आरबीसी क्या है?
आरबीसी रक्त कणिकाएं होती है जो रक्त का अधिकतर भाग बनाती है। लाल रंग की होने के कारण इसको लाल रक्त कणिका कहते है। इसका लाल रंग उसमें मौजूद हीमोग्लोबिन के कारण होता है। ये रक्त में सबसे अधिक संख्या वाली कोशिकाएँ हैं। आरबीसी का दूसरा नाम एरिथ्रोसाइट (erythrocytes) हैं।आरबीसी का आकार कैसा होता है?
परिपक्व आरबीसी केंद्रक रहित, चपटे, द्विपक्षीय रूप से इंडेंटेड गोले के आकार की होती हैं जिसे अक्सर बाइकोनकेव डिस्क (biconcave disc) के रूप में जाना जाता है। इसका व्यास 7.0-8.0 μm और मोटाई 1.7-2.4 μm होती है। ब्लड फ़िल्म को स्टैंन करने पर केवल चपटी सतहें देखी जाती हैं जिसका बीच का कुछ क्षेत्र कोशिका के मुकाबले हल्के रंग का होता हैं।आरबीसी फुल फॉर्म (RBC full form)
लाल रक्त कोशिकाओं को संक्षिप्त में आरबीसी लिखा जाता है। यदि आरबीसी का फुल फॉर्म की बात करें तो यह अंग्रेजी के तीन अक्षरों से मिलकर बना एक शब्द है जिसमें आर (R) परिभाषित करता है Red (लाल) को और बी (B) का अर्थ होता है ब्लड (blood) और सी (C) का अर्थ होता है सेल्स (cells) या (corpuscles) अर्थात आरबीसी का पूरा नाम रेड ब्लड सेल्स होता हैं।
आरबीसी - लाल रक्त कोशिका
RBC - Red Blood cell/corpuscles
आरबीसी का निर्माण कहां होता है?
आरबीसी का निर्माण एरिथ्रोपोइसिस (erythropoiesis) कहलाता हैं। एरिथ्रोपोएसिस जन्म से पहले ही शुरू हो जाता है। वयस्कों में लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण हड्डियों के मज्जा में होता हैं जो अक्षीय कंकाल (axial skeleton) बनाते हैं, जिसे अस्थि मज्जा कहते हैं। अस्थि मज्जा आपकी हड्डियों के अंदर का स्पंजी ऊतक है।गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के विकसित होते ही एरिथ्रोपोएसिस का स्थान बदल जाता है। भ्रूण अवस्था में आरबीसी का निर्माण गर्भावस्था का तीसरे सप्ताह में एरिथ्रोपोएसिस Yolk Sac में बनना शुरू होता है। Yolk Sac एक थैलीनुमा संरचना है जो एक विकासशील भ्रूण को पोषण देती है।
गर्भावस्था के दो और तीन महीने में एरिथ्रोपोएसिस भ्रूण के यकृत (Liver) और प्लीहा (spleen) में होता है। पाँचवे महीने तक एरिथ्रोपोएसिस भ्रूण की अस्थि मज्जा में होता है।
जब शिशु का जन्म होता है तब तक एरिथ्रोपोएसिस मुख्य रूप से अस्थि मज्जा में होता है। बच्चो में एरिथ्रोपोएसिस कई अलग-अलग प्रकार की हड्डियों के अस्थि मज्जा (bone marrow) में होता है।
वयस्क में एरिथ्रोपोइज़िस कुछ हड्डियों में होता है, जिसमें श्रोणि, कशेरुक, पसलियां शामिल हैं।
आरबीसी का जीवनकाल कितना होता है?
आरबीसी का औसत जीवन काल 4 माह या 120 दिन का होता है। लाल रक्त कोशिका आमतौर पर रक्त प्रवाह में लगभग 120 दिनों तक जीवित रहती है, जिसके बाद रेटिकुलोएन्डोथेलियल सिस्टम (reticuloendothelial system) की फेगोसाइटिक कोशिकाओं द्वारा इसे हटा दिया जाता है या तोड़ दिया जाता है और इसके कुछ घटकों जैसे आयरन को नई कोशिकाओं के निर्माण के लिए पुन: उपयोग किया जाता है।आरबीसी का कब्रिस्तान किसे कहते हैं?
आरबीसी का कब्रिस्तान प्लीहा (Spleen) को कहा जाता है। प्लीहा आमाशय और डायफ्राम (Diaphragm) के बीच में यकृत के बाई ओर स्थित लगभग 12 सेमी. लंबी गहरे लाल रंग की संकरी एवं चपटी सी लसिका ग्रंथि होती हैं। यह रेटिकुलोएंडोथिलियम ऊतक का सबसे बड़ा पिंड होता है। प्लीहा की कोशिकाएं रुधिर के टूटे-फूटे और शिथिल रुधिराणुओं तथा निरर्थक एवं हानिकारक रंजक एवं अन्य पदार्थों का भक्षण करके रुधिर की सफाई करता है।आरबीसी के कार्य
आरबीसी मुख्य रूप से ऊतक श्वसन में शामिल होते हैं। लाल कोशिकाओं में वर्णक हीमोग्लोबिन (hemoglobin) होता है जो ऑक्सीजन के साथ संयोजन करने की क्षमता रखता है। फेफड़ों में आरबीसी में हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन के साथ संयोजन करता है और अपने परिसंचरण के दौरान इसे शरीर के ऊतकों (जहां ऑक्सीजन तनाव कम होता है) में छोड़ता है। कार्बनडाइऑक्साइड, चयापचय का एक अपशिष्ट उत्पाद है, जिसे आरबीसी द्वारा ऊतकों से अवशोषित किया जाता है और साँस छोड़ने के लिए फेफड़ों में ले जाया जाता है।
आरबीसी की संख्या कितनी होनी चाहिए?
आरबीसी नॉर्मल रेंज या पुरुषों में आरबीसी की संख्या कितनी होती है?
एक वयस्क पुरूष के ब्लड में प्रति माइक्रो लीटर ब्लड में आरबीसी की संख्या साढे 45 लाख से 50 लाख के बीच होनी चाहिए।Men: 4.5 to 5 million RBCs per microliter of blood
एक वयस्क महिला में आरबीसी की संख्या प्रति माइक्रो लीटर ब्लड में 40 लाख से 50 लाख के बीच होनी चाहिए।
Women: 4.0 to 5 million RBCs per microliter of blood
बच्चों में प्रति माइक्रो लीटर ब्लड में आरबीसी की संख्या साढे 45 लाख से 50 लाख के बीच होनी चाहिए।
Children: 4.0 to 5 million RBCs per microliter of blood
एक वयस्क महिला में आरबीसी की संख्या प्रति माइक्रो लीटर ब्लड में 40 लाख से 50 लाख के बीच होनी चाहिए।
Women: 4.0 to 5 million RBCs per microliter of blood
बच्चों में प्रति माइक्रो लीटर ब्लड में आरबीसी की संख्या साढे 45 लाख से 50 लाख के बीच होनी चाहिए।
Children: 4.0 to 5 million RBCs per microliter of blood
आरबीसी गिनती या आरबीसी काउंट (RBC Count)
लैब में आरबीसी की संख्या को गिना जा सकता है जिसे लैब टेस्ट के रूप में आरबीसी काउंट से जाना जाता है। इससे सीबीसी टेस्ट में भी जाना जा सकता है या केवल आरबीसी काउंटिंग चैंबर जिसे न्यू बार चैंबर कहा जाता है, के माध्यम से काउंट करके देखा जाता है। आरबीसी काउंट निम्नलिखित प्रक्रिया से किया जा सकता हैं।
• RBC डाईल्युटिग द्रव को 101 अंक तक भरें और घुमाकर अच्छी तरह मिला लें। इससे 1:200 का तनुकरण (dilution) हो जाता है।
आरबीसी पिपेट की अनुपस्थिति में इसे टेस्ट ट्यूब में भी तैयार किया जा सकता हैं। इसके लिए एक टेस्ट ट्यूब में 3.98 ml डाईल्युटिग द्रव में 0.02 मिलीलीटर (20 μl) रक्त मिलाया जाता है।
रक्त के लिए हीमोग्लोबिनोमीटर पिपेट का उपयोग भी किया जा सकता हैं।
• चैम्बर के ऊपर एक कवर स्लिप रखें। एक विशेष 4 मिमी मोटी
बहुत चिकनी सतह और समान मोटाई वाली कवरस्लिप का उपयोग किया जाता है, ताकि चैम्बर की ऊंचाई बिल्कुल 0.1 मिमी हो।
• पिपेट में डाईल्युटिग द्रव की पहली 2-3 बूँदें निकाल दें।
• पिपेट से चैम्बर में भरने के लिए थोड़ी मात्रा में डाईल्युटिग द्रव छोड़ कर चैम्बर को धीरे से चार्ज करें। चैम्बर को चार्ज करते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
– पिपेट की नोक की एक बार में ही फिलिंग करनी चाहिए।
- कवरस्लिप के नीचे कोई हवा का बुलबुला नहीं होना चाहिए।
- तरल पदार्थ नाली में नहीं जाना चाहिए।
• चार्ज करने के बाद 3 मिनट तक प्रतीक्षा करें, ताकि सेल व्यवस्थित हो जाएं।
• माइक्रोस्कोप को 10× में फोकस करें और आरबीसी को 40× ऑब्जेक्टिव लेंस में बीच के कॉर्नर के 5 बॉक्स में गिनें।
• उन कोशिकाओं की गिनती करें जो दाहिनी और निचली रेखाओं पर स्थित हैं।
• आरबीसी की संख्या प्राप्त करने के लिए कुल आरबीसी संख्या (एन) को 10,000 से गुणा किया जाता है।
1/50 cmm contains = N × dilution
So, 1 cmm contains = N × 200 × 50
= N × 10,000
Normal RBC count is 4.5–5.5 million/cmm
आरबीसी काउंट की प्रक्रिया (Test Procedure)
• रक्त को आरबीसी पिपेट में 0.5 अंक तक भरें।• RBC डाईल्युटिग द्रव को 101 अंक तक भरें और घुमाकर अच्छी तरह मिला लें। इससे 1:200 का तनुकरण (dilution) हो जाता है।
आरबीसी पिपेट की अनुपस्थिति में इसे टेस्ट ट्यूब में भी तैयार किया जा सकता हैं। इसके लिए एक टेस्ट ट्यूब में 3.98 ml डाईल्युटिग द्रव में 0.02 मिलीलीटर (20 μl) रक्त मिलाया जाता है।
रक्त के लिए हीमोग्लोबिनोमीटर पिपेट का उपयोग भी किया जा सकता हैं।
• चैम्बर के ऊपर एक कवर स्लिप रखें। एक विशेष 4 मिमी मोटी
बहुत चिकनी सतह और समान मोटाई वाली कवरस्लिप का उपयोग किया जाता है, ताकि चैम्बर की ऊंचाई बिल्कुल 0.1 मिमी हो।
• पिपेट में डाईल्युटिग द्रव की पहली 2-3 बूँदें निकाल दें।
• पिपेट से चैम्बर में भरने के लिए थोड़ी मात्रा में डाईल्युटिग द्रव छोड़ कर चैम्बर को धीरे से चार्ज करें। चैम्बर को चार्ज करते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
– पिपेट की नोक की एक बार में ही फिलिंग करनी चाहिए।
- कवरस्लिप के नीचे कोई हवा का बुलबुला नहीं होना चाहिए।
- तरल पदार्थ नाली में नहीं जाना चाहिए।
• चार्ज करने के बाद 3 मिनट तक प्रतीक्षा करें, ताकि सेल व्यवस्थित हो जाएं।
• माइक्रोस्कोप को 10× में फोकस करें और आरबीसी को 40× ऑब्जेक्टिव लेंस में बीच के कॉर्नर के 5 बॉक्स में गिनें।
• उन कोशिकाओं की गिनती करें जो दाहिनी और निचली रेखाओं पर स्थित हैं।
• आरबीसी की संख्या प्राप्त करने के लिए कुल आरबीसी संख्या (एन) को 10,000 से गुणा किया जाता है।
Calculation
Volume of 5 squares = 5 × 1/5 × 1/5 × 1/10 = 1/50 cmm1/50 cmm contains = N × dilution
So, 1 cmm contains = N × 200 × 50
= N × 10,000
Normal RBC count is 4.5–5.5 million/cmm
आरबीसी कम करने के उपाय
आरबीसी की संख्या को कम करने के कई कारक जिम्मेवार है। यदि इन कारक को जान लिया जाए तो आरबीसी की संख्या में कमी को पूरा किया जा सकता है। जैसे यदि व्यक्ति में आयरन की कमी होती है या फोलिक एसिड की कमी होती है या विटामिन B12 की कमी होती है तो आरबीसी की संख्या में अत्यधिक कमी आती है। यदि इन तत्वों की पूर्ति कर दी जाए तो आरबीसी की संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा यदि किसी में ब्लड में कमी हो जाता है तो ब्लड चढ़ा कर भी आरबीसी की संख्या की पूर्ति की जा सकती है।आरबीसी की कमी के लक्षण
व्यक्ति में आरबीसी की कमी होने पर कई लक्षण दिखाई देते हैं। आरबीसी की संख्या में कमी को एनीमिया के रूप में जाना जाता है। तो जो लक्षण एनीमिया के होते हैं वही आरबीसी की कमी होने पर दिखाई देते हैं।
जैसे -
जैसे -
- त्वचा का रंग हल्का होना
- जीभ का रंग हल्का होना
- सांस लेने में परेशानी आना
- चक्कर आना आदि
आरबीसी की कमी से कौन सा रोग होता है?
- Anemia
- Leukemia
- Chronic kidney diseases
- liver Cirrhosis
- Vitamin B-12 or folate deficiency
- Stomach ulcers
- Lupus
- Hypothyroidism
- Inflammatory bowel disease
- Hodgkin lymphoma
आरबीसी ज्यादा होने के नुकसान या आरबीसी बढ़ने से क्या होता है?
आरबीसी की संख्या में वृद्धि काफी गंभीर विषय है। आरबीसी की संख्या में वृद्धि को पॉलीसाईथीमिया (Polycythemia) के नाम से जाना जाता है जिसमें आरबीसी का मान सामान्य से अधिक हो जाता है । इस अवस्था में ब्लड को डाइल्यूट करने की आवश्यकता होती है तो इसके लिए मेडिसिन दी जा सकती है। आरबीसी की संख्या ज्यादा होने से ब्लड गाढ़ा होता है, जिससे इसको सामान्य रूप से बहने में परेशानी होती है और कई बार यह आपके हार्ट अटैक का कारण भी हो सकता है। इसके लिए इसको नियंत्रित रखने के लिए बाजार में कई तरह की मेडिसिन उपलब्ध है।
आरबीसी की अधिकता से रोग
Congenital heart disease
Kidney tumors
Lung diseases
pulmonary fibrosis
Dehydration
Polycythemia, cyanotic heart disease, hemoconcentration,
Infants
Kidney tumors
Lung diseases
pulmonary fibrosis
Dehydration
Polycythemia, cyanotic heart disease, hemoconcentration,
Infants
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