हिमोग्लोबिन की कमी को रक्ताल्पता यानी एनिमिया (anemia) कहा जाता है। हिमोग्लोबिन कम होने के बहुत से कारण ज्ञात हैं जिसमें से कुछ कारणों को हम इस अध्याय में जानेंगे।
तो आइये हीमोग्लोबिन की कमी के कारण को जानते हैं।
लौह तत्व और फोलिक एसिड की कमी (iron and folic acid deficiancy)
लौह तत्व और फोलिक एसिड की कमी हीमोग्लोबिन की कमी का सबसे आम और सबसे ज्यादा लोगों में देखा जाने वाला कारण हैं।लौह या आयरन हीमोग्लोबिन का मुख्य अवयव है जो हीमोग्लोबिन के उत्पादन में काम आते हैं और लौह तत्व में कमी के कारण खून की कमी हो जाती हैं।
आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया को आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया (iron deficiancy aneamia) कहा जाता है। इसके कारण आरबीसी (RBC) का आकार छोटा रह जाता है। इसकी कमी से होने वाले एनीमिया को माइक्रोसाइटिक एनीमिया (microcytic anemia) कहा जाता हैं।
महिलाओं और बच्चों में विकास के दौरान शरीर को अधिक आयरन की आवश्यकता होती है। शिशुओं और छोटे बच्चों में आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया मुख्य रूप से आयरन की कमी वाले आहार लेने से होता है।
अधिक उम्र के लोगों में आयरन की कमी वाले आहार और कुछ पुरानी बीमारियां होने की वजह से कम हीमोग्लोबिन देखने को मिलता है।
लौह तत्व वाले आहार और आयरन की टेबलेट इस प्रकार के एनीमिया में दी जाती हैं।
विटामिन बी-12 की कमी
हीमोग्लोबिन निर्माण में कुछ विटामिन का बहुत ही अहम योगदान होता हैं। जैसे-विटामिन बी-12फोलेट के साथ विटामिन बी-12 हीमोग्लोबिन अणु बनाने में शामिल होता है जो हीमोग्लोबिन का एक अभिन्न अंग है। विटामिन बी-12 हीमोग्लोबिन बनाने और आरबीसी के विकास में सहायक होते हैं।
विटामिन बी-12 की कमी से होने वाले एनिमिया को पर्निशियस एनीमिया (pernicious anemia) कहा जाता हैं।
इस प्रकार का एनीमिया उन लोगों में हो सकता है जो मूल रूप से शाकाहारी है और किसी प्रकार के मांस, मछली या अंडो का सेवन नहीं करते है या किन्ही कारणों से अपनी आंतों में विटामिन बी-12 को अवशोषित करने में असमर्थ होते हैं।
इस प्रकार के एनीमिया में आरबीसी का आकार सामान्य से अधिक हो जाता हैं। यह आमतौर पर मैक्रोसाइटिक एनीमिया (Macrocytic anemia) या मेगालोब्लास्टिक एनिमिया (megaloblastic anemia) का कारण बनता है। इसमें यदि रेड सेल सूचकांकों (Red blood indices) को देखे तो MCV बढ़ा हुआ होता हैं।
यह अपर्याप्त अवशोषण, हरी पत्तेदार सब्जियों के कम सेवन और लंबे समय तक भारी शराब के सेवन के कारण भी हो सकता है।
बवासीर या पाइल्स
जिन व्यक्तियों में बवासीर के साथ खून आ रहा हो उन व्यक्तियों में इस प्रकार से ब्लड लॉस होने से हीमोग्लोबिन सामान्य से कम पाया जाता हैं। कम-कम मात्रा में खून के रिसाव या जिन व्यक्तियों में इसकी पूर्व में कोई जानकारी नहीं होती है, उन पुरुषों में यह अधिक देखने को मिलता है और पुरुषों में कम हीमोग्लोबिन का यह एक सामान्य कारण होता हैं।सामान्य अवस्था में जब आरबीसी अपने जीवनकाल 120 दिन के बाद जब टूटती है तो हिमोग्लोबिन में मौजूद आयरन का पुनः उपयोग हो जाता है किंतु लगातार खून की कमी शरीर में लोहे के भंडार को कम कर देता है जिससे लोहे की कमी की भरपाई नहीं हो पाती है।
आंतरिक रक्तस्राव (internal bleeding)
जिन लोगों के पेट या आंत में अल्सर हो तो उन घाव से खून का धीरे–धीरे रिसाव जिनका व्यक्ति को पता नहीं चलता है, से खून में कमी हो जाती हैं। इसी प्रकार से छोटे बच्चों में पेट के परजीवी जिसमें पिन वर्म, हुक वर्म आदि के इंफेक्शन से हीमोग्लोबिन में कमी देखी जाती है।पेट के अल्सर से रक्तस्राव दवाओं के कारण से भी हो सकता है या इन अल्सरों से धीरे-धीरे और लंबे समय तक रिसने से खून के साथ-साथ आयरन की भी कमी हो जाती है।
कई बार किसी एक्सीडेंट या चोट में अधिक रक्तस्राव होने से खून में इस प्रकार की कमी हो सकती हैं।
किडनी डिजीज (kidney disease)
किडनी यानी गुर्दा रोग (kidney disease) में भी हीमोग्लोबिन कम पाया जाता हैं क्योंकि किडनी द्वारा एक हॉर्मोन इरिथ्रोपोईटिन (erithropoitin) का उत्पादन किया जाता हैं। यह हार्मोन अस्थि मज्जा द्वारा सामान्य लाल रक्त कोशिका उत्पादन को प्रेरित करता है।अस्थि मज्जा (bone marrow)
एक वयस्क व्यक्ति में खून का निर्माण अस्थि मज्जा (bone marrow) में होता हैं। एक लाल रक्त कोशिका का सामान्य जीवन काल आमतौर पर लगभग 120 दिनों का होता है।कई बार बोन मैरो (bone marrow) में डिफेक्ट के कारण अस्थि मज्जा लाल रक्त कोशिकाओं या हीमोग्लोबिन का उत्पादन नहीं कर पाता है। इस कारण खून में कमी देखने को मिलती हैं।
अस्थि मज्जा में डिफेक्ट के कारण उत्पन एनिमिया को एप्लास्टिक एनीमिया (aplastic anemia) कहा जाता हैं।
आनुवंशिक कारण
एनीमिया का कारण आनुवंशिक भी हो सकता है। वंशानुगत विकार असामान्य हीमोग्लोबिन बनाते हैं और लाल रक्त कोशिका के जीवन काल को छोटा कर सकते हैं और एनीमिया को जन्म दे सकते हैं। जैसे सिकल सेल एनीमिया।वंशानुगत विकार भी सामान्य हीमोग्लोबिन के उत्पादन को बाधित करके एनीमिया का कारण बन सकते हैं। उदाहरण के लिए अल्फा थैलेसीमिया और बीटा थैलेसीमिया
महिलाओं में खून की कमी के सामान्य कारण
मासिक धर्म और प्रसव जो महिलाओं में होने वाली सामान्य प्रक्रिया है, महिलाओं में खून की कमी के सामान्य कारण माने जाते है। सामान्य मासिक धर्म के माध्यम से हर महीने खून की कमी के कारण महिलाओं में कम हिमोग्लोबिन देखने को मिलता है।यह सभी महिलाओं के साथ तो नहीं बल्कि उन महिलाओं के साथ देखने को मिलता है जिनमे इन प्रक्रियाओ के दौरान रक्त की आत्यधिक हानि होती है।
इन प्रक्रियाओ के दौरान रक्तस्राव से खून के नष्ट हो जाने के कारण एनीमिया (anemia) देखा जाता है।
गर्भवस्था (pregnancy)
गर्भवती महिलाओं में आयरन की कमी से एनीमिया होने की अधिक संभावना है। प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भस्थ शिशु आयरन और अन्य पोषक तत्वों के लिए की आवश्यकता की पूर्ति के लिए गर्भवती महिला पर ही निर्भर होते हैं।आवश्यक पोषक तत्वों के अभाव में हीमोग्लोबिन और भी कम होता जाता हैं। यहाँ तक कि किसी किसी का गर्भावस्था के 9 माह के दौरान हीमोग्लोबिन स्तर 4-5 ग्राम प्रति माइक्रोलीटर तक के खतरनाक स्तर तक पहुच जाता है।
गर्भवस्था के दौरान आवश्यक पोषक तत्वों युक्त आहार न लेने के कारण अधिकतर महिलाओं को इस समस्या का शिकार होना पड़ता है। इसलिए गर्भवस्था के दौरान आवश्यक पोषक तत्वों युक्त आहार लेने में किसी भी प्रकार की कोताही नहीं बरतनी चाहिए।
दवाइयों का सेवन (medicine)
खून पतला करने वाली कुछ दवाओं जैसे एस्पिरिन, क्लोपिडोग्रेल, हेपरिन आदि के सेवन से खून में कमी हो जाती हैं।कुछ दवाएं जैसे एचआईवी संक्रमण के लिए एंटीरेट्रोवायरल दवाएं और कैंसर और अन्य स्थितियों के लिए कीमोथेरेपी दवाएं भी हीमोग्लोबिन कम कर सकती हैं।
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