकथाम और नियंत्रण के लिए प्रतिवर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। 
2007 में WHO की विश्व स्वास्थ्य सभा द्वारा विश्व मलेरिया दिवस मनाने का निश्चय किया गया था।


मलेरिया के प्रकार (types of malaria)

भारत सहित विश्व के तमाम देशों में मलेरिया के चार प्रजातिया पाई जाती हैं।

1) प्लाज्मोडियम वाइवैक्स (Plasmodium vivax)

2) प्लाज्मोडियम फैलसिपेरम (Plasmodium falciparum)

3) प्लाज्मोडियम मलेरी (Plasmodium malariae)

4) प्लाज्मोडियम ओवेल (Plasmodium ovale)

इनमें से दो ही प्रजाति भारत में पाई जाती हैं। प्लाज्मोडियम वाइवैक्स और प्लाज्मोडियम फैलसिपेरम। हालांकि बिना इलाज के दोनों प्रजाति जानलेवा हो सकती हैं किंतु प्लाज्मोडियम वाइवैक्स के मुकाबले प्लाज्मोडियम फैलसिपेरम अधिक खतरनाक साबित होती है।


मलेरिया के लक्षण (malaria symptoms / symptoms of malaria)

जब कोई व्यक्ति मलेरिया के संक्रमण का शिकार हो जाता है तो उनमें कई लक्षण देखने को मिलते हैं। मलेरिया के लक्षण आमतौर पर संक्रमित मच्छर के काटने के 10-15 दिनों के बाद दिखाई देते हैं। 

शुरूआत में लक्षण हल्के हो सकते हैं और मलेरिया के रूप में पहचानना मुश्किल हो सकता है। इसलिए कहा जाता हैं कि कोई भी बुखार मलेरिया हो सकता हैं।


मलेरिया बुखार के लक्षण (symptoms of malaria fever)

1. मलेरिया का पहला लक्षण है बुखार।

(i) बुखार की विशेषता यह होती है कि यह बहुत तेज होता है। बुखार 101° से 104° फारेनहाइट तक पहुंच सकता हैं।

(ii) बुखार सर्दी लगकर कंपकपी के साथ आता है। कंपकपी दो-चार कंबल डालने पर भी नहीं मिटती है।

(iii) बुखार एक समय अंतराल पर आता है। जैसे 12 घण्टे, 24 घण्टे या 48 घण्टे बाद बुखार की पुनरावृत्ति होती हैं।

2. मलेरिया का दूसरा लक्षण हैं सिर दर्द। मलेरिया में तेज सिर दर्द होता हैं और ऐसा लगता हैं जैसे सिर दर्द से फट जाएगा।

3. मलेरिया के अन्य लक्षण है मांसपेशियों में दर्द। जिससे व्यक्ति को अत्यधिक थकान महसूस होती है।

4. अन्य लक्षणों में पसीना आना, उल्टी होना, जी मिचलाना आदि है।


मलेरिया का समय पर इलाज नहीं लेने पर कई अन्य लक्षण भी दिखाई देने लग सकते हैं जैसे बढ़ी हुई तिल्ली, हल्का पीलिया, जिगर का बढ़ना, श्वसन दर में वृद्धि, दुर्बलता आदि।

यदि 24 घंटों के भीतर इलाज नहीं किया जाता है, तो फाल्सीपेरम मलेरिया गंभीर बीमारी में बदल सकता है, जिससे अक्सर मृत्यु हो जाती है।

बच्चों में मलेरिया के लक्षण (malaria symptoms in children)

5 वर्ष से कम आयु के बच्चे मलेरिया से प्रभावित होने वाले सबसे कमजोर लोग हैं। 2019 में दुनिया भर में मलेरिया से होने वाली सभी मौतों में से 67% भाग इस ग्रुप के बच्चों का ही है।

ऊपर बताये गए लक्षणों के अलावा गंभीर मलेरिया से पीड़ित बच्चों में अक्सर निम्न लक्षणों में से एक या अधिक लक्षण विकसित होते हैं। गंभीर रक्ताल्पता (anaemia), उपापचय अम्लरक्तता (metabolic acidosis) के साथ श्वसन संबंधित समस्याएं, सेरिब्रल मलेरिया आदि।


मलेरिया का जीवनचक्र (malaria life cycle)

मलेरिया के जीवन चक्र मनुष्यों और मादा एनोफिलीज मच्छरों में पूरा होता हैं।

जब मादा एनोफिलीज मच्छर मनुष्य का रक्त चूसने के लिए काटते हैं तो अपने लार के साथ स्पोरोजोइट्स (Sporozoites) को मनुष्य के रक्त में छोड़ देते हैं। इससे मानव संक्रमित हो जाते हैं।

Malaria

मनुष्यों में परजीवी पहले यकृत कोशिकाओं में और फिर रक्त की लाल कोशिकाओं में बढ़ते है और अपनी संख्या में वृद्धि करते हैं।

स्पोरोज़ोइट्स यकृत की कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं और शाइज़ोंट्स (schizonts) और फिर मेरोज़ोइट्स के रूप में परिपक्व हो जाते हैं।

मेरोजोइट्स लाल रक्त कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं। और लाल रक्त कोशिकाओं में अलैंगिक जनन करते हैं। यहां पर यह शाइज़ोंट्स, ट्रोफोज़ोइट्स और रिंग स्टेज में परिपक्व होते रहते हैं।

इनमें से कुछ पैरासाइट लाल रक्त कोशिका के लैगिक चक्र में प्रवेश करते हैं और नर गैमेटोसाइट्स जिसे माइक्रोगैमेटोसाइट्स कहते हैं और मादा गैमेटोसाइट्स जिसे मैक्रोगैमेटोसाइट्स कहते हैं, बनाते हैं।

जब मादा एनोफिलीज मच्छर मनुष्य का रक्त चूसने के लिए काटते हैं तो मच्छर द्वारा गैमेटोसाइट्स को अंतर्ग्रहण कर लिया जाता है। वे मच्छर की आंत में समा जाते हैं और मच्छर में वृद्धि और गुणन का एक चक्र शुरू करते हैं।

मच्छर में परजीवियों के गुणन को स्पोरोगोनिक चक्र के रूप में जाना जाता है। मच्छर के पेट में रहते हुए, माइक्रोगैमेट्स युग्मनज (zygotes)पैदा करने वाले मैक्रोगैमेट्स में प्रवेश करते हैं।

युग्मनज बदले में गतिशील और लम्बी ओकाइनेट्स (ookinetes) बन जाते हैं जो मच्छर की मध्य आंत की दीवार पर आक्रमण करते हैं जहां वे oocysts में विकसित होते हैं। oocysts बढ़ते हैं, टूटते हैं, और स्पोरोज़ोइट्स छोड़ते हैं, जो मच्छर की लार ग्रंथियों में अपना रास्ता बनाते हैं।

10-18 दिनों के बाद, परजीवी का एक रूप जिसे स्पोरोज़ोइट कहा जाता है, मच्छर की लार ग्रंथियों में चला जाता है। जब एनोफिलीज मच्छर किसी अन्य मानव पर रक्त का भोजन लेता है, तो एंटीकोआगुलेंट लार को स्पोरोज़ोइट्स के साथ इंजेक्ट किया जाता है, जो यकृत में चले जाते हैं, जिससे एक नया चक्र शुरू होता है।

इस प्रकार संक्रमित मच्छर रोग को एक इंसान से दूसरे इंसान में ले जाता है, जबकि संक्रमित इंसान परजीवी को मच्छर तक पहुंचाते हैं।


मलेरिया की जांच (test for malaria)

मलेरिया की जांच रक्त के द्वारा की जाती हैं जिसे मलेरिया ब्लड टेस्ट कहा जाता है। इसमें व्यक्ति का ब्लड हाथ की बाजू से अथवा अंगुली से संग्रह किया जाता हैं।

मलेरिया से जुड़े सभी नैदानिक ​​लक्षण प्लास्मोडियम का आरबीसी में होने वाले अलैंगिक जनन के कारण होते हैं।

जब परजीवी एरिथ्रोसाइट में विकसित होता है तो कई अपशिष्ट पदार्थ लाल रक्त कोशिका में जमा हो जाते हैं और जब आरबीसी टूटती हैं तो ये रक्तप्रवाह में आ जाते है। इन पदार्थों को रक्त की जांच में पता लगाया जा सकता है जिसे मलेरिया टेस्ट (Malaria test) कहा जाता है।
If You Enjoyed This, Take 5 Seconds To Share It

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें