एल्बुमिन (Albumin) एक प्रकार का प्रोटीन है जो सामान्य रूप से रक्त में पाया जाता है। प्रोटीन एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है जो मांसपेशियों के निर्माण, ऊतकों की मरम्मत और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। इसलिए यह यूरिन के साथ उत्सर्जित नहीं होना चाहिए। जब यूरिन के साथ एल्ब्यूमिन (albumin in urine) या प्रोटीन (protein in urine) उत्सर्जित होता है, तो इसे क्रमशः एल्ब्यूमिन्यूरिया (albuminuria) या प्रोटीनूरिया (proteinuria) कहा जाता है।
यदि गुर्दे स्वस्थ हैं तो मूत्र में प्रोटीन की ट्रेस (urine albumin trace) मात्रा या बिल्कुल भी नहीं आनी चाहिए लेकिन यदि किडनी खराब हो गई है तो प्रोटीन किडनी के जरिए मूत्र में आना शुरू हो जाता है।
यूरिन में एल्ब्यूमिन की नॉर्मल रेंज (urine albumin normal range/urine albumin trace means)
अधिकांश प्लाज्मा प्रोटीन के अणु किडनी के ग्लोमेरुली (glomeruli) से गुजरने के लिए बहुत बड़े होते हैं जो फिल्ट्रेशन की प्रक्रिया में फिल्टर नहीं हो पाते हैं। केवल प्रोटीन की छोटी मात्रा जो फ़िल्टर हो जाती हैं, सामान्य रूप से गुर्दे की नलिकाओं (kidney tubules) द्वारा रक्त में पुन: अवशोषित हो जाती है। इसलिए केवल प्रोटीन की थोड़ी मात्रा (प्रति 24 घंटे में 150 मिलीग्राम से कम) सामान्य मूत्र में पाई जा सकती है। इन प्रोटीनों में टैम-हॉर्सफॉल प्रोटीन (Tamm-horsfall protein), एल्ब्यूमिन, इम्युनोग्लोबुलिन, हार्मोन, एंजाइम और म्यूकोपॉलीसेकेराइड शामिल हैं।टैम-हॉर्सफॉल प्रोटीन (Tamm-horsfall protein) हेन्ले के लूप (loop of Henle) द्वारा स्रावित होता है। किडनी रोग वाले रोगियों में केशिका की दीवारें अधिक पारगम्य हो जाती हैं जो प्रोटीन के बड़े अणुओं को भी उत्सर्जन कर देती हैं। यदि कोई भी व्यक्ति 24 घंटे के मूत्र संग्रह में 3.5 ग्राम से अधिक प्रोटीन का उत्सर्जन करता है, उसे नेफ्रोटिक रेंज प्रोटीनुरिया कहा जाता है, जो नेफ्रोटिक सिंड्रोम का एक घटक है।
जब मूत्र में ट्रेस (trace) मात्रा से अधिक प्रोटीन पाया जाता है, तो इसे प्रोटीनुरिया कहा जाता है। प्रोटीनुरिया का पता लगाना गुर्दे की बीमारी का एक महत्वपूर्ण संकेतक है क्योंकि प्रोटीन में पुन: अवशोषण (reabsorption) की अधिकतम ट्यूबलर दर बहुत कम होती है।
यूरिन में प्रोटीन या एल्ब्यूमिन के लिए निम्नलिखित विधियों (urine albumin test) का उपयोग किया जाता है।
1. हीट और एसिटिक एसिड परीक्षण (Heat and acetic acid test)
2. सल्फोसैलिसिलिक एसिड टेस्ट (Sulphosalicyclic acid test)
3. हेलर्स नाइट्रिक एसिड टेस्ट (Hellers nitric acid test)
2. सल्फोसैलिसिलिक एसिड टेस्ट (Sulphosalicyclic acid test)
3. हेलर्स नाइट्रिक एसिड टेस्ट (Hellers nitric acid test)
यूरिन में एल्ब्यूमिन टेस्ट - सल्फोसैलिसिलिक एसिड टेस्ट (Sulphosalicyclic acid test for albumin in urine)
प्रोटीन (protein) सल्फोसैलिसिलिक एसिड द्वारा अवक्षेपित (precipitated) होते हैं। किसी भी प्रकार का मैलापन (turbidity) से मूत्र में मौजूद प्रोटीन की मात्रा का अनुमान लगाया जा सकता है या फोटोमेट्री का उपयोग करके अधिक सटीक परिणाम प्राप्त किया जा सकता हैं।आवश्यक अभिकर्मक और उपकरण (Reagents and Requirements)
सैंपल - यूरिन के किसी भी सैंपल से टेस्ट किया जा सकता हैं लेकिन यदि यह सुबह का ताजा मूत्र का सैम्पल हो तो बेहतर रहता हैं।अभिकर्मक (Reagents)
सल्फोसैलिसिलिक एसिड 3% (5-sulphosalicylic acid solution-3%)
उपकरण (Requirements)
सेंट्रीफ्यूज (Centrifuge)
पिपेट/माइक्रोपिपेट (Graduated pipettes/micropipettes)
टेस्ट ट्युब
पीएच पेपर / पीएच मीटर (pH paper/ pH meter)
ग्लेशियल एसिटिक एसिड (Glacial acetic acid-10%)
सिद्धांत (principle)
यह टेस्ट इस सिद्धांत पर कार्य करता हैं कि प्रोटीन केमिकल जैसे- सल्फोसैलिसिलिक एसिड द्वारा अवक्षेपित (precipitated) होते हैं। यदि यूरिन सैम्पल में प्रोटीन की उपस्थिति पाई जाती हैं तो यह सल्फोसैलिसिलिक एसिड मिलाने पर यूरिन में टर्बीडीटी (turbidity) के रूप में दिखाई देती हैं। टर्बीडीटी की मात्रा से मूत्र में मौजूद प्रोटीन की मात्रा का अनुमान लगाया जा सकता है।
यूरिन एल्ब्यूमिन जांच का तरीका (urine albumin test procedure)
1. एक साफ कांच की टेस्ट ट्युब में 2-3 ml यूरिन को लिया जाता हैं। मूत्र (urine) को 2500 rpm पर 5 मिनट के लिए सेंट्रीफ्यूज किया जाता हैं।
2. इस टेस्ट के लिए यूरिन का माध्यम अम्लीय (acidic) होना चाहिए। इसलिए अब मूत्र के pH की जांच करें, अगर इसका pH 7 या 7 से अधिक है तो 10% एसिटिक एसिड बूंद-बूंद करके डालें जब तक कि यह अम्लीय न हो जाए।
3. यूरिन में लगभग 10 बूंद सल्फोसैलिसिलिक एसिड की डालें और पाँच मिनट के लिए कमरे के तापमान पर रखें।
4.पांच मिनट के बाद ट्यूब को गहरे रंग की पृष्ठभूमि में किसी गंदलापन (turbidity) की जाँच करें।
सल्फोसैलिसिलिक-एसिड-टेस्ट परिणाम की व्याख्या (Result Interpretation)
अम्लीकरण के कारण यूरिन सैंपल में प्रोटीन का अवक्षेपण (precipitation) होता है जिसे बढ़ती टर्बीडीटी (turbidity) के रूप में देखा जाता है, जिसे ट्रेस, 1+, 2+, 3+ या 4+ के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
4.पांच मिनट के बाद ट्यूब को गहरे रंग की पृष्ठभूमि में किसी गंदलापन (turbidity) की जाँच करें।
सल्फोसैलिसिलिक-एसिड-टेस्ट परिणाम की व्याख्या (Result Interpretation)
अम्लीकरण के कारण यूरिन सैंपल में प्रोटीन का अवक्षेपण (precipitation) होता है जिसे बढ़ती टर्बीडीटी (turbidity) के रूप में देखा जाता है, जिसे ट्रेस, 1+, 2+, 3+ या 4+ के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
सल्फोसैलिसिलिक एसिड टेस्ट के परिणाम को इस प्रकार से पढ़ा जाता हैं।
- यूरिन एल्ब्यूमिन नेगेटिव या निल (urine albumin nil) : यूरिन में कोई परिवर्तन नहीं।
- यूरिन एल्ब्यूमिन ट्रेस (urine albumin trace) : हल्की टर्बीडीटी (turbidity) या गंदलापन दिखाई दे।
- यूरिन एल्ब्यूमिन 1+ : निश्चित रूप से टर्बीडीटी (turbidity) दिखाई दे।
- यूरिन एल्ब्यूमिन 2+ : भारी टर्बीडीटी लेकिन कोई फ्लोक्यूलेशन (flocculation) दिखाई नहीं दे।
- यूरिन एल्ब्यूमिन 3+ : हल्के गुच्छे में फ्लोक्यूलेशन के साथ भारी टर्बीडीटी (turbidity) दिखाई दे।
- यूरिन एल्ब्यूमिन 4+ : जब भारी टर्बीडीटी (turbidity) के साथ भारी फ्लोक्यूलेशन (flocculation) दिखाई दे।
Result |
Interpretation |
Negative |
No
cloudiness |
Trace |
Faint turbidity |
1+ |
definite
turbidity |
2+ |
Heavy turbidity
but no flocculation |
3+ |
Heavy
turbidity with light flocculation |
4+ |
Heavy turbidity
with heavy flocculation |
परिणाम को पढ़ते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि यदि रोगी को टोलबुटामाइड, पेनिसिलिन और कुछ अन्य दवाएं दी जा रही हैं तो इसके गलत पॉजिटिव (false positive) परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। मूत्र में यूरेट्स की उच्च सांद्रता एक अम्लीय मूत्र में यूरेट की मात्रा गलत पॉजिटिव परिणाम दे सकती है।
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